सच्चा योगी
राजपथ योगपथ बन गया | भारत को इस बहाने फिर जगदगुरु का दर्ज़ा प्राप्त हुआ | हमें भी अध्यापक, सेवानिवृत्त ही सही, होने के कारण कुछ गर्व की अनुभूति हुई और फिर से भविष्य उज्जवल दिखाई देने लगा | एक रिकार्ड बना, ऐसे ही जैसे १६०० मीटर लम्बे पिज़्ज़ा का | लेकिन यह क्या ? येचुरी जी ने सारे मूड का सत्यानाश कर दिया | कहा- कुत्ता भी स्ट्रेचिंग करता है | अब कहाँ कुत्ता और कहाँ ऋषियों का योग और देशभक्तों द्वारा विश्व में उसकी पुनर्स्थापना |
जैसे ही तोताराम आया, हम भिड़ गए- क्या तोताराम ? ये येचुरी जी भी अजीब हैं | नाम तो सीताराम और बातें कहाँ विधर्मियों की सी कर रहे हैं |
बोला- क्या गलत कहा है ? वे सच्चे तत्त्वदर्शी हैं | सत्य के ज्ञाता | अरे, जीव मनुष्य बनने से पहले चौरासी लाख योनियों में भटकता है | अब कैसे इतनी जल्दी अपने भूतकाल को भुला दे ? यदि तूने ध्यान दिया हो तो सारे चौरासी आसनों में एक भी आसन मानवासन या मनुष्यासन नहीं है | सब के सब मानवेतर जीवों से निकले गए हैं |
कछुआ, ऊँट, खरगोश, मछली, कुत्ता, सिंह, बगुला, मोर, मुर्गा, गरुड़, साँप, पतंगा, कबूतर, क्रौंच, टिटहरी आदि से निकले हैं | और यदि वर्ण क्रमानुसार लिखें तो सबसे पहले जो आसन आता है उसका नाम है- अधोमुख श्वानासन- मुँह झुकाए कुत्ता-विनम्रता और समर्पण की साक्षात् मूर्ति | कविता में उपमा देखो तो शेर सी कमर, हिरन-कमल सी आँखें, हंस सी चाल आदि | मानव जैसा कुछ भी नहीं | मनुष्य के पास मनुष्य की स्वामीभक्ति का कोई उदाहरण ही नहीं है | वह भी उसे कुत्ते से लाना पड़ता है |
पत्नी और भाइयों ने साथ छोड़ दिया लेकिन अंत तक युधिष्ठिर का साथ निभाने के लिए स्वयं धर्म को भी कुत्ता बनना पड़ा | आदमी की तो बात ही छोड़, हिमालय में अंत तक साथ निभाने की बात तो दूर, सत्ता छिनने भनक मिलते ही अपने मालिक को काटकर दूसरी पार्टी में जा मिलता है | कुत्ता बनना घटिया आदमी के लिए संभव नहीं | कबीर को भी समर्पण भाव के लिए राम का कुत्ता बनने के सिवा और कोई रास्ता नहीं मिला-
कबीर कुतिया राम की मुतिया मेरो नाम |
वास्तव में मनुष्य बनने के बाद ही मनुष्य को अपनी औकात का पता चलता है | कोई भी जीव न तो मनुष्य जितना डरपोक होता है और न ही स्वार्थी | कोई जीव न तो रिश्वत लेता है, न नकली डिग्री लाता है, न भूख से अधिक खाता है, न संग्रह करता है, न झूठ बोलता है | ठीक समय पर उठता है, मेहनत करके अपना भोजन ढूँढ़ता है, और शाम को संतोष पूर्वक सो जाता है | नाईट ड्यूटी वाले जीव यही काम रात को करते हैं | सब सवेरे उठते ही अपने अपने अनुसार योग करते हैं | किसी को योग करने के लिए, रिकार्ड बनाने के लिए, किसी दिन विशेष की ज़रूरत नहीं पड़ती और न ही इस काम के लिए चीन में बनी चटाइयां चाहिएं |
आदमी तो योग में भी छवि बनाने, ड्रेस बेचने, वोट बैंक बनाने, धार्मिक वितंडा खड़ा करने और योग टीचर बन कर विदेश जाकर डालर कमाने के सपने देखता है | आदमी का मन एकाग्र होता ही कहाँ है ? वह तो शवासन में आँख टेढ़ी करके देखता रहता है कि फोटो खिंच रहा है कि नहीं | वह तो लोगों को ही नहीं, भगवान को भी धोखा देता है |
हमने कहा- हम तो अभी तक सीताराम येचुरी को केवल कम्यूनिस्ट समझते थे | ये तो पहुंचे हुए योगी निकले | कुत्ता धर्म निभाना वास्तव में बहुत कठिन है | तभी कोई भी आदमी 'कुत्ताआसन' नहीं करना चाहता | सब योग के बहाने 'सिंहासन' पर नज़रें जमाए हुए हैं |
राजपथ योगपथ बन गया | भारत को इस बहाने फिर जगदगुरु का दर्ज़ा प्राप्त हुआ | हमें भी अध्यापक, सेवानिवृत्त ही सही, होने के कारण कुछ गर्व की अनुभूति हुई और फिर से भविष्य उज्जवल दिखाई देने लगा | एक रिकार्ड बना, ऐसे ही जैसे १६०० मीटर लम्बे पिज़्ज़ा का | लेकिन यह क्या ? येचुरी जी ने सारे मूड का सत्यानाश कर दिया | कहा- कुत्ता भी स्ट्रेचिंग करता है | अब कहाँ कुत्ता और कहाँ ऋषियों का योग और देशभक्तों द्वारा विश्व में उसकी पुनर्स्थापना |
जैसे ही तोताराम आया, हम भिड़ गए- क्या तोताराम ? ये येचुरी जी भी अजीब हैं | नाम तो सीताराम और बातें कहाँ विधर्मियों की सी कर रहे हैं |
बोला- क्या गलत कहा है ? वे सच्चे तत्त्वदर्शी हैं | सत्य के ज्ञाता | अरे, जीव मनुष्य बनने से पहले चौरासी लाख योनियों में भटकता है | अब कैसे इतनी जल्दी अपने भूतकाल को भुला दे ? यदि तूने ध्यान दिया हो तो सारे चौरासी आसनों में एक भी आसन मानवासन या मनुष्यासन नहीं है | सब के सब मानवेतर जीवों से निकले गए हैं |
कछुआ, ऊँट, खरगोश, मछली, कुत्ता, सिंह, बगुला, मोर, मुर्गा, गरुड़, साँप, पतंगा, कबूतर, क्रौंच, टिटहरी आदि से निकले हैं | और यदि वर्ण क्रमानुसार लिखें तो सबसे पहले जो आसन आता है उसका नाम है- अधोमुख श्वानासन- मुँह झुकाए कुत्ता-विनम्रता और समर्पण की साक्षात् मूर्ति | कविता में उपमा देखो तो शेर सी कमर, हिरन-कमल सी आँखें, हंस सी चाल आदि | मानव जैसा कुछ भी नहीं | मनुष्य के पास मनुष्य की स्वामीभक्ति का कोई उदाहरण ही नहीं है | वह भी उसे कुत्ते से लाना पड़ता है |
पत्नी और भाइयों ने साथ छोड़ दिया लेकिन अंत तक युधिष्ठिर का साथ निभाने के लिए स्वयं धर्म को भी कुत्ता बनना पड़ा | आदमी की तो बात ही छोड़, हिमालय में अंत तक साथ निभाने की बात तो दूर, सत्ता छिनने भनक मिलते ही अपने मालिक को काटकर दूसरी पार्टी में जा मिलता है | कुत्ता बनना घटिया आदमी के लिए संभव नहीं | कबीर को भी समर्पण भाव के लिए राम का कुत्ता बनने के सिवा और कोई रास्ता नहीं मिला-
कबीर कुतिया राम की मुतिया मेरो नाम |
वास्तव में मनुष्य बनने के बाद ही मनुष्य को अपनी औकात का पता चलता है | कोई भी जीव न तो मनुष्य जितना डरपोक होता है और न ही स्वार्थी | कोई जीव न तो रिश्वत लेता है, न नकली डिग्री लाता है, न भूख से अधिक खाता है, न संग्रह करता है, न झूठ बोलता है | ठीक समय पर उठता है, मेहनत करके अपना भोजन ढूँढ़ता है, और शाम को संतोष पूर्वक सो जाता है | नाईट ड्यूटी वाले जीव यही काम रात को करते हैं | सब सवेरे उठते ही अपने अपने अनुसार योग करते हैं | किसी को योग करने के लिए, रिकार्ड बनाने के लिए, किसी दिन विशेष की ज़रूरत नहीं पड़ती और न ही इस काम के लिए चीन में बनी चटाइयां चाहिएं |
आदमी तो योग में भी छवि बनाने, ड्रेस बेचने, वोट बैंक बनाने, धार्मिक वितंडा खड़ा करने और योग टीचर बन कर विदेश जाकर डालर कमाने के सपने देखता है | आदमी का मन एकाग्र होता ही कहाँ है ? वह तो शवासन में आँख टेढ़ी करके देखता रहता है कि फोटो खिंच रहा है कि नहीं | वह तो लोगों को ही नहीं, भगवान को भी धोखा देता है |
हमने कहा- हम तो अभी तक सीताराम येचुरी को केवल कम्यूनिस्ट समझते थे | ये तो पहुंचे हुए योगी निकले | कुत्ता धर्म निभाना वास्तव में बहुत कठिन है | तभी कोई भी आदमी 'कुत्ताआसन' नहीं करना चाहता | सब योग के बहाने 'सिंहासन' पर नज़रें जमाए हुए हैं |
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