गॉड का लिंग-निर्धारण
सभी धर्मों में गॉड, खुदा, ईश्वर आदि को पुल्लिंग ही संबोधित किया जाता है लेकिन वास्तव में वह पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग, इसका कोई अंतिम निर्णय आज तक नहीं हुआ है | हो सकता है उस समय भी भ्रूण के लिंग परीक्षण पर प्रतिबन्ध रहा हो | अब इंग्लैण्ड में कैंटरबरी के आर्क बिशप के घर हुई बैठक में महिला पादरियों ने यह मुद्दा बड़ी सिद्दत से उठाया है कि गॉड को 'ही' ही क्यों लिखा जाए 'शी' क्यों नहीं ? एक सुझाव यह भी था कि एक बार 'ही' और एक बार 'शी' लिखा जाए |
कन्फ्यूज्ड तो हम भी हैं |
आज हमने तोताराम के सामने यह सनातन समस्या रखी तो बोला- इसमें परेशान होने की क्या बात है ? जब जिससे डर लगता है, वही बाप है | ईश्वर सबका बाप है जो नाराज़ होकर नरक में डाल सकता है तो प्रसन्न होकर फ्री में सारी फाइव स्टार सुविधाओं वाले स्वर्ग में फिट करवा सकता है इसलिए पुल्लिंग है | मतलब के लिए तो गधे को भी बाप बनाना शास्त्र सम्मत है फिर गॉड तो वैसे ही बहुत ऊँची चीज है |वैसे महिलाओं को अपने महत्त्व पर शंका नहीं करनी चाहिए क्योंकि गॉड को पुरुष मानने पर भी चर्चों में ननों के बिना काम कहाँ चलता है ? सभी धर्म वाले स्वर्ग में हूरों, परियों और अप्सराओं का लालच दिए बिना भक्तों को आकर्षित नहीं कर सकते |वैसे ईश्वर के पुत्र को भी इस दुनिया में आने के लिए एक स्त्री को ही माध्यम बनाना पड़ा |
हमने कहा- कुछ भी हो लेकिन सभी तो ज्ञानी और निर्गुण भक्त नहीं हो सकते |मन को एकाग्र करने के लिए कोई न कोई विग्रह (स्वरूप) सामने होना ज़रूरी है |
बोला- झगड़ा क्या है ? ईश्वर को उभयलिंगी माना गया है जैसे आत्मा | कोई उसे पुल्लिंग कहता है तो कोई स्त्रीलिंग | शिव और देवताओं को बचाने के लिए विष्णु जी कई बार अपनी इस प्रातिभा का परिचय दे चुके हैं |
ईश्वर को कोमन जेंडर मानने से और भी फायदा है | महिलाएँ ईश्वर को अपना मनपसंद हीरो मानें और पुरुष ईश्वर को अपनी मनपसंद हीरोइन | एक पंथ और कई काज | हमारे यहाँ तो शिव इसीलिए अर्द्धनारीश्वर हैं | कोई झंझट नहीं | दाईं तरफ महिलाएँ बैठें और पुरुष रूप की आराधना कर लें और बाईं तरफ पुरुष बैठकर महिला रूप की पूजा कर लें | यदि पूजा से मन उचट जाए तो एक दूसरे की आराधना कर लें |
हमने कहा- वैसे हर हालत में धर्म और ईश्वर के नाम का चढ़ावा पुजारी जी के पास ही जाएगा और धर्म की राजनीति के बल पर कुर्सी नेता जी के पास | हमें तो लाउड स्पीकर पर फुल वोल्यूम में जागरण सुनकर मजबूरन जागना है | और कबीर ने कहा ही है-
सुखिया सब संसार है खावे और सोवे |
दुखिया दास कबीर है जागे और रोवे |
सभी धर्मों में गॉड, खुदा, ईश्वर आदि को पुल्लिंग ही संबोधित किया जाता है लेकिन वास्तव में वह पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग, इसका कोई अंतिम निर्णय आज तक नहीं हुआ है | हो सकता है उस समय भी भ्रूण के लिंग परीक्षण पर प्रतिबन्ध रहा हो | अब इंग्लैण्ड में कैंटरबरी के आर्क बिशप के घर हुई बैठक में महिला पादरियों ने यह मुद्दा बड़ी सिद्दत से उठाया है कि गॉड को 'ही' ही क्यों लिखा जाए 'शी' क्यों नहीं ? एक सुझाव यह भी था कि एक बार 'ही' और एक बार 'शी' लिखा जाए |
कन्फ्यूज्ड तो हम भी हैं |
आज हमने तोताराम के सामने यह सनातन समस्या रखी तो बोला- इसमें परेशान होने की क्या बात है ? जब जिससे डर लगता है, वही बाप है | ईश्वर सबका बाप है जो नाराज़ होकर नरक में डाल सकता है तो प्रसन्न होकर फ्री में सारी फाइव स्टार सुविधाओं वाले स्वर्ग में फिट करवा सकता है इसलिए पुल्लिंग है | मतलब के लिए तो गधे को भी बाप बनाना शास्त्र सम्मत है फिर गॉड तो वैसे ही बहुत ऊँची चीज है |वैसे महिलाओं को अपने महत्त्व पर शंका नहीं करनी चाहिए क्योंकि गॉड को पुरुष मानने पर भी चर्चों में ननों के बिना काम कहाँ चलता है ? सभी धर्म वाले स्वर्ग में हूरों, परियों और अप्सराओं का लालच दिए बिना भक्तों को आकर्षित नहीं कर सकते |वैसे ईश्वर के पुत्र को भी इस दुनिया में आने के लिए एक स्त्री को ही माध्यम बनाना पड़ा |
हमने कहा- कुछ भी हो लेकिन सभी तो ज्ञानी और निर्गुण भक्त नहीं हो सकते |मन को एकाग्र करने के लिए कोई न कोई विग्रह (स्वरूप) सामने होना ज़रूरी है |
बोला- झगड़ा क्या है ? ईश्वर को उभयलिंगी माना गया है जैसे आत्मा | कोई उसे पुल्लिंग कहता है तो कोई स्त्रीलिंग | शिव और देवताओं को बचाने के लिए विष्णु जी कई बार अपनी इस प्रातिभा का परिचय दे चुके हैं |
ईश्वर को कोमन जेंडर मानने से और भी फायदा है | महिलाएँ ईश्वर को अपना मनपसंद हीरो मानें और पुरुष ईश्वर को अपनी मनपसंद हीरोइन | एक पंथ और कई काज | हमारे यहाँ तो शिव इसीलिए अर्द्धनारीश्वर हैं | कोई झंझट नहीं | दाईं तरफ महिलाएँ बैठें और पुरुष रूप की आराधना कर लें और बाईं तरफ पुरुष बैठकर महिला रूप की पूजा कर लें | यदि पूजा से मन उचट जाए तो एक दूसरे की आराधना कर लें |
हमने कहा- वैसे हर हालत में धर्म और ईश्वर के नाम का चढ़ावा पुजारी जी के पास ही जाएगा और धर्म की राजनीति के बल पर कुर्सी नेता जी के पास | हमें तो लाउड स्पीकर पर फुल वोल्यूम में जागरण सुनकर मजबूरन जागना है | और कबीर ने कहा ही है-
सुखिया सब संसार है खावे और सोवे |
दुखिया दास कबीर है जागे और रोवे |
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