Nov 2, 2020

दीवार बनाना क्या मुश्किल है

 दीवार बनाना क्या  मुश्किल है


तोताराम ने आते ही कहा- अमरीका का राष्ट्रपति झूठा है |

हमने कहा- आजकल यह भी कोई खबर है ?अगर तू कहता कि फलां नेता सच्चा है, ईमानदार है तो खबर होती है |तू जो कह रहा है वह तो एक सामान्य स्टेटमेंट है |वह ज़माना गया जब लिंकन और गाँधी जैसे वकील और नेता हुआ करते थे |और उनका जो हश्र हुआ वह सब जानते हैं फिर क्यों बिना बात ओखली में सिर दें | सरकारी खर्च पर घूमो फिरो, स्वागत करवाओ, मज़े करो |अधिक से अधिक दो टर्म हैं |बाद में तो वही रीयल एस्टेट का सीमेंट, रेता, धूल-धप्पड़ |अपने भारत की तरह थोड़े है कि एक बार आ जाओ तो पचास साल का एडवांस पट्टा घोषित कर दो |और फिर ट्रंप साहब का तो रिकार्ड है २८ दिन में ३० झूठ बोलना |और फिर अब तो चुनावी चौसर बिछी है तो पाँसे कैसे भी हो सकते हैं  |फिर भी कोई ताज़ा झूठ ?

बोला- कल ही ट्रम्प ने कहा- मेक्सिको सीमा पर पूरी दीवार बन चुकी है लेकिन न्यूज चैनल यह बात मानने को तैयार नहीं हैं।



मेक्सिको सीमा पर दीवार पर अमेरिका में जमकर विवाद

हमने कहा- इसमें सच-झूठ क्या है ? जाओ और देख लो |यदि बनी हुई है तो ठीक है |कहीं नहीं है तो तूफान में टूट गई होगी |हमारे यहाँ जब एक सप्ताह में कई लाख शौचालय बन सकते हैं, कागजों में सारे गावों में ओप्टिकल फाइबर बिछ सकते हैं तो वहाँ भी रात बीच दीवार बन सकती है | कौन चेक करेगा ? और सिद्ध कैसे करेगा ? यहाँ भी तो सरकारी अनुदान के लिए गौशाला में गायें भर्ती हो जाती हैं और यदि कोई जाँच आ जाए तो एक दिन में सैंकड़ों गायें मर भी सकती हैं | सच यह है कि मंत्री जी को गायें तो दूर, यह पता नहीं कि देश में कुल कितने गाँव, ग्राम पंचायतें हैं | वास्तव में देश की जनसंख्या  कितनी है ?

बोला- फिर भी झूठ तो झूठ ही है ना ?

हमने कहा- यदि तुझे दीवार की इतनी ही फ़िक्र है तो एक दिन में दस दीवारें खड़ी करवादें |

बोला- ऐसा कैसे संभव हो सकता है ?

हमने कहा- वक़्त तो दीवार गिराने में लगता है |गाँधी दीवारें गिराने के चक्कर में मारा गया |और दीवार उठाने वाले राज कर रहे हैं |दीवार का क्या है, एक वाट्सऐपिया ट्वीट से उठाई जा सकती है, कोरोना और तबलीगी से उठाई जा सकती है, गोली मारो सालों को.....से उठाई जा सकती है, कपड़ों से दंगाइयों की पहचान से उठाई जा सकती है, दाढ़ी-टोपी और किसी ख़ास रंग से उठाई जा सकती है |  फिर ट्रंप तो अमरीका के राष्ट्रपति हैं चाहें तो  एक स्टेटमेंट से घर-घर में दीवार उठा दें |उत्तरी कोरिया-दक्षिणी कोरिया,  उत्तरी वियतनाम-दक्षिणी वियतनाम, पूर्व-पश्चिम, काला-गोरा आदि दीवारें किसने उठाईं  ? लूटिंग स्टार्ट तो शूटिंग स्टार्ट क्या किसी दीवार से कम है ?

रही बात ईंट-गारे की दीवारों की है तो दिल्ली के खेल गाँव से स्टेडियम तक जाने के रास्ते में पड़ने वाली झुग्गियों को टिन की चद्दरों से ढंकना हो या फिर 'नमस्ते ट्रंप'  कार्यक्रम के समय  स्टेडियम तक ट्रंप के रास्ते में पड़ने वाली झुग्गियों के आगे सात-सात फुट की दीवार उठवा देना, दोनों एक ही बात है |



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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