Jun 23, 2015

चटाई का चक्कर

   चटाई का चक्कर

२० मई की रात को अर्थात योग-दिवस की पूर्व-रात्रि को बिजली चली गई थी | दिन में भी तापमान ४५ डिग्री के आसपास था | ये तो हम हैं मरुथल के मूल निवासी जो इस पंचाग्नि सेवन के बावजूद बचे हुए हैं | यदि कोई ठंडे देश का निवासी होता तो अब तक तो बिना योग किए ही परमात्मा के पास पहुँच गया होता | दो बजे तक का तो हमें याद है कि बिजली नहीं आई थी | इसके बाद क्या हुआ पता नहीं | जब आँख खुली तो योग- दिवस का आयोजन राजधानी के राजपथ से लेकर हमारे गाँव के गौरव-पथ तक सभी जगह समाप्त हो चुका था | यह पावन-वेला हमारे बिस्तर में पड़े-पड़े ही बीत गई | अब देश-दुनिया को क्या मुँह दिखाएँगे ? पत्नी भी देर से ही उठी | पता नहीं, तोताराम आया भी था या नहीं |

एक और दिन का गैप लग गया तोताराम को | आज सुबह-सुबह आया, खड़े-खड़े ही कहने लगा-अभी दिल्ली से नाईट बस से आया हूँ | मैं नित्य-कर्म से निबट कर आता हूँ | तू भी जल्दी से तैयार हो जा, बैंक चलेंगे | एक जनवरी २०१५ से मिलने वाली महँगाई- भत्ते की किश्त का पता करना है | एक जुलाई को अगली  किश्त घोषित होने का समय आ गया और पिछली के बकाया का ही कोई हील-हवाल नहीं | 

हमें तोताराम के इस स्वार्थी स्वभाव पर बहुत दुःख है | जाने दो दिन में कितने राष्ट्रीय महत्त्व के विषय उपस्थित हो चुके लेकिन इसे डी.ए. की किश्त के रोने से ही फुर्सत नहीं | सारी दुनिया ने योग-दिवस पर हमें 'विश्व-गुरु' स्वीकार कर लिया, बांग्ला देश ने भारत को एक दिवसीय शृंखला में हरा दिया, मानवीय आधार पर सहायता करने पर भी लोग दोषारोपण करने लगे हैं, उपराष्ट्रपति योग-दिवस कार्यक्रम में नहीं थे, ओबामा ने मान लिया है कि नस्ल भेद अमरीका के डी.एन.ए. में है (डाक्टर कहते हैं कि डी.एन.ए. को बदलना असंभव है )|

इतने सारे महत्त्वपूर्ण मुद्दों के बीच यह डी.ए. की किश्त | खैर, हमने पूछा- करवा आया दिल्ली में योग-दिवस का कार्यक्रम सफल | अच्छा रहा, जो तू चला गया अन्यथा इतना बड़ा कार्यक्रम अकेले मोदी जी के वश का नहीं था | लेकिन क्या बताएं, बन्धु ! हम तो योग-दिवस में शामिल नहीं हो सके | पहले बिजली नहीं थी और आधी रात के बाद आई तो ऐसी नींद लगी कि सोते-सोते ही योग-दिवस हो गया | 

अब तोताराम ने हमें पकड़ लिया- बस, अब समझ में आया डी.ए. की किश्त का बैंक में न जाने का कारण | अरे, खटिया तोड़ कर पंद्रह हजार महिने की पेंशन फाड़ रहे हो और सरकारी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए | सरकारी कर्मचारी वह पत्नी है जो न तो दूसरा विवाह कर सकती है और न ही दिवंगत पति के श्राद्ध के उत्तरदायित्व से मुक्त हो सकती है | जब तक जिंदा हैं हम, और हमारे बाद जो भी पेंशन का लाभ लेगा उसे ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होना होगा | 

हम तो घबरा गए | यह क्या हो गया ? कहीं पेंशन तो बंद नहीं हो जाएगी | हमने कहा- तोताराम, किसी से कहना नहीं | गलती तो बहुत बड़ी हो गई | कोई रास्ता सोच | 
बोला- तो मँगा चाय के साथ मिठाई भी | अगर इन्क्वायरी आई तो कह देना उपयुक्त चटाई नहीं थी इसलिए बिस्तर में दरी पर लेटे-लेटे ही साढ़े सात से साढ़े आठ तक 'शवासन' कर लिया | 'अर्द्ध सत्य' | 

हमारी घबराहट कुछ कम हुई | पूछा- तेरा दिल्ली का योग कैसा रहा ?

कहने लगा- मैं कौनसा योग करने गया था | मैं तो उन सरकारी अधिकारियों और देशभक्त योगियों से मुफ्त में मिली चटाइयाँ सस्ते में खरीदने गया था | सोचा था अगले साल मौका लग गया तो सस्ता टेंडर भरकर दो पैसे कमा लूँगा |

हमने पूछा- तो बना कुछ काम | 

बोला- भैया, वह दिल्ली है | जहाँ लोग मूत में से भी मच्छी पकड़ते हैं |  भूले-भटके लंका और पाकिस्तान की जल-सीमा में निकल जाने वाले मछुआरे तो वैसे ही बदनाम हैं | सप्लायर कार्यक्रम समाप्त होते ही योग-पथ से ही सारी चटाइयाँ बीस-बीस रुपए में समेट ले गया |


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