Jan 25, 2021

साड़ी का पल्लू

 साड़ी का पल्लू 

वैसे तो तोताराम प्रायः हमेशा ही उत्साहित रहता है लेकिन आज कुछ ज्यादा ही उत्साहित था. उत्साह ही तो सच्चे कार्यकर्ता की शक्ति होती है, अन्यथा क्या चाय और एक दिन की दिहाड़ी में कोई सारे दिन नारे लगा सकता है ? 

बोला- मास्टर, मोदी जी का कोई ज़वाब नहीं. कपिलदेव ने तो एक वर्ल्ड कप जीता था लेकिन मोदी जी ने तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के २०१४ और २०१९ के  दो वर्ल्ड कप  लगातार जीत लिए. और यदि अमित शाह की मानें तो अगले ५० वर्षों के लिए सभी वर्ल्ड कप पक्के. मोदी जी दिल से फकीर हैं. किसी सिंहासन की कोई लिप्सा उनके मन में नहीं है फिर भी वे अमरीका या चीन से चुनाव लड़ें तो भी स्पष्ट बहुमत ले आएँगे. 

हमने कहा- हम कब मना कर रहे हैं. पहले कपिलदेव द्वारा विज्ञापित 'पामोलिव दा ज़वाब नहीं' हुआ करता था और अब मोदी जी का कोई ज़वाब नहीं. और वह भी 'पामोलिव' के बिना. न ब्लेड का चक्कर, न रेज़र की ज़रूरत. और अब तो कल विश्व भारती के शताब्दी समारोह में बोलते हुए तो एक दम गुरुदेव ही लग रहे थे. हमें तो लगा अस्सी साल बाद गुरुदेव कैसे प्रकट हो गए. अब यह निश्चिततापूर्वक नहीं कह सकते कि कोरोना के कारण सुरक्षा की दृष्टि से नाई से दूरी रखने के कारण हुआ है या बंगाल के चुनाव के कारण यह वेश बनाना पड़ा है. 

बोला- ये छोटी बातें हैं. मोदी जी जो कुछ करते हैं सच्चे मन से करते हैं. वरना लोग तो इतने चतुर और रहस्यमय होते हैं कि खुद से भी 'मन की बात' नहीं करते. और एक मोदी जी हैं जो १३५ करोड़ लोगों से धर्म की तरह नियम से मासिक रूप से मन की बात करते हैं. और दृष्टि इतनी सूक्षम कि आश्चर्य होता है. कहने को गृहस्थ नहीं हैं लेकिन साड़ी के पल्लू तक का क्या विवेचन किया है. 

हमने कहा- वास्तव में हर भाषण से पहले कितना शोध करते हैं. कितने लोगों को पता था कि रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई सुरेन्द्रनाथ पहले भारतीय आई सी एस थे और अहमदाबाद गुजरात में भी रहे थे. उनकी पत्नी ज्ञान नंदिनी देवी ने साड़ी के उलटे पल्ले का आविष्कार किया था. ज्ञाननंदिनी ने देखा कि गुजराती महिलायें सीधा पल्ला लेती हैं जिससे दायें हाथ की गतिविधियाँ साड़ी के कारण बाधित होती हैं. इसलिए उन्होंने उलटे पल्ले का का रिवाज़ चलाया जो बाद में फैशन स्टेटमेंट बन गया. 









पीएम मोदी ने किया ज्ञाननंदनी देवी का जिक्रबोला- लेकिन गुजरात बंगाल की तरह लेफ्टिस्ट नहीं बना.

हमने कहा- इसमें लेफ्ट-राईट कहाँ से आ गया ?

बोला- यह तुम्हारे अनुज का तीक्ष्ण दृष्टि है. यदि भारत को  माता के रूप में सामने से देखा जाए तो गुजरात उसकी दायीं भुजा है और बंगाल बायीं भुजा. लगता है ज्ञान नंदिनी के बाएं या उलटे पल्ले के कारण बंगाल वामपंथी है और सीधे या दायें पल्ले के कारण गुजरात दक्षिण पंथी है.

हमने कहा- और शब्दों का चुनाव भी कितना सावधानी से किया है. पल्लू को 'दामन' भी कह सकते थे. लेकिन मोदी जी ने यहाँ भारतीय संस्कृति की रक्षा बड़ी सावधानी से कर ली वरना शायरी और फ़िल्मी गीतों में 'दामन' में वह शालीनता कहाँ.

बोला- एक और बात तू ने नोट की या नहीं ? मोदी जी ने कहा कि गुजरात की एक लड़की टैगोर खानदान में गई थी. मतलब बोरिस जोंसन की तरह बंगाल से भी समधियाना जोड़ लिया.

हमने कहा- तेरे रंग में भंग न डालने के हिसाब से हम तो चुप रहे वरना हमें मोदी जी की यही बात कुछ हजम नहीं हुई. 

बोला- जय श्रीराम का नारा लगा ले, सब कुछ हजम हो जाएगा. जय श्रीराम की कृपा से विवादित ढांचा तोड़ने वालों को सुप्रीम कोर्ट २८ साल तक पहचान नहीं पाया. अंत में अज्ञात व्यक्ति कह कर बरी करना पड़ा. 

हमने कहा- कंस, शकुनी और क्वात्रोची तीनों ने इस देश में कोई भला काम नहीं किया इसलिए इस तरह बंगाल में घुसपैठ से हम बंगाल की समृद्ध और बौद्धिक संस्कृति को  लेकर थोड़ा आशंकित हैं.  

बोला- अपना राजस्थानी का वह धाँसू गाना याद कर- 'ज़रा सो टेढो होज्या बालमा म्हारो पल्लो लटके' और होज्या शादी में डी.जे. के आगे नाचता टुन्न बराती. 

अस्सी साल की इस उम्र में ज्यादा चिंता ठीक नहीं. मस्त रह.

हमने कहा- तोताराम, यदि मोदी जी इस पल्लू को 'आँचल' से बदल देते तो फिर वह टैगोर के अंतर्राष्ट्रीय मानवतावाद की ऊंचाई तक पहुँच जाता जिसमें सृष्टि रूपी माँ के आँचल में सबको प्रेम की छाया मिल जाती और तब यह दक्षिण-वाम तथा गुजरात- बंगाल नहीं रहता. हाँ, तब राजनीति के लिए गुंजाइश नहीं निकलती. 

 

  

 
 
 

 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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