Nov 27, 2020

ईश्वर का वरदान


ईश्वर का वरदान 


आज तोताराम ने आते ही हमारे चरणस्पर्श किये. हम चौंके. आज का ज़माना बड़ा खराब है. लोग जिसकी टांग खींचनी होती है, पहले उसके चरणस्पर्श ही करते हैं. जिस सीढ़ी से ऊपर चढ़ते हैं, सबसे पहले उसे ही निबटाकर बरामदे में टिका देते हैं. 

हमने अपने चरण पीछे खींचते हुए कहा- आयुष्मन, जो भी स्वार्थ है स्पष्ट कह. यह चरण- स्पर्श की कूटनीति ठीक नहीं. यदि चाय के साथ कुछ हफ्ता वसूली करनी है तो एक लड्डू मंगवा देते हैं अन्यथा तेरे लिए कामना कर देते हैं कि ईश्वर तुझे ट्रंप की तरह वरदान प्रदान करे. 

बोला- वे तो खुद को कोरोना होने को ईश्वर का वरदान बता रहे हैं. मुझे ऐसा वरदान नहीं चाहिए. मेरा इलाज कौनसा सरकारी खर्चे से होगा. यहाँ तो भले ही डाक्टरों को पी पी ई किट न मिल रहे हों, पार्टी के नेता अस्पताल को नकली वेंटिलेटर सप्लाई करके माल कूट रहे हों, पुलिस किसी भी मास्क न लगाने वाले को पकड़कर हजार-पांच सौ रुपए जुर्माना वसूल कर लेती हो लेकिन कोई यह नहीं पूछता कि तेरा गुज़ारा कैसे होता है ? आदमी को मास्क से पहले रोटी चाहिए. मंत्री बिना मास्क के घूमते हैं उनके लिए कोई दंड नहीं. मेरे लिए तो यह कामना कर कि एक सौ साल से भी ज्यादा जिऊँ और दुगुनी पेंशन लूँ. 

 



वैसे ट्रंप महाबली हैं, उन्हें कोरोना नहीं हो सकता. तभी तो वे मास्क को महत्त्व नहीं देते. तीन दिन में ठीक भी हो गए. मुझे तो कुछ घपला लगता है. और जो दवा लेने की बात कर रहे हैं वह तो बाज़ार में आई ही नहीं है. मुझे तो यह सब सहानुभूति-वोट जुटाने का चक्कर लगता है.  

हमने कहा- ट्रंप साहब इतने कमजोर नहीं हैं कि उन्हें जीतने के लिए ईश्वर की या जनता  की सहानुभूति की ज़रूरत पड़े. उनके पास तो एक नहीं अनेक उपाय हैं. वे कहते हैं कि हार गया तो कोर्ट में जाऊँगा या कहते हैं कि ओबामा और जो बाईडेन को जेल में डाल दिया जाना चाहिए क्योंकि इन्होंने चीन से मिलकर मुझे हराने का षड्यंत्र किया है. 

बोला- जब कुर्सी सेवा से बड़ी हो जाती है तो यही होता है. इसके लिए किसी ट्रंप को ही देश क्यों देते हो.  हिलेरी क्लिंटन ने भी तो ओबामा को बदनाम करने के लिए उसकी कीनियाई ड्रेस में फोटो छपवाई थी. हमारे यहाँ भी तो बलात्कारियों का पक्ष लेने और अपनी पक्षपातपूर्णता को छुपाने के लिए इसे राज्य में दंगे करवाने का कोई अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र बता दिया जाता है. 

हमने कहा- चलो, इस बहाने ट्रंप को जनता को कोरोना का इलाज फ्री करवाने का विचार तो आया. 

बोला-क्यों बन्धु, क्या जुमलों का ठेका हमीं ने ले रखा है ? क्या ट्रंप जुमला नहीं फेंक सकते ? उनके चुनाव में हम भी तो अपनी लोकतांत्रिक क्षमता और अनुभव का योगदान दे रहे हैं.

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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