Nov 4, 2020

खिलौनों का बाज़ार


खिलौनों का बाज़ार


 

जब से प्रधानमंत्री जी से निकट संबंध स्थापित हुआ है तब से हम और तोताराम परेशान हैं . जब चाहे उनका मेल हमारे पास आ जाता है. उन्हें हम दोनों की क्षमता पर बहुत भरोसा है. वे हर समय देश के विकास और भले के लिए हरदम सोचते रहते हैं. और सोचते ही किसी न किसी योजना का ऐलान कर देते हैं. जब तक लोग एक योजना से लाभान्वित होने के लिए फॉर्म नहीं भर पाते तब तक महिने-पंद्रह दिन में कोई न कोई अन्य योजना की घोषणा हो जाती है. इसके अतिरिक्त हर महिने धर्म की भांति सुनिश्चित ‘मन की बात’ में हमारे लिए किसी न किसी आचरणीय धर्म-कर्म का भी सुझाव दे डालते हैं. हम ठहरे सच्चे और ईमानदार व्यक्ति इसलिए इस कान से सुनकर उस कान से निकाल नहीं सकते. और बस, परेशान हो जाते हैं. वैसे प्रधानमंत्री जी का इरादा हमें परेशान करने का कभी नहीं होता .

भले ही इस कोरना काल में खुद के लिए दाने पूरे नहीं पड़ रहे हों लेकिन मोर को दाना चुगाने के राष्ट्रीय कर्तव्य का निर्वाह करने के लिए कहीं से मोर कबाड़ने की सोच रहे थे कि मोदी जी ने भारत को ‘खिलौना हब’ बनाने की ज़िम्मेदारी आ पड़ी. हम तो खुद को ही नियति के हाथ का खिलौना मानते हैं. अब खिलौना किसी को क्या खिलौना बनाएगा.

फिर भी जैसे ही तोताराम आया हमने पूछा- तोताराम, अब पक्षी-प्रेम पर ध्यान केन्द्रित करने की बजाय खिलौनों पर आ जा. मोदी जी ने कहा है कि दुनिया में ८००० अरब रुपए का खिलौना बाज़ार है. यदि हम इसमें से पांच चार हजार अरब के बाज़ार पर भी कब्ज़ा कर सके तो काम हो जाएगा. शून्य से २३% नीचे जा चुकी अर्थव्यवस्था सँभल जाएगी.

बोला- तो फिर अपने कागजी विकास की तरह कागज की नाव, कागज की गेंद, कागज के हवाई जहाज बनाना शुरू कर देते हैं. वर्चुअल रोटी बना लें.

हमने कहा- लेकिन मोदी जी ने कहा है कि खिलौनों में विविधता और भारतीयता का टच होना चाहिए.

बोला- तो फिर तो कोई बात ही नहीं है. हमारे पास तो पहले से ही ज़रूरत से ज्यादा माल तैयार रखा हुआ है |पता कर डिमांड का. फिर सप्लाई शुरू.

हमने पूछा- कौन से खिलौने तैयार हैं ?

बोला- लिंचिंग करने वाले, ट्रोल करने वाले, देशद्रोहियों को पहचानने वाले, मीलों दूर से फ्रिज में रखे मांस को सूँघ सकने वाले आदि.

हमने कहा- अब खिलौनों का यह मॉडल पुराना हो चुका है. सभी देशों ने अपने यहाँ इसी मॉडल पर गला दबाने वाले सिपाही जैसे अपने-अपने खिलौने बना लिए हैं.

बोला- तो फिर अपने मालिक के लिए बात-बिना बात ताली बजाने वाले ये बन्दर ठीक रहेंगे.

हमने कहा- लेकिन ये तभी तक चलेंगे जब तक पांच-दस हजार रुपए, फ्री डाटा और मोटर साइकल के लिए पेट्रोल मिलता रहेगा अन्यथा ये दूसरा मदारी ढूँढ़ लेंगे. बड़े चतुर हैं ये बंदर.


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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