मोर्केला एस्क्यूलेंटा
चन्द महिनों में ७५ वर्ष के हो जाएँगे |आश्रम व्यवस्था के अनुसार संन्यास लेने की उम्र मतलब बच्चों को फ्री छोड़कर चारों धाम की पदयात्रा करने की अवस्था |यदि साधन संपन्न हुए तो 'अमृत महोत्सव' का अवसर |हो सकता है बड़े लोगों को इस उम्र में अपने साधनों के बल पर किसी अमृत तत्त्व की प्राप्ति हो जाती हो जिससे वे अमरत्व की रह पर अग्रसर हो जाते हों |पर हमारा तो हाल यह है कि पंद्रह-बीस मिनट बैठ जाओ तो उठते समय परेशानी होती है |ऐसे में चारों धाम की पदयात्रा का प्रश्न ही नहीं |अब तो रेल या बस से भी यात्रा की हिम्मत नहीं होती |पिछले दिनों ही भोपाल गए |ऊपर की बर्थ मिली |किसी युवा ने हमसे अपनी नीचे की बर्थ से अदला-बदली नहीं की |ऊपर चढ़ने में जो हालत हुई उससे अपने स्वास्थ्य के बारे में भ्रम वैसे ही खुल गया जैसे कि भाजपा का बिहार के चुनावों में |
आज दिवाली की 'राम-राम' करने आए तोताराम ने सबसे पहले घुटनों का हालचाल पूछा |क्या उत्तर देते ? अपने ही अंग-प्रत्यंगों के चलते समाजवादी पार्टी जैसी हालत हो रही है |ससुर जी वैद्य और बहू को कुठोड़ फोड़ा |दिखाते भी नहीं बनता |कहा- बस, चल रहा है |जैसी स्थिति है वैसे भी बनी रहे तो ठीक है |
बोला- मास्टर, अब चिंता मत कर |मुझे एक जादुई जड़ी मिल गई है |कीमत थोड़ी ज्यादा है लेकिन कोई बात नहीं |जैसे ही सातवें के कमीशन का एरियर मिलेगा एक किलो खरीद लेंगे |भगवान ने चाहा तो तू फिर से मोदी जी की तरह राजनीति के रेसकोर्स में दौड़ लगाने लग जाएगा |
हमने कहा-तोताराम, हम तो ३१ अगस्त से अब तक कोई बीस बार बैंक जा चुके हैं लेकिन अच्छे दिनों की तरह एरियर की कहीं दूर-दूर तक खोज-खबर ही नहीं है |पहले सर्दियों में मेथी और ग्वारपाठे के लड् डू बनवा लिया करते थे लेकिन जब से सरकारी डेरियों में नकली घी पकड़ा गया है, घी खाने तक की हिम्मत नहीं होती |वैसे तू किस जादुई जड़ी के बारे में बता रहा था ?
कहने लगा- जब तू हर बात में एरियर का रोना लेकर बैठ जाता है तो क्या बताऊँ ?वैसे बात में दम तो है |जिस जड़ी के बल पर ६४ वर्ष की उम्र में भी मोदी जी शार्दूल-शावक की तरह समस्त भू मंडल को अपनी दहाड़ से गुंजायमान किए हुए हैं, कहीं ढोल तो कहीं बाँसुरी बजा कर मानवता को लुभाए हुए हैं तो तेरा घुटना दर्द कौन बड़ी बीमारी है |
हमारी हिम्मत बढ़ी, कहा- तो फिर बता ना उस संजीवनी बूटी का बारे में |
बोला- यह हिमाचल में बसंत ऋतु में पाया जाने वाला एक मशरूम है जिसे अंग्रेजी में 'मोर्केला एस्क्यूलेंटा' कहते हैं |एक किलो १५-२० हजार रुपए का आता |मोदी जी जब हिमाचल में भाजपा के प्रभारी थे तब उन्हें इसके बारे में पता चला था |तब से इसी का सेवन करते हैं |उसके बाद से देखले, पहले गुजरात में धमाल मचाया और अब सारे देश-दुनिया में छाए हुए हैं |दिन पर दिन जोश-ए-जवानी बढ़ता ही जा रहा है |
हमने कहा- तोताराम, ग्वारपाठे को एलोविरा कहने से कोई खास बात पैदा नहीं हो जाती |पहाड़ों में तरह-तरह के मशरूम पाए जाते हैं |इस मशरूम का अंग्रेजी नाम 'मोर्केला एस्क्यूलेंटा' रख देने से न तो कोई 'मार्के' की बात पैदा हो जाती है और न ही कोई 'एक्सेलेंस' आ जाती है |इस चमत्कार का रहस्य कोई 'मोर्केला एस्क्यूलेंटा नहीं है | हमें पता है वह जड़ी जो मुर्दे में भी जान फूँक देती है |
तोताराम ने हमारे पैर पकड़ लिए-बंधुवर, तो फिर बता ही दीजिए |पैसों की कोई फ़िक्र नहीं है |पेंशन से एडवांस लेकर भी खरीद लाऊँगा |
हमने कहा-वह पैसों से नहीं खरीदी जा सकती |वह तो एक छींका है जो किसी किसी बिल्ली के भाग से टूटता है | उसका नाम है कुर्सी अर्थात सत्ता | सत्ता मिलते ही देखले जेतली जी और वेंकैया जी के सिर पर भी काले बाल उगने लगे हैं |अगर एक बार आश्वासन भी मिल जाए तो अडवाणी जी फिर से दहाड़ने लगेंगे |
चन्द महिनों में ७५ वर्ष के हो जाएँगे |आश्रम व्यवस्था के अनुसार संन्यास लेने की उम्र मतलब बच्चों को फ्री छोड़कर चारों धाम की पदयात्रा करने की अवस्था |यदि साधन संपन्न हुए तो 'अमृत महोत्सव' का अवसर |हो सकता है बड़े लोगों को इस उम्र में अपने साधनों के बल पर किसी अमृत तत्त्व की प्राप्ति हो जाती हो जिससे वे अमरत्व की रह पर अग्रसर हो जाते हों |पर हमारा तो हाल यह है कि पंद्रह-बीस मिनट बैठ जाओ तो उठते समय परेशानी होती है |ऐसे में चारों धाम की पदयात्रा का प्रश्न ही नहीं |अब तो रेल या बस से भी यात्रा की हिम्मत नहीं होती |पिछले दिनों ही भोपाल गए |ऊपर की बर्थ मिली |किसी युवा ने हमसे अपनी नीचे की बर्थ से अदला-बदली नहीं की |ऊपर चढ़ने में जो हालत हुई उससे अपने स्वास्थ्य के बारे में भ्रम वैसे ही खुल गया जैसे कि भाजपा का बिहार के चुनावों में |
आज दिवाली की 'राम-राम' करने आए तोताराम ने सबसे पहले घुटनों का हालचाल पूछा |क्या उत्तर देते ? अपने ही अंग-प्रत्यंगों के चलते समाजवादी पार्टी जैसी हालत हो रही है |ससुर जी वैद्य और बहू को कुठोड़ फोड़ा |दिखाते भी नहीं बनता |कहा- बस, चल रहा है |जैसी स्थिति है वैसे भी बनी रहे तो ठीक है |
बोला- मास्टर, अब चिंता मत कर |मुझे एक जादुई जड़ी मिल गई है |कीमत थोड़ी ज्यादा है लेकिन कोई बात नहीं |जैसे ही सातवें के कमीशन का एरियर मिलेगा एक किलो खरीद लेंगे |भगवान ने चाहा तो तू फिर से मोदी जी की तरह राजनीति के रेसकोर्स में दौड़ लगाने लग जाएगा |
हमने कहा-तोताराम, हम तो ३१ अगस्त से अब तक कोई बीस बार बैंक जा चुके हैं लेकिन अच्छे दिनों की तरह एरियर की कहीं दूर-दूर तक खोज-खबर ही नहीं है |पहले सर्दियों में मेथी और ग्वारपाठे के लड् डू बनवा लिया करते थे लेकिन जब से सरकारी डेरियों में नकली घी पकड़ा गया है, घी खाने तक की हिम्मत नहीं होती |वैसे तू किस जादुई जड़ी के बारे में बता रहा था ?
कहने लगा- जब तू हर बात में एरियर का रोना लेकर बैठ जाता है तो क्या बताऊँ ?वैसे बात में दम तो है |जिस जड़ी के बल पर ६४ वर्ष की उम्र में भी मोदी जी शार्दूल-शावक की तरह समस्त भू मंडल को अपनी दहाड़ से गुंजायमान किए हुए हैं, कहीं ढोल तो कहीं बाँसुरी बजा कर मानवता को लुभाए हुए हैं तो तेरा घुटना दर्द कौन बड़ी बीमारी है |
हमारी हिम्मत बढ़ी, कहा- तो फिर बता ना उस संजीवनी बूटी का बारे में |
बोला- यह हिमाचल में बसंत ऋतु में पाया जाने वाला एक मशरूम है जिसे अंग्रेजी में 'मोर्केला एस्क्यूलेंटा' कहते हैं |एक किलो १५-२० हजार रुपए का आता |मोदी जी जब हिमाचल में भाजपा के प्रभारी थे तब उन्हें इसके बारे में पता चला था |तब से इसी का सेवन करते हैं |उसके बाद से देखले, पहले गुजरात में धमाल मचाया और अब सारे देश-दुनिया में छाए हुए हैं |दिन पर दिन जोश-ए-जवानी बढ़ता ही जा रहा है |
हमने कहा- तोताराम, ग्वारपाठे को एलोविरा कहने से कोई खास बात पैदा नहीं हो जाती |पहाड़ों में तरह-तरह के मशरूम पाए जाते हैं |इस मशरूम का अंग्रेजी नाम 'मोर्केला एस्क्यूलेंटा' रख देने से न तो कोई 'मार्के' की बात पैदा हो जाती है और न ही कोई 'एक्सेलेंस' आ जाती है |इस चमत्कार का रहस्य कोई 'मोर्केला एस्क्यूलेंटा नहीं है | हमें पता है वह जड़ी जो मुर्दे में भी जान फूँक देती है |
तोताराम ने हमारे पैर पकड़ लिए-बंधुवर, तो फिर बता ही दीजिए |पैसों की कोई फ़िक्र नहीं है |पेंशन से एडवांस लेकर भी खरीद लाऊँगा |
हमने कहा-वह पैसों से नहीं खरीदी जा सकती |वह तो एक छींका है जो किसी किसी बिल्ली के भाग से टूटता है | उसका नाम है कुर्सी अर्थात सत्ता | सत्ता मिलते ही देखले जेतली जी और वेंकैया जी के सिर पर भी काले बाल उगने लगे हैं |अगर एक बार आश्वासन भी मिल जाए तो अडवाणी जी फिर से दहाड़ने लगेंगे |
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