Apr 8, 2010
शोएब मलिक का बिना तिल का ताड़
शोएब मलिक,
समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें क्या संबोधन करें और तुम्हारे लिए भगवान से क्या कामना करें ? तुमने तो सारे ही मानदंड बदल कर रख दिए । हम हमेशा ही पढ़ाते रहे- तिल का ताड़ बनाना, बात का बतंगड़ बनाना, पर तुमने तो बिना बात का ही बतंगड़ बना दिया, बिना तिल का ही ताड़ बना दिया । अरे, जब तुमने उससे शादी की ही नहीं थी तो अब तलाक किसे और किस बात का दे दिया । याद रखो यह सच बड़ा 'वो' होता है । यह कभी मरता नहीं और झूठ बोलने वाले का कभी पीछा नहीं छोड़ता ।
तुम कहते रहे कि तुमने उससे शादी नहीं की, बस फोन पर ही बतियाते थे । क्यों भाई, क्यों बतियाते थे ? यदि वह ही बतियाती थी तो कह देते- मोहतरमा, ऐसे फोन पर लम्पटता करना ठीक नहीं है यदि तुम्हें शादी करनी है तो हम अपने-अपने वालदेन को मिलवा देते हैं और खुद भी मिल लेते हैं । यदि बात समझ में आये तो शादी हो जाएगी और नहीं तो दोनों अपना-अपना रस्ता नापें । पर बालक, खोट तुम्हारे मन में भी था वरना क्या ज़रूरत थी बिना बात किसी लड़की से, फोन पर ही सही, चोंच लड़ाने की । पर लो, अब तो यह भी सिद्ध हो गया कि तुम उससे मिले भी थे और कुछ न कुछ किया भी था ।
फिर भी हम कहेंगे कि यह बिना तिल का ताड़ ही था । क्यों ? क्योंकि तुम्हारे यहाँ तो तलाक देना तो "ऐज सिंपल ऐज वन, टू, थ्री" है । जब धर्म का इतना सपोर्ट हो तो फिर डरने का मतलब 'बिना तिल का ताड़ बनाना' ही है ना । एक ही झटके में कह देते कि मैं इसे तलाक देता हूँ और पकड़ा देते पंद्रह हजार रुपए । पर भैया, यह तुम्हारी गलती नहीं, यह तो सभी लम्पटों का दस्तूर है कि वे अपने आप को भला सिद्ध करना चाहते हैं । सो तुम भी सानिया को यह दिखाना चाहते थे कि तुम निहायत भोले और फर्स्टहैण्ड हो । वरना तुम कोई पंद्रह हज़ार रुपए का दंड चुकाने के डर से इतना नाटक थोड़े ही कर रहे थे ? और अब तो सिद्ध ही हो चुका है कि तुम पूरे लम्पट हो । बिना तिल का ताड़ नहीं बनता । अगर कोई बनाना भी चाहे तो संभव नहीं है जैसे कि कोई हम पर आरोप लगाए कि तुमने लिंकन का मर्डर किया तो यह कैसे हो सकता है क्योंकि न तो लिंकन भारत आए और न ही हम अमरीका गए और न ही उस समय हमारा जन्म हुआ था । और फिर कितना भी हल्ला मचे क्या हम स्वीकार कर लेंगे । नहीं । पर तुमने स्वीकार किया इसका मतलब ही है कि वह लड़की सही थी । अब भी थूक कर चाटा कि नहीं । चलो मुफ़्त में ही इतनी पब्लिसिटी मिल गई ।
पर यह याद रखो जो जैसा होता है उसे वैसा ही सौ कोस का चक्कर देकर भी मिल जाता है । एक किस्सा सुनाते हैं- एक मियाँजी ने बुढ़ापे में शादी की । मियाँ के मुँह में एक ही दाँत बचा था । और सामान भी उसी के अनुकूल था । जवान बीवी कहाँ से मिलती । किसी दलाल ने मेक अप करवाकर, नकली दाँत लगवा कर उसे एक बुढ़िया भिड़ा दी । मियाँ बड़े खुश । सुहागरात को ही उन्होंने अपनी कुंठा निकालने के लिए अपनी बेगम से कहा- बेगम, मर्द तो एक दंता (एक दाँत वाला) ही भला । बेगम कौन सी कम थी । उसने भी अपनी बत्तीसी निकाल मियाँ के हाथों में रख दी और बोली-ए मियाँ, मरे हाड़ों का भी क्या लाड़ । मुँह तो सफमसफा ही भला । सो भैया, हमारे अनुसार तो एक तरह से जैसे को तैसा ही हुआ है । सानिया की भी सगाई तो हो ही गई थी । सगाई को वाग्दान भी कहते हैं । एक प्रकार से सानिया के माता-पिता ने उसे सोहराब को दान दे ही दिया था और सानिया ने भी सहमति दे ही दी थी । सो हमारे हिसाब से तो वह भी शुद्ध फर्स्टहैण्ड नहीं है ।
अब आगे हमें तो यही चिंता सता रही है कि कहीं इतिहास अपने को दुहराने न लग जाए क्योंकि यहाँ की एक अभिनेत्री रीना राय ने भी एक पाकिस्तानी क्रिकेटर मोहसिन खान से शादी की थी और अब पता नहीं कहाँ अपने अकेले दिन काट रही है । और एक थी जेमाइमा जिसे इमरान खान इंग्लैण्ड से लाए थे और अब वह भी तलाक प्राप्त करके लन्दन में तशरीफ फरमा रही है ।
ज्योतिष कहता है कि एक ही राशि वालों की कम ही बनती है । तुम्हारा नाम भी 'एस' से शुरु होता है और सानिया का भी । नाम तो हमारा और हमारी पत्नी का भी एक ही अक्षर से शुरु होता है पर हमने तो एक साल पहले ही अपनी शादी की स्वर्ण जयन्ती मनाई थी । सो ज़रूरी नहीं कि ऐसा हो ही पर तुम्हारी आदतों को देखते-जानते हुए यही संभावना ज्यादा नज़र आती है कि कहीं दो-तीन साल बाद सानिया भी वापिस न आ जाए । अब ज़िद पर चढ़ी सानिया हमारी बात तो मानेगी नहीं फिर भी हम उसे यह सुझाव तो दे ही सकते है कि वह दो बिलियन डालर से कम के मेहर पर सहमत न हो क्योंकि तुम्हारी लम्पटताओं का कोई ठिकाना नहीं ।
तुम्हारे बारे में तो अब क्या कहें पर हम सानिया के दीर्घ और सुखी वैवाहिक जीवन की ज़रूर कामना करते हैं और यह भी आशा करते हैं कि वह बिना किसी दबाव के खेले और नई-नई सफलताएँ हासिल करे । हम तो इसी से खुश हो जाएँगे कि वह भारत मूल की है ।
८-४-२०१०
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
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Jhootha Sach
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इतने दिनों से फ़ालतू का नाटक चल रहा है. दोनों खिलाड़ियों ने जैसे टीआरपी बढाने के लिये तमाम तमाशे किये. और ये न्यूज़ चैनल वाले भी , पूरे दिन फ़िजूल की बहस चलाये रहते हैं. जैसे इन सैलिब्रिटी के अलावा और कोई खबर ही न हो. अच्छा आलेख.
ReplyDeleteवाह गुरु जी, वाह, क्या खूब मारा है और सफमसफा. हा हा हा..
ReplyDeleteबहुत खूब जोशी जी ! लेकिन का फायदा...... 'कोयलो होय न उजरो सौ मन साबुन खाय !!' वैसे हमारे बिहार में भी एक कहावत है, "जग जीत लिओ री मोरी कानी ! वर खड़े होयें तो जानी !!" धन्यवाद !!!
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