Nov 6, 2020

सबसे दूर वाली आकाशगंगा


सबसे दूर वाली आकाशगंगा   


हमने कहा- तोताराम, तुझे पता होना चाहिए कि भारतीय खगोलविदों ने ब्रह्मांड में सबसे दूर स्थित स्टार आकाशगंगाओं में से एक की खोज की है। भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इस सफलता को अंतरिक्ष मिशनों में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। इस जानकारी को साझा करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, यह गर्व की बात है भारत की पहली मल्टी-वेवलेंथ स्पेस ऑब्जर्वेटरी "एस्ट्रोसैट" ने पृथ्वी से 9.3 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक आकाशगंगा से चरम-यूवी प्रकाश का पता लगाया है।

बोला- तो तू अपने सामान्य ज्ञान में एक उपलब्धि और जोड़ ले कि ९.३ बिलियन मतलब ९३० करोड़ प्रकाश वर्ष दूर वाली आकाश गंगा से भी दो-चार सेकेण्ड ज्यादा दूर एक और आकाश गंगा मिल गई है |

हमने पूछा- उसे किसने खोजा ?

बोला- खाकसार ने |

हमने आश्चर्यचकित होकर पूछा- तो तेरे पास इतनी बड़ी दूरबीन है ? 


galaxy


बोला- हम भौतिक औजारों के मोहताज नहीं हैं |हम हर शरद पूर्णिमा को चाँदनी रात में सुई में धागा डालते हैं |हमें किसी चश्मे और दूरबीन की ज़रूरत नहीं है |

हमने कहा- तो फिर तू भी एक अमरीकी साईट lunarrepublic.com द्वारा चाँद पर प्लाट बेचने की तरह उस आकाश गंगा के किसी तारे पर प्लाट बेचने लग जा |

बोला- मैं अमरीका वालों की तरह इतना टुच्चा नहीं हूँ |मैं तो चाहता हूँ कि हर भारतीय के नाम एक-एक प्लाट ही क्या, एक-एक नक्षत्र लिख दूँ |और जिसकी जो मर्ज़ी हो 'पीएम केयर' फंड में जमा करवा दे |अर्थव्यवस्था शून्य से नीचे गिरकर माइनस २३ % में चली गई है |मोदी जी चाहकर भी जनता के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं |इससे कुछ तो सहारा मिलेगा |

हमने कहा- लेकिन तोताराम, यह तो बहुत ऊंची फेंक रहा है | 

बोला- अब विनम्रता का ज़माना नहीं है |वह ज़माना गया जब कहा जाता था- 

हीरा मुख से ना कहे लाख हमारो मोल |
अब तो बेटा पीट ले खुद ही अपना ढोल ||

अब तो अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने का युग है |अपने बारे में खुद चिल्लाओ, अपने लिए चिल्लाने वाले भाड़े पर रखो, दूसरों को गाली निकालो, उनकी उपलब्धियों को नकारो, अपने ट्विट्टर पर सवैतनिक लाइक करने वाले रखो, मास्क लगाकर अपने पोस्टर खुद चिपकाते फिरो |

हमने कहा- तोताराम, यह तो बड़ी बेशर्मी की बात है |

बोला- शर्म से काम नहीं चलता |बकवास करने वाले के बेर बिकते हैं |मनमोहन सिंह की तरह चुप बैठने से तो कलाकंद भी नहीं बिकता | जब एक बार ब्रांड स्थापित हो जाता है तो फिर गटर-जल भी गंगा-जल के भाव से  निकल जाता है |

और जब वैदिक ज्ञान के नाम पर किसी भी गरिया दो तो क्या मेरी यह गप्प नहीं चलेगी ? ज्यादा होगा तो किसी से इस बारे में संस्कृत में एक श्लोक लिखवा लूँगा |उसके बाद तो उसके दिव्य, सत्य और अलौकिक होने पर कोई शंका नहीं कर सकता |यदि करेगा तो उसे पाकिस्तान भेज देंगे |

पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment