Jun 23, 2020

संकल्प से सिद्धि



संकल्प से सिद्धि    





आज जैसे ही तोताराम आया तो हमने पूछा- तोताराम, आजकल कोरोना की वेदर रिपोर्ट देने के लिए लव अग्रवाल जी टीवी पर आना कैसे बंद हो गए ?

तो बोला-  खबरें एक ही सोर्स से नहीं आनी चाहिएँ अन्यथा उस समस्या की जड़ में जो सेवक है उस पर दबाव बढ़ जाता है |यदि उससे संबंधित जानकारी अलग-अलग स्रोतों से आती है तो दबाव बँट जाता है |
कूटनीति के इसी सिद्धांत के तहत एक नई प्रकार के सर्वे के सुखद परिणामों को लेकर भारतीय आयुर्वेदिक अनुसन्धान परिषद् के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव का स्टेटमेंट आया है |

उन्होंने बताया है कि देश के ८३ जिलों में कराए गए ताजा सर्वे में यह तथ्य सामने आया है कि हॉट स्पॉट शहरों की संक्रमित आबादी का एक तिहाई हिस्सा अपने आप ठीक हो गया |देश के ८३ जिलों में ०.७३% आबादी ही संक्रमित हुई है | इसी प्रकार यह भी एक सुखद खबर है कि प्रति लाख आबादी के हिसाब से मरीजों की संख्या और मृत्यु दर भी दुनिया में सबसे कम है |  

अब चूंकि वे 'बल' वाले हैं और 'राम' का सपोर्ट भी है तो शंका या प्रश्न करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता |

हमने कहा- इसका मतलब यह है कि यह कोरोना तो एक दम फुस्स और सुरसुरी बम निकला |इतनी कम  मौतें और वे भी स्वास्थ्य कर्मियों के पास सुरक्षा किट न होने, कोरोना की कोई दवा न होने और गुजरात में नकली वेंटिलेटर सप्लाई होने के बावजूद |





तोताराम, हमें तो इसमें कोई बड़ा चक्कर नज़र आता है |जब कोरोना कोई बड़े खतरे वाली बात ही नहीं थी तो २३ मार्च २०२०  को एक ही झटके में १३५ करोड़ लोगों को नज़रबंदी में क्यों डाल दिया | २२ मार्च को तो संक्रमित लोगों की संख्या मात्र २०६ ही थी |

बोला- जब अहमदाबाद में २५ फरवरी २०२० को मज़े-मज़े में 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम हो रहा था तभी तुझे समझ लेना चाहिए था कि कोरोना कोई समस्या नहीं है और यदि है तो कोई बड़ी समस्या नहीं है |

हमने फिर पूछा- तो फिर २१ दिन का महाभारत, ताली-थाली-दिवाली और कोरोना वीरों पर पुष्प वर्षा वाला नाटक भी क्या ऐसे ही था ?

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बोला- राजा और पति को समय-समय पर प्रजा की पतिभक्ति का टेस्ट लेते रहना चाहिए |मोदी जी ने इस बहाने वही टेस्ट लिया था | उसमें उन्हें ९०% समर्थन मिल गया जबकि संसद में स्पष्ट बहुमत के लिए ३१% ही पर्याप्त है |

हमने कहा- लेकिन हमारे यहाँ संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ तो तेजी से रही है |

बोला- १३५ करोड़ का एक प्रतिशत  १.३५ करोड़ होता है |अभी तो .३५ करोड़ मतलब साढ़े तीन लाख भी नहीं हुए |१ प्रतिशत के हिसाब भी अभी एक करोड़ की गुंजाइश और है |जब तक एक करोड़ संक्रमित होंगे तब तक 'हर्ड इम्यूनिटी' विकसित हो जाएगी |

हमने पूछा- यह 'हर्ड इम्यूनिटी' क्या होती है ?

बोला- हर्ड का मतलब होता है झुण्ड या रेवड़ |भेड़ बकरियों के रेवड़ होते हैं |उनका मरना-जीना कोई विशेष महत्त्व नहीं रखता |वे सहज भाव से जनमती और मरती रहती हैं | यदि नहीं मरती तो काटकर खा ली जाती हैं |उनकी बीमारियों, इलाज, सुरक्षा और संरक्षण की कोई चिंता नहीं की जाती |इनमें बीमारियाँ भी कम फैलती हैं | होती भी हैं तो मर मराकर अपने आप ही ठीक हो जाती हैं |इसे ही 'हर्ड इम्यूनिटी' कहते हैं |  तुझे पता होना चाहिए कि अब संक्रमितों के मामले में हम दुनिया में चौथे नंबर पर आ गए हैं |शीघ्र ही नंबर वन भी हो जाएंगे और फिर यह 'हर्ड इम्यूनिटी'  बढाते-बढाते हम अपने संकल्प से सिद्धि भी प्राप्त कर लेंगे |

दुर्लभों की बात और है |कहा गया है-

सिंहों के लहंडे नहीं, हंसों की नहिं पाँत |
लालों की नहिं बोरियां, साधु न चले जमात ||
मतलब ये दुर्लभ होते हैं इसलिए इनकी रक्षा-सुरक्षा के लिए प्रबंध करने पड़ते हैं |जैसे बीमार होने पर मुलायम सिंह जी का इलाज और संक्रमित होने पर संबित पात्रा जी का इलाज मेदान्ता में होता है |सामान्य जन का काम तो ताली-थाली-दीवाली से हो जाता है | थोड़ा बहुत मध्य प्रदेश में नव अवतरित 'कोरोना महादेव' कर देते हैं |और अब तो बिहार के कई जिलों में 'कोरोना माई की पूजा भी चल निकली है |


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हमने कहा- लेकिन पात्रा जी ने तो कहा है कि वे परिवार के स्वयंसेवकों की शुभकामनाओं से ठीक हुए हैं |

बोला- शुभकामनाएं तो उनके लिए होती हैं जो भेड़-बकरी होते हैं | दुर्लभ प्रजाति वालों का काम साधन, सुविधा के बिना नहीं चलता अन्यथा बड़े लोग मेदान्ता की बजाय  रतलाम के हाथ चूमकर असाध्य बीमारियों के साथ-साथ कोरोना का भी इलाज करने वाले असलम उर्फ़ अनवर शाह उर्फ़ कोरोना बाबा के पास नहीं जाते |ध्यान रहे कोरोना बाबा आज कोरोना से मर गए हैं |

अब भगवान के लिए और प्रश्न मत करना |बहुत मगजमारी हो गई अब तो चाय मँगवा ले |आत्मनिर्भर भारत के बीस लाख करोड़ के पॅकेज के बिना भी तेरी आर्थिक स्थिति इस लायक तो बची ही हुई है |


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