Jun 30, 2020

ये लोकल वोकल क्या है



 ये लोकल-वोकल क्या है ?


कल तोताराम ने हमारी उत्सुकता उसी तरह बढ़ा दी जिस प्रकार मोदी जी के 'राष्ट्र के नाम सन्देश' के समाचार से एक साथ १३५ करोड़ लोग यह सोचकर चौकन्ने हो जाते हैं कि पता नहीं, क्या हो जाए ? यमराज के आने का समाचार भी उतना नहीं डराता जितना मोदी जी का 'राष्ट्र के नाम सदेश' | पता नहीं किस सन्देश में चार घंटे के नोटिस पर नोटबंदी या तालाबंदी कर दें |

यमराज तो प्राण ही लेगा ना | और सच पूछा जाए तो कोई भी भला आदमी जिंदगी के समाप्त होने से नहीं डरता |वह तो यमराज का स्वागत करने को तैयार ही रहता है |उसे तो डर तो इस  बात का लगता है कि पता नहीं मरते समय कितना कष्ट होगा ? वहाँ ऊपर स्वर्ग या नरक जैसा कुछ है भी या नहीं ? यदि है तो क्या वहाँ कोई सिफारिश चलती है या नहीं ?किसी प्रकार का कोई रिज़र्वेशन है या नहीं ? नेताओं की तरह क्या वहाँ जेल में मोबाइल, पार्टी, विशेष भोजन की व्यवस्था है या नहीं ? यदि ठीकठाक व्यवस्था हो जाए तो किसी को यमराज के साथ जाने और इस दुनिया को छोड़ने में कोई ऐतराज़ नहीं है | 

लेकिन ऐसे में तोताराम द्वारा मोदी जी के गीत को संगीत देने का नितांत नया जुमला | यह तो १५ लाख से बड़ा जुमला हो गया | वैसे हमें यह तो पता है कि मोदी जी हर बात में अनुप्रास की ऐसी छटा बिखेरते हैं कि गद्य भी पद्य हो जाता है |कानों में राग शिवरंजनी बजने लग जाता है | तोताराम तो चला गया लेकिन हमारी तो हालत खराब | मोदी जी ने कौनसा गीत लिखा होगा ? दोगाना, रैप या गुलज़ार जैसा ' तुम्हारे पास मेरा कुछ सामान पड़ा है' या वियोग शृंगार का कोई गीत ?  
जब बात हज़म नहीं हुई तो रात को कोई दस बजे तोताराम के घर जा पहुंचे |घर के दरवाजे पर खड़े होकर सोचा- क्या खटखटाना ठीक रहेगा ?  
तभी अन्दर से तोताराम के गुनगुनाने की आवाज़ आई- ये ईलू ईलू क्या है ? ये ईलू ईलू क्या है ? 

हम तो आश्चर्यचकित ! रुक नहीं सके,  घुस गए और बड़ी हिकारत से पूछा- इस उम्र में ईलू ईलू | क्या चक्कर है ?

बोला- चक्कर तो तेरा लगता जो रात को दस बजे किसी भले घर का दरवाजा खटखटाता है |हम तो गाने की धुन बना रहे हैं |

हमने पूछा- तो क्या सेवक-फकीर-शालीन-ब्रह्मचारी  मोदी जी ने  मोदी जी ने यह गीत लिखा है ? उन्हें तो देश सेवा, कांग्रेस मुक्त भारत बनाने और और अपने वस्त्रों से ही पहचाने जा सकने वाले देशद्रोहियों को ढूँढ़-ढूँढ़कर निबटाने से ही फुर्सत नहीं है |

बोला- यह तो नहीं लिखा लेकिन यह तो बेसिक धुन है |मोदी जी ने नारा दिया है- लोक-वोकल |अब इस पर कोई महाकवि गीत भी लिखेगा | और इस पर ईलू-ईलू के अतिरिक्त और कौनसी धुन फिट बैठेगी |

सुन-
ये ईलू ईलू क्या ?
ये लोकल वोकल क्या है ? 

कितना अद्भुत संयोग है 'ईलू ईलू' में भी आठ मात्राएँ और 'लोकल-वोकल' में भी आठ |मतलब ठाठ ही ठाठ | 

 तुझे याद है अटल जी की कविता को अलीशा चिनॉय ने गया था और उमा शर्मा ने उन पर नृत्य किया था | हो सकता है कल को मेरे द्वारा संगीत दिए इस गीत को कोई खेसारी लाल गाये और सपना चौधरी इस पर नृत्य करे 

और बाद में  यदि ज़रूरत पड़ी तो 'हाउ डी मोदी' के उत्तर में 'मजा छे' की तर्ज़ पर इसका दस  भाषाओं में अनुवाद भी सरलता से किया जा सकता है- जैसे 'आई लव यू' या 'अमी तमाके भालो बासी' |  अगर अंग्रेजी की ज्यादा ज़रूरत पड़ेगी तो फिर 'डाइंग, जाइंग वाला स्टाइल तो है ही | 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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