Jun 7, 2015

हम विषपायी जन्म के...

हम विषपायी जन्म के......

आजकल भगवान भास्कर पाँच बजे ही निकलूँ-निकलूँ हो जाते हैं |  अभी बरामदे में खड़े आँखों पर पानी के छींटे मार ही रहे थे कि पोलीथिन बीनने वालों जैसा एक बड़ा सा कट्टा कंधे पर रखे तोताराम जयपुर रोड़ की तरफ से आता हुआ दिखाई दिया | हमने हँसते हुए पूछा- क्यों, यह काम कब से शुरू कर दिया ?

बोला- माल है, माल | आधे दामों में मिल गया सो इकठ्ठा ही ले आया | 

हमने पूछा- मगर यह माल है क्या ?

कहने लगा- इस समय कम दामों में मैगी के अलावा और क्या मिल सकता है ? 
हमने कहा- मैगी ? क्यों मरना है क्या ?

-और नहीं खाएँगे तो क्याअमर हो जाएँगे ? भले ही नाम विदेशी हो लेकिन है तो 'मेक इन इण्डिया' |और अब तो सब कुछ मेक इन इण्डिया ही होने वाला है | कब तक बचेंगे | और फिर शुद्ध भारतीय और मेड बाई भारतीय की ही कौनसी शुद्धता की गारंटी है ? यहाँ कौन शुद्ध दूध-घी-मावा, दवाइयाँ, मिलते हैं ? छत्तीसगढ़ में परिवार नियोजन कैम्प में काम मे ली गई दवाइयाँ  तो शुद्ध राष्ट्रीय थीं | कुछ पता चला, कार्यवाही हुई ? अस्पतालों में मुफ्त मिलने वाली दवाइयाँ कोई गरीब भी नहीं लेना चाहता | सबको पता है कि कौन, क्यों और कैसे इन्हें बनाता और कौन क्यों खरीदवाता है |  सब जानते हैं कि च्यवन ऋषि के नाम से बिकने वाले च्यवनप्राश में आँवला कम और शकरकंद ज्यादा होता है | आयुर्वेद की सबसे सस्ती जड़ी सनाय तक तो शुद्ध मिलती नहीं |मसालों का सच हर ग्राहक जानता है | किसी डिटर्जेंट में नीबू नहीं है | साठ प्रतिशत चाय लकड़ी और चमड़े का बुरादा है | जब मरना ही है तो क्यों महँगी चीज खरीदी जाए | 

और फिर किस-किस चीज से बचोगे ? आज तक कोकाकोला वाले ने अपना फार्मूला नहीं बताया है और बताएगा भी नहीं | अमरीका में बड़े-बड़े वैज्ञानिक कहते हैं कि इससे कैंसर हो सकता है लेकिन अमरीका में ही बंद नहीं हुआ | इंदिरा नूई पर हम गर्व करते हैं लेकिन उसे दुनिया की सौ प्रभावशाली महिलाओं में पहला स्थान इसलिए मिल सका कि उसने भारत में कोकाकोला की बिक्री बढ़ा दी | १९७७ में जोर्ज फर्नान्डीज़ ने इसे बंद करवा दिया तो उसके प्रतिशोध में, दो दशक बाद ही सही, अमरीका ने उनके कपड़े उतरवा लिए थे | 

हमने पूछा- तो क्या यह तूफ़ान व्यर्थ है ?

बोला- बिलकुल | ये सब तो झूठी सक्रियता दिखाने के नाटक हैं | वैसे वास्तविक चिंता किसी को नहीं है | यदि चिंता ही होती तो सत्तर साल में जनता को साफ़ पानी तो मिलता |हवा और बातों तक में ज़हर घुला हुआ है |

हमने कहा- तुम्हारी बात तो सच है | स्थिति वास्तव में चिंताजनक है लेकिन करें क्या ?

बोला- करना क्या है ? मौज़ करो, गर्व करो कि कल तक दुनिया के इस पिछड़े देश के लिए विकसित देश सेवइयां, नमकीन, ब्रेड-बिस्किट बना रहे हैं | आज तक इस देश की महिलाओं की जवानी रोटियाँ सेंकने और सेवइयां में ही बीतती थी |अब दो मिनट में खाना तैयार तो  शेष समय में टी.वी.देखो, मोबाइल पर बतियाओ, जिम जाओ, ब्यूटीपार्लर जाओ | देश को स्मार्ट नहीं बनाना क्या ? खाए जाओ, खाए जाओ, मल्टीनेशनल के गुण गाए जाओ | 

और फिर डरें वे जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है | हम तो विषपायी शिव और मीरा के देश वाले हैं | हमें कुछ नहीं होगा |  जब नेताओं के समाज में विद्वेष फ़ैलाने वाले बयान इस देश के सांप्रदायिक सद्भाव को नहीं मिटा सके तो हम देशी-विदेशी सभी अच्छे बुरे उत्पादों को पचा जाएँगे |और फिर धंधा करने वाला विदेशी हो या देशी सेवा नहीं, मुनाफे के लिए निवेश करता है |
 

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