घुसपैठ का इलाज़
भारत की सबसे बड़ी समस्या है- घुसपैठ | वैसे तो घुसपैठ हर क्षेत्र में होती है |लोग नौकरियों में नकली सर्टिफिकेट देकर घुस जाते हैं, निक्कर और टोपी में फोटो खिंचवाकर पार्टी में घुस जाते हैं |कुछ ऐसे होते हैं जो थोड़ी देर में लिए घुसते हैं और काम होते ही गायब हो जाते हैं जैसे चोर |या फिर आवाज़ देने वाली आत्मा वाले नेता जो नई पार्टी के सत्ता में आते ही उसमें घुस जाते हैं और फिर जब कोई और पार्टी सत्ता में आती है तो उनकी आत्मा आवाज़ देती है और वे उसमें घुस जाते हैं |
लेकिन हम यहाँ जिस घुसपैठ के बारे में विचार कर रहे हैं वह है सीमापार से घुसपैठ |कुछ घुसपैठ तो वोट बैंक के लिए की जाती है जिसका मुद्दा विपक्षी पार्टी उठाती है और कुछ घुसपैठ ऐसी हैं जिनमें घुसपैठिये क्रिकेट या ख्वाजा साहिब या फिर ऐसे ही किसी और बहाने से थोड़े समय के लिए आते हैं फिर या तो गायब हो जाते हैं या गड़बड़ करके वापिस चले जाते हैं |सच्चे घुसपैठिए वे होते हैं जो 'घुस कर' 'पैठ' या बैठ ही जाते हैं |
देश ही हर सरकार इसी समस्या के इलाज़ के लिए कभी सीमा पर बाड़ बनवाती है, कभी कैमरे लगवाती है,कभी सीमा सुरक्षा बल की संख्या बढ़ाती है, कभी भारत प्रशासित कश्मीर की सरकार को विशेष पैकेज देती है | इस प्रकार निरंतर खर्चा बढ़ता रहता है | एक बार तो हमने एक प्रधान मंत्री जी को सुझाव भी दिया था कि इतना खर्च करने की बजाय क्या यह उचित नहीं रहेगा कि इसका ठेका उसके आधे में पाकिस्तान को ही दे दिया जाए |सस्ते में काम हो जाएगा और फिर यदि सेवा में कुछ कमी रहेगी तो हम पाकिस्तान के विरुद्ध उपभोक्ता अदालत में तो जा सकेंगे |लेकिन हमारे इस क्रांतिकारी सुझाव पर विचार नहीं किया गया; खैर,माँगे-बिना माँगे,हमारा तो काम है सुझाव देना, सो दे दिया |
आज जैसे ही तोताराम आया हमने उसके सामने इस घुसपैठ का ज़िक्र किया तो बोला- चिंता की कोई बात नहीं है |अब अपने अमित जी मतलब भाजपा के महानायक अमित शाह जी ने इसका उपाय खोज लिया है |
हमने आश्चर्य से कहा- अच्छा ? क्या उपाय है ?
बोला- बस, जनता केंद्र और राज्य दोनों में ही भाजपा की सरकारें बनवा दे तो यह समस्या हल हो जाएगी |
हमने कहा- भई, इस बात का तो कोई अंत नहीं है | जब दोनों जगह बनवा देंगे तो कहेंगे नगरपालिकाओं और पंचायतों में हमारी सरकार बनवाओ, वहाँ भी बनवा देंगे तो कहेंगे अब उस पार्टी से भारत को मुक्त करो जिसने अब तक देश का सत्यानाश करने के अलावा कोई काम किया ही नहीं |इस तरह से तो पूरी शताब्दी निकाल देंगे |हाँ, एक बात हो सकती है कि यदि भारत की जनता पाकिस्तान में भी भाजपा की सरकार बनवा दे तो शायद समस्या हल कर दें |
कहने लगा- बन्धु, मैं तो वैसे ही बात कर रहा था |पाकिस्तान का काम तो और भी विकट है |उसके यहाँ तो आतंकवाद में हमसे ज्यादा लोग मारे जा रहे हैं |जब वह खुद ही अपने यहाँ का आतंकवाद समाप्त कर नहीं पा रहा है तो वहाँ का चुनाव जीत कर हम क्या टाँके तोड़ लेंगे |हमसे तो अपनी ही नाक साफ़ नहीं हो पा रही है |
ये काम ऐसे बच्चों वाले बहाने और 'अगर', 'यदि' से नहीं होने वाले | सबसे पहले तो हम अपने यहाँ के बिना बात भड़काने वाले बयानों को बंद करवाएँ और सब को विश्वास में लेकर कोई दृढ़ संकल्प वाला कदम उठाएँ तो कुछ बात बन सकती है अन्यथा तो यह भी अन्य जुमलों की तरह एक जुमला मात्र ही है |
भारत की सबसे बड़ी समस्या है- घुसपैठ | वैसे तो घुसपैठ हर क्षेत्र में होती है |लोग नौकरियों में नकली सर्टिफिकेट देकर घुस जाते हैं, निक्कर और टोपी में फोटो खिंचवाकर पार्टी में घुस जाते हैं |कुछ ऐसे होते हैं जो थोड़ी देर में लिए घुसते हैं और काम होते ही गायब हो जाते हैं जैसे चोर |या फिर आवाज़ देने वाली आत्मा वाले नेता जो नई पार्टी के सत्ता में आते ही उसमें घुस जाते हैं और फिर जब कोई और पार्टी सत्ता में आती है तो उनकी आत्मा आवाज़ देती है और वे उसमें घुस जाते हैं |
लेकिन हम यहाँ जिस घुसपैठ के बारे में विचार कर रहे हैं वह है सीमापार से घुसपैठ |कुछ घुसपैठ तो वोट बैंक के लिए की जाती है जिसका मुद्दा विपक्षी पार्टी उठाती है और कुछ घुसपैठ ऐसी हैं जिनमें घुसपैठिये क्रिकेट या ख्वाजा साहिब या फिर ऐसे ही किसी और बहाने से थोड़े समय के लिए आते हैं फिर या तो गायब हो जाते हैं या गड़बड़ करके वापिस चले जाते हैं |सच्चे घुसपैठिए वे होते हैं जो 'घुस कर' 'पैठ' या बैठ ही जाते हैं |
देश ही हर सरकार इसी समस्या के इलाज़ के लिए कभी सीमा पर बाड़ बनवाती है, कभी कैमरे लगवाती है,कभी सीमा सुरक्षा बल की संख्या बढ़ाती है, कभी भारत प्रशासित कश्मीर की सरकार को विशेष पैकेज देती है | इस प्रकार निरंतर खर्चा बढ़ता रहता है | एक बार तो हमने एक प्रधान मंत्री जी को सुझाव भी दिया था कि इतना खर्च करने की बजाय क्या यह उचित नहीं रहेगा कि इसका ठेका उसके आधे में पाकिस्तान को ही दे दिया जाए |सस्ते में काम हो जाएगा और फिर यदि सेवा में कुछ कमी रहेगी तो हम पाकिस्तान के विरुद्ध उपभोक्ता अदालत में तो जा सकेंगे |लेकिन हमारे इस क्रांतिकारी सुझाव पर विचार नहीं किया गया; खैर,माँगे-बिना माँगे,हमारा तो काम है सुझाव देना, सो दे दिया |
आज जैसे ही तोताराम आया हमने उसके सामने इस घुसपैठ का ज़िक्र किया तो बोला- चिंता की कोई बात नहीं है |अब अपने अमित जी मतलब भाजपा के महानायक अमित शाह जी ने इसका उपाय खोज लिया है |
हमने आश्चर्य से कहा- अच्छा ? क्या उपाय है ?
बोला- बस, जनता केंद्र और राज्य दोनों में ही भाजपा की सरकारें बनवा दे तो यह समस्या हल हो जाएगी |
हमने कहा- भई, इस बात का तो कोई अंत नहीं है | जब दोनों जगह बनवा देंगे तो कहेंगे नगरपालिकाओं और पंचायतों में हमारी सरकार बनवाओ, वहाँ भी बनवा देंगे तो कहेंगे अब उस पार्टी से भारत को मुक्त करो जिसने अब तक देश का सत्यानाश करने के अलावा कोई काम किया ही नहीं |इस तरह से तो पूरी शताब्दी निकाल देंगे |हाँ, एक बात हो सकती है कि यदि भारत की जनता पाकिस्तान में भी भाजपा की सरकार बनवा दे तो शायद समस्या हल कर दें |
कहने लगा- बन्धु, मैं तो वैसे ही बात कर रहा था |पाकिस्तान का काम तो और भी विकट है |उसके यहाँ तो आतंकवाद में हमसे ज्यादा लोग मारे जा रहे हैं |जब वह खुद ही अपने यहाँ का आतंकवाद समाप्त कर नहीं पा रहा है तो वहाँ का चुनाव जीत कर हम क्या टाँके तोड़ लेंगे |हमसे तो अपनी ही नाक साफ़ नहीं हो पा रही है |
ये काम ऐसे बच्चों वाले बहाने और 'अगर', 'यदि' से नहीं होने वाले | सबसे पहले तो हम अपने यहाँ के बिना बात भड़काने वाले बयानों को बंद करवाएँ और सब को विश्वास में लेकर कोई दृढ़ संकल्प वाला कदम उठाएँ तो कुछ बात बन सकती है अन्यथा तो यह भी अन्य जुमलों की तरह एक जुमला मात्र ही है |
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