Aug 25, 2010

बिहार के वैज्ञानिक पेटेंट

लालू जी,
जय विज्ञान । वैसे तो यह नारा, नेहरू जी और शास्त्री जी के नारों 'आराम है हराम' और 'जय जवान, जय किसान' की तर्ज पर अटल जी ने दिया था मगर अधिक लोकप्रिय नहीं हो सका क्योंकि उन्होंने कविताएँ अधिक सुनाई, कोई वैज्ञानिक काम नहीं किया । कहने को कहा जा सकता है कि उन्होंने परमाणु परीक्षण करवाया पर वह बम तो कांग्रेस के समय में बन गया था । अटल जी ने तो केवन माचिस दिखाई थी । पर आप बहुत प्रेक्टिकल व्यक्ति हैं । बम भी खुद ही बनाएँगे और माचिस भी खुद ही लगाएँगे । इसलिए हमें विश्वास है कि विज्ञान की उन्नति अवश्य होगी । हमें तो उन्नति से मतलब है, इससे क्या कि नारा किसने दिया ।

लोग कह सकते हैं कि आप तो कला वर्ग के विद्यार्थी रहे हैं, विज्ञान के बारे में क्या जानें ? वे यह भूल जाते हैं कि विज्ञान वर्ग में कोई विज्ञान नहीं है । जितने भी विज्ञान है सारे कला वर्ग में ही हैं जैसे राजनीति विज्ञान, गृह विज्ञान, भाषा विज्ञान आदि । विज्ञान में कोई भी विज्ञान नहीं है, हैं तो क्या- फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलोजी आदि । वैसे भी आपकी रुचियों का विस्तार घास से आकाश तक है तो विज्ञान कैसे छूट जाएगा । अभी छः अगस्त को आपने कहा कि हमारे यहाँ नई दवाओं में शोध कार्य नहीं हो रहे हैं और गोमूत्र और स्वमूत्र का पेटेंट होना चाहिए ।

इस संबंध में हम आपको बताना चाहते हैं कि निराशा जैसी कोई बात नहीं है । दवा ही क्या और भी बहुत से क्षेत्र हैं जिनमें बड़े-बड़े आविष्कार हुए हैं । कई आविष्कारों में तो आपका भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है मगर आप भूल गए । आपका तो सिद्धांत है कि 'नेकी कर दरिया में डाल' । इसलिए आपकी जानकारी के लिए विगत दो दशकों में और विशेष रूप से बिहार में हुए अनुसंधानों से आपको अवगत कराना चाहते हैं ।

बिहार के पशु पालन विभाग के डाक्टरों ने एक भूख बढ़ाने वाली दवा का आविष्कार किया जिसके कारण एक मुर्गी एक दिन में आठ सौ रुपए का खाना खाने लगी । वैसे साधारण मुर्गी सारे दिन में रुपए-आठ आने का अनाज खाती होगी मगर दवा का प्रभाव ही कुछ ऐसा था । हमारे कई मित्र पूछते हैं कि आठ सौ रुपए में तो उस ज़माने में आठ किलो घी या तीन किलो बादाम आ जाते थे । क्या एक मुर्गी इतना खा सकती ? क्या तुम तीन किलो बादाम एक दिन में खा सकते हो ? उन अज्ञानियों को दवा की शक्ति का पता नहीं । मगर पेटेंट देने वाले विदेशी लोगों ने बदमशी की और बिहार की इस उपलब्धि को नज़रअंदाज कर दिया । जब कि उसका सारा रिकार्ड अभी भी फाइलों में मौजूद है । आप चाहें तो पेटेंट के लिए आगे बढ़ा सकते हैं ।

इसी तरह से उन्हीं दिनों में एक और उपलब्धि हासिल की गई थी कि एक स्कूटर चालक अपने स्कूटर पर चार भैंसों को पीछे बैठाकर हरियाणा से पटना तक ले गया । स्कूटर की क्षमता वृद्धि के लिए उस चालक को कोई भी पुरस्कार नहीं मिला और न ही उन भैंसों को बी.बी.ए. (बैचलर आफ बिजनेस मैनेजमेंट नहीं, भैंस बेलेंसिंग अवार्ड) दिया गया । आज तक ऐसा चमत्कार कहीं नहीं हुआ मगर बात मान्यता की है । बिना पेटेंट के ये उपलब्धियाँ भी इतिहास के गर्भ में समा जाएँगी ।

आप चाहें तो अब नीतीश जी कार्यकाल में भी कई नई उपलब्धियाँ हासिल हुईं हैं, जिन्हें कि पेटेंट की दरकार है । हमें विश्वास है कि आप पार्टी पोलिटिक्स से ऊपर उठ कर उन उपलब्धियों को भी मान्यता दिलवाएँगे । पहली उपलब्धि है नालंदा के एक प्राथमिक स्वास्थ्य की जिसमें एक महिला ने दो महीने में चार बार डिलीवरी हुई । भले ही दुनिया के सारे डाक्टर अपना माथा फोड़ें पर यह भी सच है । महिला का फोटो, डाक्टर का इलाज, कैशियर का रजिस्टर सब मौजूद हैं । क्या ये सब झूठ हो सकते हैं ? इस तकनीक का भी पेटेंट होना चाहिए । बहुत सी महिलाएँ हैं जिन्हें डाक्टरों की हजार कोशिशों के बावजूद एक भी बच्चा नहीं होता । बहुत से देश हैं जिनकी जनसंख्या घटती जा रही है । वे तो इस तकनीक को लपक कर लेंगे । देश मालामाल हो जाएगा पर पहले इसका पेटेंट तो हो । जल्दी की जानी चाहिए । पिछली बार कोसी नदी में आई बाढ़ के समय वक्त की नजाकत को देखते हुए राहत सामग्री पहुँचाने के लिए कुछ साहसी लोगों ने एक ऐसी तकनीक लगाईं कि एक स्कूटर पर ही ९२५० किलो राहत सामग्री लाद कर ले गए । कुछ लोग इसमें भी भ्रष्टाचार देखते हैं जब कि उस स्कूटर ड्राइवर और सम्बंधित अधिकारियों की, पीड़ित लोगो को राहत पहुँचाने की, ललक नहीं देखते । भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो वालों की हठधर्मिता और दादागीरी के चलते कहीं यह तकनीक दब न जाए उससे पहले ही पता किया जाना चाहिए कि स्कूटर की इतनी क्षमता बढ़ाने की वह तकनीक क्या थी । और फिर उसका पेटेंट करवा लिया जाना चाहिए ।

आपने अनुसन्धान करने और पेटेंट करवाने के संदर्भ में ही स्वमूत्र और गोमूत्र के पेटेंट की भी बात कही थी किन्तु वह एक महत्वपूर्ण और विस्तृत विषय है उसके बारे में भी हम आपसे चर्चा करना चाहेंगे मगर अभी नहीं । वह अगले पत्र में । तब तक आप इन पेटेंटों के बारे में कार्यवाही शुरू कर दें ।

२३-८-२०१०

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.Jhootha Sach

2 comments:

  1. अच्छा कटाक्ष किया बाबू साहिब के उप्पर.

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