टोपी के पैसे
तोताराम ने आते ही जुमला उछाला- यार मास्टर, तुम्हारा यह केजरीवाल भी अजीब आदमी है । ज़रा-ज़रा सी बातों में भ्रष्टाचार ढूँढ़ता है । अब और कुछ नहीं मिला तो कहता है- मोदी और राहुल के पास अम्बानी के हेलीकोप्टर में उड़ने का पैसा कहाँ से आता है ? हिसाब बताओ ।
अरे भाई, मोदी और राहुल दोनों का ही गुजरात से संबंध है और अम्बानी भी गुजरात का है । अब मान लो अम्बानी अपने हेलिकोप्टर से कहीं जा रहा है और राहुल या मोदी ने लिफ्ट लेने के लिए हाथ दे दिया और उसने इंसानियत के नाते इन्हें बैठा लिया तो क्या अन्याय हो गया । आदमी ही आदमी के काम आता है । या फिर इन्होंने उसका हेलिकोप्टर माँग लिया तो भी क्या ज़ुल्म हो गया । क्या अड़ोस-पड़ोस में कोई किसी की साइकल या बैलगाड़ी माँग कर नहीं ले जाता ? चुनाव आयोग के नियम अपनी जगह हैं लेकिन इंसान- इंसान का रिश्ता थोड़े ही ख़त्म हो गया । हेलिकोप्टर तो इसे भी मिल सकता है । अम्बानी क्या इसका कोई दुश्मन है ? अरे, तुम्हें चाहिए तो तुम भी माँग लो । अब यह तो नहीं हो सकता कि तुम उसकी टाँग खींचो और वही तुम्हें बिना माँगे हेलीकोप्टर देने आए ।
अब आया है ऊँट पहाड़ के नीचे । भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने ऐसा सवाल पूछा है कि ज़वाब देते-देते सारी इन्कमटेक्स कमिशनरी निकल जाएगी । अब बच्चू कैसे बताएगा कि इतनी सी आमदनी में टोपी खरीदने के पैसे कहाँ से आए ? पहले तो बीवी और खुद की दोनों की तनख्वाह थी । अब तो एक की तनख्वाह ही रह गई है । और यह किसी आरक्षित श्रेणी में भी नहीं आता । फिर भी टोपी ही नहीं, ऊपर से मफलर लगाने की विलासिता ! कहाँ से और कैसे अफोर्ड करता है ?
जब दुनिया समृद्ध थी तब की बात और थी । तब सभी देशों के लोग- पुरुष और महिलाएँ सब सिर ढँकते थे लेकिन अब इस महँगाई में कहाँ किसी की सिर ढँकने की औकात बची है । भारत की तो बात ही छोड़ो अमरीका, ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, आस्ट्रेलिया, चीन और जापान तक के प्रधान मंत्रियों और राष्ट्रपतियों तक की सिर ढँकने की औकात है क्या ? साठ के दशक तक में अमरीका के राष्ट्रपति आइजनहावर और रूस के ख्रुश्चोव को हमने नंगे सिर ही देखा । मोदी, अम्बानी, राहुल, टाटा, मित्तल किसकी हैसियत है टोपी लगाने की । माइक्रोसोफ्ट का सत्यनारायण नडाल भी टोपी न खरीद पाने के कारण अपनी चाँद दिखाने को मज़बूर है । साठ साल में लोगों के सिर सलामत नहीं बचे और इसे देखो- सिर भी सलामत है और टोपी भी और ऊपर से मफलर भी । ये ठाठ ऐसे ही नहीं हैं । मुझे तो लगता है इसका ज़रूर स्विस बैंक में खाता है ।
हमने कहा- तोताराम, स्विस बैंक वाला मामला बड़ा टेढ़ा है । इसे फँसाने वाले भी फँस सकते हैं । अभी तो केंद्र में सरकार कांग्रेस की है और कुछ राज्यों में भाजपा की । दोनों मिलकर कोई अध्यादेश लाएँ और कम से कम टोपी पर तो प्रतिबन्ध लगा ही दें ।
तोताराम ने कहा- यह भी नहीं हो सकता क्योंकि अधिवेशन में कांग्रेसियों को और पथ-संचलन में भाजपा को टोपी लगाने की ज़रूरत पड़ती है । और फिर लोगों को टोपी पहनाए बिना इनकी राजनीति भी तो नहीं चलती ।
हमने कहा- लेकिन केजरीवाल अपनी टोपी पहनता ही है, दूसरों को पहनाता तो नहीं ।
तोताराम कहने लगा- केजरीवाल दूसरों की टोपी नहीं पहनता और अपनी पहनाता नहीं इसीलिए तो यह व्यापक विनाश के हथियार की तरह खतरनाक है । भला किसी की टोपी पहने या पहनाए बिना कहीं लोकतंत्र चलता है ?
२२ फरवरी २०१४
पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
तोताराम ने आते ही जुमला उछाला- यार मास्टर, तुम्हारा यह केजरीवाल भी अजीब आदमी है । ज़रा-ज़रा सी बातों में भ्रष्टाचार ढूँढ़ता है । अब और कुछ नहीं मिला तो कहता है- मोदी और राहुल के पास अम्बानी के हेलीकोप्टर में उड़ने का पैसा कहाँ से आता है ? हिसाब बताओ ।
अरे भाई, मोदी और राहुल दोनों का ही गुजरात से संबंध है और अम्बानी भी गुजरात का है । अब मान लो अम्बानी अपने हेलिकोप्टर से कहीं जा रहा है और राहुल या मोदी ने लिफ्ट लेने के लिए हाथ दे दिया और उसने इंसानियत के नाते इन्हें बैठा लिया तो क्या अन्याय हो गया । आदमी ही आदमी के काम आता है । या फिर इन्होंने उसका हेलिकोप्टर माँग लिया तो भी क्या ज़ुल्म हो गया । क्या अड़ोस-पड़ोस में कोई किसी की साइकल या बैलगाड़ी माँग कर नहीं ले जाता ? चुनाव आयोग के नियम अपनी जगह हैं लेकिन इंसान- इंसान का रिश्ता थोड़े ही ख़त्म हो गया । हेलिकोप्टर तो इसे भी मिल सकता है । अम्बानी क्या इसका कोई दुश्मन है ? अरे, तुम्हें चाहिए तो तुम भी माँग लो । अब यह तो नहीं हो सकता कि तुम उसकी टाँग खींचो और वही तुम्हें बिना माँगे हेलीकोप्टर देने आए ।
अब आया है ऊँट पहाड़ के नीचे । भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने ऐसा सवाल पूछा है कि ज़वाब देते-देते सारी इन्कमटेक्स कमिशनरी निकल जाएगी । अब बच्चू कैसे बताएगा कि इतनी सी आमदनी में टोपी खरीदने के पैसे कहाँ से आए ? पहले तो बीवी और खुद की दोनों की तनख्वाह थी । अब तो एक की तनख्वाह ही रह गई है । और यह किसी आरक्षित श्रेणी में भी नहीं आता । फिर भी टोपी ही नहीं, ऊपर से मफलर लगाने की विलासिता ! कहाँ से और कैसे अफोर्ड करता है ?
जब दुनिया समृद्ध थी तब की बात और थी । तब सभी देशों के लोग- पुरुष और महिलाएँ सब सिर ढँकते थे लेकिन अब इस महँगाई में कहाँ किसी की सिर ढँकने की औकात बची है । भारत की तो बात ही छोड़ो अमरीका, ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, आस्ट्रेलिया, चीन और जापान तक के प्रधान मंत्रियों और राष्ट्रपतियों तक की सिर ढँकने की औकात है क्या ? साठ के दशक तक में अमरीका के राष्ट्रपति आइजनहावर और रूस के ख्रुश्चोव को हमने नंगे सिर ही देखा । मोदी, अम्बानी, राहुल, टाटा, मित्तल किसकी हैसियत है टोपी लगाने की । माइक्रोसोफ्ट का सत्यनारायण नडाल भी टोपी न खरीद पाने के कारण अपनी चाँद दिखाने को मज़बूर है । साठ साल में लोगों के सिर सलामत नहीं बचे और इसे देखो- सिर भी सलामत है और टोपी भी और ऊपर से मफलर भी । ये ठाठ ऐसे ही नहीं हैं । मुझे तो लगता है इसका ज़रूर स्विस बैंक में खाता है ।
हमने कहा- तोताराम, स्विस बैंक वाला मामला बड़ा टेढ़ा है । इसे फँसाने वाले भी फँस सकते हैं । अभी तो केंद्र में सरकार कांग्रेस की है और कुछ राज्यों में भाजपा की । दोनों मिलकर कोई अध्यादेश लाएँ और कम से कम टोपी पर तो प्रतिबन्ध लगा ही दें ।
तोताराम ने कहा- यह भी नहीं हो सकता क्योंकि अधिवेशन में कांग्रेसियों को और पथ-संचलन में भाजपा को टोपी लगाने की ज़रूरत पड़ती है । और फिर लोगों को टोपी पहनाए बिना इनकी राजनीति भी तो नहीं चलती ।
हमने कहा- लेकिन केजरीवाल अपनी टोपी पहनता ही है, दूसरों को पहनाता तो नहीं ।
तोताराम कहने लगा- केजरीवाल दूसरों की टोपी नहीं पहनता और अपनी पहनाता नहीं इसीलिए तो यह व्यापक विनाश के हथियार की तरह खतरनाक है । भला किसी की टोपी पहने या पहनाए बिना कहीं लोकतंत्र चलता है ?
२२ फरवरी २०१४
पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
टोपी पहनाने वालों को आपने टोपी पहना दी !...करारा व्यंग !
ReplyDeletenew post शिशु
New post: किस्मत कहे या ........
बिलकूल सही ,बिना टोपी बदले कैसे चलेगी इस देश की राजनीती । लोकतंत्र की पहली माँग है की इसकी टोपी उसके सर ।
ReplyDelete