Nov 11, 2020

जीत और जिद

 जीत और  जिद

 

चाय तो खैर, मन की बात की तरह यथासमय पी ली. रात को थोड़ी ठण्ड लगी तो पत्नी काढ़े का एक पूरा गिलास भर कर दे गई. हमने जैसे ही काढ़ा पीने के लिए गिलास उठाया तोताराम हाज़िर. बोला- बधाई दी या नहीं ?

हमने कहा- सुबह ही भाषण सुनकर चुके हैं, बधाई भी दे देंगे. ऐसी क्या जल्दी है.

बोला- भाषण? किसका भाषण ? ताऊ ने तो कोई भाषण नहीं दिया.

हमने कहा- तीन महिने ही सही लेकिन हमसे छोटा है तो ताऊ कैसे हो गया ?

बोला- आज ही ९३ के हुए हैं तो तुझसे छोटे कैसे हो गए ?

हमने पूछा- कौन ?

बोला- और कौन, अडवानी जी.

हमने कहा- हम तो अभी कुछ देर पहले यू ट्यूब पर जो बाइडेन का भाषण सुन रहे थे. सोचा तुम उन्हें बधाई देने की बात कर रहे हो.

बोला- अभी तक ट्रंप ने हार कहाँ मानी है ? वे कह रहे हैं, कोर्ट जाऊँगा. और फिर अभी तो असली शपथ ग्रहण में ७२ दिन बाकी पड़े हैं. क्या पता, तब तक ट्रंप साहब ओवल ऑफिस को ताला लगाकर चाबी अपने साथ लेकर कहीं अज्ञातवास में चले जाएं तो बाइडेन कहाँ घुसेंगे ? हो सकता है कुर्सी ही अपने साथ उठा ले जाएँ ? या किसी पानी की टंकी पर चढ़ जाएं और कहें कि यदि मुझे राष्ट्रपति न माना तो कूद पडूँगा.

हमने कहा- क्या फालतू बात कर रहा है ! कहीं ऐसा होता है ?

बोला- जब आदमी सनक जाता है, कुंठाग्रस्त हो जाता है तो कुछ भी कर सकता है. तुझे वासुदेव पौन्ड्रक की कथा मालूम है या नहीं ? वह खुद को ‘वासुदेव’ कहता था. कहता था, असली मैं हूँ. वह ग्वाला तो नकली है. लेकिन अमरीका की बात छोड़ ताऊ की बात कर. बधाई दी या नहीं ?

हमने कहा- जब तक मोदी जी बधाई नहीं दे देते, हम यह गुस्ताखी नहीं कर सकते.

बोला- बधाई देने में भी मोदी जी की परमिशन चाहिए क्या ?

हमने कहा- जब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति तक दलाई लामा को बधाई देने के लिए मोदी जी का इंतज़ार करते हैं तो एक रिटायर्ड मास्टर की क्या औकात !

हमें अपने स्मार्ट फोन की स्क्रीन दिखाते हुए बोला- ले कर ले तसल्ली. मोदी जी, अमित जी, नड्डा जी सभी अडवानी जी के घर में हैं उन्हें बधाई दे रहे हैं.

हमने कहा- तो फिर जन्म दिन की ही क्या, भारत रत्न की बधाई भी दे देते हैं.

बोला- लेकिन उसकी तो अभी घोषणा ही नहीं हुई.

हमने कहा- इससे बड़ी घोषणा और क्या होगी ? त्रिपुरा में मुख्यमंत्री बिप्लव देब के शपथ ग्रहण समारोह में जिनका नमस्कार तक नहीं लिया उन्हें जन्म दिन की बधाई देने घर गए हैं और चरण भी छुए है तो मतलब साफ़ है कि तपस्या सफल हुई, इंतज़ार ख़त्म.

बोला- तो अब तक क्यों तरसाया ?

हमने कहा- अब तक अयोध्या वाला मुक़दमा चल रहा था ना. तुझे पता होना चाहिए हम हर काम साफ़-सुथरे ढंग से करते हैं.


पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment