Jan 20, 2021

कंधे शस्त्र



कंधे  शस्त्र

 
कल दिन में रुक-रुककर और फिर रात दो बजे से मोदी जी की चुनाव सभाओं की तरह धुआंधार निंदाओं, जुमलों, आश्वासनों और धमकियों की तरह पानी बरसता रहा. हमारे कमरे के पास से बहने वाला कॉलोनी का नाला चीन की हालत पतली कर देने वाले रक्षा मंत्री की तरह गरजता रहा. उसी के प्रभाव से कल और आज सुबह धुंध छाई रही.तीनों कृषि बिलों पर किसानों और सरकार की बैठकों की तरह सब कुछ अस्पष्ट था. कुछ साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था. ऐसे में बरामदे में बैठने का कोई अर्थ नहीं.  रजाई में दुबके हुए थे कि दरवाजे पर पतली, फटी और मिमियाती आवाज़ में पूरी ताक़त से निकलती एक हुंकार ने ध्यान भंग किया- आ, निकल आ, सच्चा हिन्दू है तो. बहुत सह लिया कायर और निहत्था होने का कलंक. ले आ अपने सभी अस्त्र-शस्त्र, ब्रह्मास्त्र. सब. कब काम आएँगे.जब हमारे सभी देवता कोई न कोई हथियार धारण किये हुए हैं फिर चाहे वे हल-मूसल ही क्यों न हो. हो जा कंधे शस्त्र. 

हम आवाज़ पहचान गए, उत्तर दिया- अन्दर आजा तोताराम. जोर से मत चिल्ला गला बैठ जाएगा. खाँसी चल पड़ेगी तो कई देर नहीं रुकने वाली. 

बोला- लानत है ऐसे हिन्दू और उसकी जवानी पर. अब कायरों की तरह घर पर बैठे रहना संभव नहीं है. मुझे अन्दर आने की फुर्सत नहीं है, तू ही आ जा. 

खैर, अनखाते से बेमन से उठकर गए तो देखा तोताराम के एक हाथ में खुरपी, दूसरे में सब्जी काटने का चाकू और पीठ पर एक थैला.

हमने पूछा-  क्या खोदी लगाते-लगाते ही चल आया.  

बोला- ये मेरे अस्त्र-शस्त्र  हैं. सुपरमैन नेताओं की तरह क्या मैं बीस भुजा दस शीश हूँ जो सभी हथियार एक साथ धारण कर लूँ. शेष हथियार इस थैले में हैं. 

और तोताराम ने थैले से चिमटा, संडासी, पेचकश, प्लास. एक छोटी हथौड़ी आदि निकाल हमारे सामने फैला दिए. 

हमने कहा- तो यह है तेरा शस्त्रागार ? राफाल के इस युग में इन आदिकालीन ब्रह्मास्त्रों से तू किससे लड़ने जा रहा है ?  

बोला-   तू बता किससे लड़ना है ? मुझे क्या पता ? मुझे तो यही पता कि पश्चिम बंगाल के भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि हिन्दू समाज को हथियार उठाने होंगे. सो मेरे पास जो भी हथियार थे ले आया. तू भी अपने हथियार ले आ.  बंगाल चलते हैं. वहीँ दिलीप दादा से पूछ लेंगे किसका कल्याण करना है ?

हमने कहा- लेकिन देश पर तो कोई खतरा है नहीं. राजनाथ सिंह जी ने कह दिया है कि हम किसी को छेड़ते नहीं लेकिन जो हमें छेड़ता है उसे छोड़ते भी नहीं. वे सबसे निबट लेंगे. वैसे भी जब से राफाल आए हैं चीन और पाकिस्तान को दस्त लगने शुरू हो गए हैं. 

बोला- खतरा क्या बाहर से ही होता है ? देश के अन्दर भी तो बहुत से दुश्मन हैं जैसे विपक्ष द्वारा बहकाए गए खालिस्तानी किसान, अर्बन नक्सल, लव जिहादी आदि. सबको सबक सिखाना पड़ेगा. हिन्दू वीर एक बार केसरिया पीकर निकल जाता है तो या तो जीत कर आता है या फिर वीरगति को प्राप्त हो जाता है. 

हमने कहा- इतना ही जोश था तो भगत सिंह, सुभाष आदि के साथ क्यों नहीं गया. तब तो संस्कृति और हिंदुत्व की आड़ में मोहल्ले के किसी मैदान में हर शाम सुरक्षित रहकर कबड्डी और खो-खो खेलता रहा. यदि अहिंसक क्रांति में विश्वास था तो जलियांवाला बाग़  में गोली खाता या गाँधी के साथ सत्याग्रह करके अंग्रेजो के डंडे खाता. अब बंगाल के चुनाव में ऐसी हरकतों से क्या समाज में अशांति और दंगे फैलाने का इरादा हैं. 

बोला- हम तो भक्त हैं. हमारे प्रभु जैसा कहेंगे वैसा ही करेंगे. भक्त का काम सोचना नही. जैसे ही निर्देशक प्रभु एक्शन कहे, हाथ-पैर, डंडा-लाठी चला देना है. यदि हमारी शांतिप्रियता से भूतकाल में कुछ ऐसा-वैसा हो गया तो हम क्या करें लेकिन अब हिन्दुओं की वीरता का जलवा बिखेरने का समय आ गया है. 

महाभारत में क्या सभी योद्धा देश के लिए लड़े थे ? वह तो लड़ने-भिड़ने का खुला ओलम्पिक था. शल्य मामा था नकुल सहदेव का और बिना किसी कुंठा के लड़ा कौरवों की तरफ से.

जल्दी कर, कहीं तेरा भाषण सुनकर मेरा जोश ठंडा न पड़ जाए ! वीरता और विवेक एक दूसरे के दुश्मन होते हैं.





  


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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