Feb 11, 2020

तो बात पेंशन तक आ गई



तो बात पेंशन तक आ गई 

३१ जनवरी और १ फरवरी को बैंकों की हड़ताल |इसके बाद २ फरवरी को रविवार |इस कारण ३ फरवरी को बहुत भीड़ रहने वाली |अब बचा एक दिन क्योंकि ५ फरवरी को हमें ६-७ फरवरी को होने वाली एक सेमीनार में भाग लेने के लिए हैदराबाद जाना |

तोताराम ने ४ फरवरी को बैंक चलने को कहा तो हमने उसे १० फरवरी तक के लिए टाल दिया |इसके कई कारण हैं- एक तो हमारे पास दो ही कुर्ते पायजामे हैं जिन्हें धोना-सुखाना, इस्त्री करना और ऐसे पैक करना कि इस्त्री ज्यादा खराब न हो, कम से कम दो दिन का काम तो है ही |मोदी जी की तरह दो-चार सौ जोड़ी कुरते-पायजामे होते तो बात और थी | दूसरे हम घाटे का बजट बनाने वाली सरकार की तरह इतने दरिद्र नहीं हैं कि घर में दस दिन का अनाज भी न हो |हमें सरकार की तरह घाटे का बजट बनाने की सुविधा भी तो नहीं है |सरकार तो देश हित और सबके विकास के लिए जीवन बीमा निगम, इन्डियन एयर लाइन, स्टील अथोरिटी ऑफ़ इण्डिया की हिस्सेदारी बेचने जैसा घर फूँकू तमाशा देख सकती है |उसका क्या ? आगे आने वाले भुगतेंगे | ८ फरवरी शाम  को हैदराबाद से लौटे तो फिर वही संयोग |अगले दिन रविवार |

सोमवार १० फ़रवरी को जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- चाय पी और घर जा |आज कोई चर्चा करने की ज़रूरत नहीं | पेंशन लेने चलेंगे |चर्चा कल ११ फ़रवरी को दिल्ली चुनावों का रिजल्ट सुनते-सुनते करेंगे |

बोला-चर्चा नहीं करनी है तो कोई बात नहीं लेकिन बैंक जाने का कोई फायदा नहीं |अभी पेंशन नहीं आई है |

हमने कहा- यू पी में मदरसा मास्टरों को तीन महीने से वेतन न मिलने की बात समझ में आती है |वहाँ तो योगी जी ने अयोध्या विकास का ५० हजार करोड़ का बहुत बड़ा प्रोजेक्ट सोच लिया है |कोई बात नहीं,जब अयोध्या का विकास हो जाएगा तो 'रामराज' आ जाएगा तब सभी समस्याएँ और जनम-जनम के दुःख एक ही झटके में दूर हो जाएंगे लेकिन हमारी पेंशन में क्या विघ्न आ गया ?

बोला- कभी तो देश की फ़िक्र भी कर लिया कर |अभी दस दिन ही तो हुए हैं |क्या थोड़ा बहुत इंतज़ार नहीं कर सकता ? मोदी जी बेचारे देश की रक्षा में व्यस्त हैं |आ जाएगी |पेंशन भी आ जाएगी |लेकिन सोच यदि मुसलमान दुबारा देश पर काबिज़ हो गए तो क्या होगा ? 

हमने पूछा- यह कौन कह रहा है ? हमें हल्का सा याद है जब पाकिस्तान की शै पर कश्मीर में कबायली घुस आए थे |१९६५ में और १९७१ में तो बाकायदा युद्ध हुए थे लेकिन तब भी इतना डर और आशंका नहीं थे |सब सामान्य था |जिसका जो काम था कर रहा था |हमने जी जान से सेना के लिए डिफेन्स फंड में योगदान देकर मदद की और सैनिकों ने बहादुरी से मुकाबला किया |१९६५ के युद्ध में उत्तर प्रदेश के अब्दुल हमीद और राजस्थान के अय्यूब खान की वीरता को कौन नहीं जानता ?

बोला- लेकिन शाहीन बाग़ जैसा पाकिस्तान उस समय कहाँ बना था ? योगी जी ने बताया नहीं कि यह युद्ध औरतों को आगे करके लड़ा जा रहा है |मर्द लोग घरों में रजाइयों में घुसे रहते है और औरतें-बच्चे धरने पर बैठे हैं |मज़े से बिरयानी खा रहे हैं |

हमने कहा- लेकिन इसमें तो पंजाब से सिक्ख भाई मदद करने के लिए आए हुए हैं |हिन्दू भी बैठे हैं, तो कश्मीरी पंडित भी |गायत्री मन्त्र का जाप हो रहा है, यज्ञ किया जा रहा है, भारत माता का जैकारा लग रहा है |वन्दे मातरम बोला जा रहा है |

बोला- यही तो ऐतराज़ और आशंका वाली बात है |हमारे ही हथियार से हमें काटा जा रहा है |

हमने कहा- तुम्हें तो खुश होना चाहिए |देखो महिलाओं का कितना सशक्तीकरण हो गया कि वे आन्दोलन चलाने लगी, वन्दे मातरम न बोलने वाले मुसलमान यज्ञ कर रहे हैं | हिन्दू राष्ट्र का सपना बस साकार हुआ ही चाहता है |जो काम पिछले सौ सालों में हिंदुत्त्ववादी संस्थाएं नहीं कर सकीं वह काम ज़रा से एन पी आर और सी ए ए ने कर दिखाया |

बोला- यही तो समस्या है |फिर हम राजनीति किस मुद्दे पर करेंगे |तभी तो भागवत जी ने कहा था कि मुसलमानों के बिना हिंदुत्व की कल्पना नहीं की आ सकती |इसी प्रकार ओवैसी भी अपनी इस्लामी राजनीति के लिए हिंदुत्व को ज़रूरी मानते हैं |

हमने कहा- लेकिन पेंशन का क्या होगा ?

बोला- कल दिल्ली का रिजल्ट देख लेते हैं |हार के कारणों के विश्लेषण के बाद पेंशन वाला काम ही करेंगे |

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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