Nov 23, 2016

पचास दिन मोदी के नाम

  पचास दिन मोदी के नाम 

आज सुबह की चाय अकेले ही पी |तोताराम नहीं आया | सोच रहे थे, उसके घर जाकर पता करके आएँ; तभी तोताराम अपनी पत्नी और पोते बंटी के साथ काफी सारे साज़-ओ-सामान के साथ बरामदे के पास आकर रुका | 

माथे पर मोटा-बड़ा कारसेवकों जैसा टीका, कलाई पर मोटा-सा कलावा, भगवा कुर्ता |लगा जैसे कोई राजपूत केसरिया छककर अंतिम युद्ध में वीर गति प्राप्त करने के लिए जा रहा हो |या कोई क्षत्राणी जौहर की तैयारी में हो |हमने पूछा- क्या धर्मयुद्ध में जा रहा है ?

बोला- हाँ, धर्मयुद्ध की समझले | काले धन, आतंकवाद की फंडिंग, भ्रष्ट लोगों की राजनीति को फेल करने, देश में पिछले सत्तर वर्षों से फैले कलुष को मिटाने और भारतीय जनजीवन, शासन-प्रशासन सबको एक साथ ही शुद्ध करने के लिए जा रहा हूँ | बहुत वर्षों बाद देश में कोई एक परम तेजस्वी, परम प्रतापी, देश का सच्चा सेवक पैदा हुआ है |अब इस देश का भाग्य बदलने वाला है |बस, पचास दिन की बात है |नरेन्द्र भाई ने इस देश के लिए कौनसा त्याग नहीं किया ? अब अपने प्राणों की बाज़ी लगाकर एक बंदा हमसे केवल पचास दिन माँग रहा है |तूने संसद में उनकी भाव विह्वल अपील सुनी या नहीं ? वैसे भी अब और कितना जीना है |यदि शेष बचा यह जीवन देश के काम आ जाए तो जन्म लेना सार्थक हो जाएगा |इसके बाद अच्छे दिन ही क्या इस पुण्य भूमि पर स्वर्ग उतर आएगा |

हमने पूछा- पर जा कहाँ रहा है ?  बंटी के सिर पर यह क्या है ?  मैना को क्यों ले जा रहा है ? 

बोला- बैंक जा रहा हूँ | अब पचास दिन तक वहीं धूनी रमेगी |बंटी के सिर पर एक चटाई और मेरा बिस्तर है |मैं आजकल से भगोड़े सेवकों की तरह पत्नी से छुपकर नहीं जा रहा हूँ |अब तुम्हारी अनुजवधू मैना यशोधरा की तरह नहीं कह सकेगी-
स्वयं सुसज्जित करके क्षण में 
प्रियतम को प्राणों  के पण में 
हमीं भेज देती हैं रण में 
क्षात्र धर्म के नाते |
सखि, वे मुझसे कह कर जाते |

जब तक मेरे खाते में हैं तब तक रोज सौ- सौ के पाँच नोट निकलवाता रहूँगा | शेष समय में लाइन में लगे लोगों का मनोबल बढ़ाता रहूँगा |कष्ट उठाकर लाइन में शांति और धैर्यपूर्वक लगे लोग भी तो राष्ट्रीय परिवर्तन और क्रांति की इस घड़ी के साक्षी हैं |

हमने कहा- तोताराम, औसतन इतने लोग तो देश की सीमाओं पर भी शहीद नहीं होते जितने नोट बदलवाने के लिए बैंकों की लाइन में लगकर मर रहे हैं | क्यों बिना बात रिस्क ले रहा है |अब तक सत्तर से अधिक लोग मोदी जी के इस क्रांतिकारी कदम की बलिवेदी पर चढ़ चुके हैं |और संसद में कोई सत्ताधारी उनकी देश की अर्थव्यवस्था की सफाई में दी गई इस शहादत के लिए दो मिनट का मौन रखने को भी तैयार नहीं है |

बोला- मास्टर, पता तो मुझे भी है कि इन चोंचलों से इस महान देश को कोई फर्क नहीं पड़ता |पंचों का कहा सिर माथे, नाला वहीँ पड़ेगा | एक हजार का पुराना नोट  बंद करके दो हजार का चला रहे हैं तो फिर पहले से दोगुनी रफ़्तार से काला धन बनेगा |

हमने कहा- जब तू यह जानता है तो क्यों तो मोदी जी की स्तुति में दुहरा हुआ जा रहा है और क्यों लाइन में लग कर मौत को बुलावा दे रहा है |

बोला- मैं ऐसा बावला नहीं हूँ |एक तो बैंक में बिस्तर लगाए पड़ा मैं देश का एक मात्र वरिष्ठ नागरिक हूँगा |संभव है इसकी चर्चा दूर-दूर तक हो और मोदी जी अपनी 'मन की बात' में मेरे नाम का उल्लेख कर दें |दूसरे अभी सौ-सौ के नोटों पर दस प्रतिशत का बट्टा चल रहा है सो पचास रुपए रोज के वे खरे हो जाएँगे |तीसरे बैंक की लाइन में लगे हुए लोगों को चाय-नाश्ता करवाने का फैशन चला है सो वह भी पेलेंगे |चौथे सुना है, मोदी जी केंद्र सरकार के तहत स्वायत्तशासी निकायों के सेवानिवृत्त पेंशन भोगियों को न तो नया वेतन मान देने जा रही है और न ही सातवें पे कमीशन का एरियर |ऐसी घोषणा नोटबंदी की तरह कभी भी हो सकती है |
इस एक्स्ट्रा आमदनी से शायद यह जोर का झटका धीरे से लगे | तू चाहे तो इस परिवर्तन महायज्ञ में तेरा भी स्वागत है |
 

No comments:

Post a Comment