Feb 22, 2021

आन्दोलन का उचित तरीका


आन्दोलन का उचित तरीका 


हमने कहा- तोताराम, किसान अपनी फ़रियाद लेकर कोर्ट नहीं गए हैं. यह तो दयालु और संवेदनशील कोर्ट ने ही संज्ञान लिया है.  न्यायालय किसान कानूनों को होल्ड पर रखने मतलब अभी प्रभावी न करने के लिए कह सकता है.    

बोला- सरकार की तरफ से अटर्नी जनरल का मत भी तो सुन. कहते हैं किसानों के इस तरह झुण्ड में, बिना मास्क बैठने से कोरोना फ़ैल सकता है. सरकार कोरोना और किसान दोनों ले किए संवेदनशील है.

हमने पूछा- क्या बिहार चुनाव और अब बंगाल में रैलियों से ऐसी आशंका नहीं है ?  इतनी ही फ़िक्र है तो ठण्ड से मर रहे, आत्महत्या कर रहे किसानों की सुनो.   





बोला- किसानों को कहाँ कोई समस्या है ?  वे तो मज़े से चिकन बिरियानी खा रहे हैं लेकिन उससे भाजपा  के उत्साही और बडबोले भाजपा नेता मदन दिलावर को बर्ड फ्लू भी तो हो सकता है. 

हमने पूछा- तो क्या किया जाए ?

बोला- मुख्य न्यायाधीश जी ने एक बहुत अच्छी, सकारात्मक, मौलिक और इन्नोवेटिव बात कही है-

‘हम भी भारतीय हैं, किसानों का दर्द जानते हैं और उनकी परेशानियों से सहानुभूति रखते हैं। बस, आपको अपने आंदोलन का तरीक़ा बदलना होगा।'

हमने कहा- तो फिर उसी पर विचार कर जिससे साँप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे. मतलब सरकार की नाक भी बच जाए, आन्दोलन भी चलता रहे और किसानों का कष्ट भी कम हो जाए.  

बोला- तो सुन,  जब भी 'मन की बात' कार्यक्रम आए तो किसान सब काम छोड़कर श्रद्धा भाव से सपरिवार सुनें. इससे देश भक्ति बढ़ेगी और खालिस्तानी तथा कम्यूनिस्ट प्रभाव कम होगा. भविष्य उज्जवल दिखाई देगा. गाय के शुद्ध घी से अपने घर में हवन करें जिससे उन्हें मानसिक शांति मिलेगी, भगवान प्रसन्न होकर उनका कष्ट दूर करेंगे. पर्यावरण शुद्ध होगा. संकट मोचन का पाठ करें. सप्ताह में तीन दिन मंगलवार, गुरुवार और रविवार को व्रत रखें  च जिससे हाजमा ठीक रहेगा और मोटापा परेशान नहीं करेगा.

भगवान से रोज़ यह प्रार्थना करें कि उन्हें समय पर खाद-बिजली उपलब्ध हों.  बीज और कीटनाशक नकली न निकल आएं. पकिस्तान से टिड्डियाँ न आएं.  इतने पर भी यदि तीनों कृषि बिलों को लेकर मन में कोई तनाव हो तो सप्ताह में एक बार सरकार के विरोध स्वरूप अपने घर में ताली-थाली बजा सकते हैं. सरकार उनके विरोध करने के इस लोकतांत्रिक अधिकार का पूरा सम्मान करेगी और उन पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं करेगी. आखिर यह उनकी सरकार है, संवेदनशील सरकार है. 

हमने कहा- मतलब साँप का कुछ न बिगड़े. बस, लाठियां टूटती रहें.



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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