तोताराम की लद्दाख यात्रा
हमारे यहाँ पिछले दो दिनों से रात का शीतमान ( क्योंकि तापमान तो गर्मियों में होता है ) ५.५ डिग्री पहुँच गया है. दिसंबर के उत्तरार्ध और जनवरी के पूर्वार्ध में -२,३ भी जाएगा इसलिए हम इसे सीरियसली नहीं लेते. अभी सर्दी के ब्रह्मास्त्र नहीं निकाले हैं. लेकिन आज तोताराम दिसंबर की -३ वाली वेशभूषा में प्रकट हुआ.
हमने कहा- कहीं मोदी जी वाला ३० हजार रूपए किलो वाला मशरूम तो नहीं खा लिया या कहीं मैना ने तुझे मोरिंगे के परांठे तो नहीं खिला दिए ? नया-नया अंडा खाने वाले ऐसे ही अकड़ते हैं. नकली मूंछें लगाने से कोई वीर नहीं हो जाता.
मोदी जी में तो ब्रह्मचर्य का बल है. किसी भी मौसम में, कहीं भी जा सकते हैं. लेकिन तेरी तो वहाँ से तिरंगे में लिपटी कुल्फी ही लौटेगी. क्या पता, यहाँ लौट कर अपने पूर्वरूप में आये या नहीं, कहीं 'ममी' बनकर न रह जाए.
बोला- क्या करूँ, जाना ही पड़ेगा. इस चीन ने परेशान कर रखा है.
हमने कहा- तो फिर मोदी जी की युवा और सच्चे देशभक्तों की सेना में तू ही बचा है क्या ? अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, सूर्या, संबित पात्रा, प्रज्ञा ठाकुर और साक्षी महाराज जैसे वीर कहाँ हैं जो किसी भी शत्रु के अपने शब्द-बाणों से ही छक्के छुड़ा दें.
वैसे तोताराम, क्या विचित्र संयोग है कि १९६२ की लड़ाई के बाद से मोदी जी के आने से पहले तक तो चीन और भारत के बीच सब कुछ शांत ही था. अब क्या हो गया ?
बोला- मुझे लगता है मोदी जी के बार-बार चाय पिलाने, घूमने-घुमाने और झूला झुलाने को शी जिन पिंग ने कमजोरी समझ लिया और ५६ इंच के मुकाबले में अपना ३६ इंच का सीना दिखाने लगा. अब राफाल आने से थोड़ा ठंडा तो पड़ा है फिर भी उसे एक भारी डोज़ देना ज़रूरी है.
हमने कहा- तो वह डोज़ तू देगा ? तू अपने साथ कौन-सा ब्रह्मास्त्र लेकर जा रहा है ?
बोला- अपना यह २८ इंची सीना ही ब्रह्मास्त्र है. जब मैं वहाँ -३० डिग्री में अपना २८ इंची सीना एक बार खोलकर दिखा दूंगा तो चीन के सैनिकों के होश यह सोचकर उड़ जाएंगे कि जिस देश का २८ इंच सीने का एक ८० साल का बूढ़ा भी इतना साहसी है तो उस देश के ५६ इंच सीने वाले आ गए तो क्या होगा ?
हमेशा के लिए हवा खिसक जाएगी बच्चुओं की !
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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