Apr 5, 2016

पाकिट में प्रधानमंत्री

  पाकिट में प्रधानमंत्री



पता नहीं, आज सुबह तोताराम क्यों नहीं आया ?

आजकल सुबह नौ-दस बजे ही धूप तेज़ हो जाती है | हमने तो  दोपहर दस से चार बजे शाम तक कमरे में शीत-समाधि लेने का गरमी वाला स्थाई कार्यक्रम शुरू कर दिया है |अभी कोई दो बजे होंगे |बाहर पारा कम से कम ३९-४० डिग्री पहुँचा हुआ है | अमरीका में तो इतनी गरमी में कई बुज़ुर्ग अपने लॉन की घास काटते हुए मर जाते हैं और एक हम हैं कि चोहत्तर साल से इसे निर्विघ्न झेल रहे हैं |आदत की बात है |

तभी किसी ने दरवाज़ा भड़भड़ाया |खोला तो पसीने से तरबतर तोताराम |हमने उसे अन्दर लिया |लगा, जैसे अन्दर आते हुए कुछ लँगड़ा भी रहा है |

पूछा- इस बरसती आग में कहाँ निकल गया था ? ऐसी आग में तो बम रखने के लिए आतंकवादीऔर चुनाव सभा को संबोधित करने के लिए नेता भी नहीं निकलते |और फिर तू लँगड़ा क्यों रहा है ? गरमी से बेहाल होकर कोई लड़खड़ा तो सकता है लेकिन तेरी यह तैमूरलंगी मुद्रा कैसे हो गई ?

बोला- बोझ के कारण ऐसा हो जाता है |दाहिनी जेब में वज़न है इसलिए दाईं तरफ थोड़ा झुकाव हो रहा है |

हमने कहा- देखने में तो ऐसा कुछ बड़ा सामान नहीं लग रहा जेब में कि जिसके वज़न से आदमी लँगड़ाने लगे |

बोला- तू सामान की बात कर रहा है ? इसमें कोई सामान नहीं बल्कि स्वयं नरेन्द्र भाई हैं, अपने प्रधानमंत्री |

आश्चर्य से हमारा मुँह खुला का खुला रह गया |प्रधानमंत्री और तेरी जेब में |क्या बात कर रहा है अट्ठाईस इंच के सीने वाले मास्टर, छप्पन इंच के सीने वाले प्रधानमंत्री और सो भी तेरी जेब में | खैर, निकालकर दिखा |
तोताराम ने एक मोबाइल फोन निकालकर हमारे सामने रख दिया |

हमने कहा- ये प्रधान मंत्री थोड़े ही हैं, यह तो मोबाइल है | लगता है किसी ने तुझे उल्लू बना दिया है |जितने का तेरा यह मोबाइल है उतने में तो उनकी एक ड्रेस तक नहीं बन सकती |वे देश के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री हैं लेकिन यह कैसे हो सकता है कि वे दीपक वाले जिन्न की तरह मोबाइल में घुस जाएँ |

बोला- तू हर बात को शाब्दिक अर्थ में मत लिया कर |सुन, मोदी जी ने रियाद में वहाँ के भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा है कि आप अपने मोबाइल पर MYGOV एप डाउनलोड करें, मैं आपकी जेब में हूँ |इससे अधिक और क्या चाहिए कि प्रधानमंत्री आपकी जेब में हो |इसलिए मैं आज जैसे ही बैंक खुला पेंशन निकालकर ग्यारह हजार रुपए में यह वाट्स ऐप ले आया |परसों तेरे पास से वाट्स ऐप माँगकर बिना बात शर्मिंदा होना पड़ा |

हमने कहा- तोताराम, वे तो स्वयं इस समय दुनिया को अपनी जेब में रखे घूम रहे हैं |ओबामा जी तक को 'बराक' कहकर संबोधित करने का साहस आज तक क्या कोई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति कर सका है ? वे तो सब प्रकार के मायामोह से विरक्त व्यक्ति हैं उन्हें कौन अपनी जेब में रख सकता है ? वे किसी लालच या धौंस में आने वाले नहीं हैं |
बोला- बात समझाकर |जेब में होने का मतलब यह है कि जब भी कोई संकट हो, समस्या हो तो फट से अपना  वाट्स ऐप निकालो और उनसे संपर्क करो और वे हाज़िर हो जाएँगे |

हमने कहा- बन्धु, यह वैसी ही उपलब्धि है जैसे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति भारतवासियों को होली, दिवाली की बधाई देते हैं या राष्ट्र को कोई बाँध, पुल या सड़क समर्पित करते हैं और हम समझते हैं कि बस, मुझसे ही बतिया रहे हैं जैसे कि फिल्म में आइटम सोंग देखने वाला हर दर्शक यही समझता है कि यह छमकछल्लो मेरी तरफ ही आँख मार रही है |हाँ, इस भ्रम में दो-चार करोड़ वाट्स ऐप ज़रूर बिक जाएँगे |

बोला- ऐसा नहीं है | मैंने खुद खबर पढ़ी है कि एक महिला यात्री ने रेल मंत्री को वाट्स ऐप  किया कि मेरे बच्चे को दूध चाहिए तो अगले स्टेशन पर स्टेशन मास्टर दूध लेकर हाज़िर |और मैंने प्रधानमंत्री जी को एक सुझाव भेजा |पहले तो रजिस्टर्ड पत्र तक की रसीद नहीं आती थी लेकिन इसमें तो तत्काल मेरे पास ज़वाब आ गया कि आपका मेल मिला,धन्यवाद | अब और क्या चाहिए ?

हमने कहा- यह ज़वाब प्रधानमंत्री जी का नहीं है | यह तो स्वचालित सिस्टम से अपने आप चला जाता है |

अब एक किस्सा सुन |एक आदमी ने नया-नया मोबाइल फोन लिया | फोन का बेलेंस ख़त्म हो गया |उसने फोन लगाया तो दूसरी तरफ से आवाज़ आई- प्रिय ग्राहक, आपका बेलेंस समाप्त हो गया है |बात करने के लिए अपने फोन में बेलेंस डलवाएँ, धन्यवाद | ग्राहक ने उत्तर दिया- जी, बेलेंस डलवाने की क्या ज़रूरत है |मुझे तो आपकी मधुर आवाज़ सुननी थी और वह फ्री में ही सुनने को मिल गई |और क्या चाहिए ?

अब अपने फोन से हमारा एक फोटो खींच और बैंक वाले को भेज दे और कह दे कि इसे हमारी नई पासबुक पर लगा दे |प्रधानमंत्री तो छोड़, देखते हैं, बैंकवाला तेरी कितनी सुनता है ?

ले ठंडा पानी पी,और जहाँ तक हमारे जुमले के अर्थ की बात है तो घर जाकर फुर्सत से समझना |




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