Apr 19, 2021

कुट्टू की कूढ़मगजी



कुट्टू की कूढ़मगजी 


कल 'टीका उत्सव' के बहाने एक चक्कर लगाने के लिए निकले थे तो एक परिचित की अम्मा का कोरोना का टीका लगवाने के अगले दिन ही मोक्ष का समाचार मिला. आज जैसे ही सुबह अखबार पर निगाह डाली तो भौचक्के रह गए. उधर बंगाल में अम्बे-जगदम्बे के उपासक शाह और मोदी जी राम के नाम की आड़ में ममता के पीछे पड़े हुए हैं तो यहाँ योगी जी के राज में मोदी जी के नगर (मोदीनगर) में कुट्टू के आटे के व्यंजन खाकर ४० दुर्गा के भक्त अस्पताल में भर्ती हो गए.

वैसे एक बार जब मोदी जी ने सरदार सरोवर बाँध की ऊंचाई के मामले में उपवास किया था तो शाम से पहले ही तोड़ दिया था. इसी तरह अटल जी ने भी एक दिन का उपवास किया था. चंद्रबाबू नायडू भी एक बार सुबह खाना खाकर दिल्ली आए, उपवास किया और शाम को प्लेन से घर पहुँच कर शाम का खाना खाया. हमसे तो इतना उपवास भी नहीं होता. पता नहीं, यदि ऊपर व्रत-उपवास का कोई लेखा परीक्षण विभाग हुआ तो हमारे साथ बहुत बुरा सलूक करेगा.  

आज का समाचार पढ़कर हमें अपने मरणोपरांत भविष्य से अधिक चिंता तोताराम की हुई. उसे व्रत से अधिक भोजन में विश्वास है. व्रत के बहाने जो कुछ मिल जाए, खा जाता है. हमने तोताराम के आने का इंतज़ार नहीं किया.  जैसे ही उसके हर पहुंचे तो बोला- आ जा, कुट्टू के परांठे बने हैं, दही के साथ प्रसाद छक ले.

हमने कहा- दुर्गा सप्तशती का पाठ कर लिया क्या ? 

बोला- किसे आता है चंडी पाठ  आजकल तो राम भक्तों ने बंगाल में ममता दीदी को मंच पर चंडीपाठ करने के लिए मजबूर किया हुआ है. बात बिना बात इतना जोर से 'जय श्री राम' का नारा लगाते हैं मानो अभी 'राम-बाण-वर्षा' कर देंगे. 

हमने कहा- लेकिन राम और दुर्गा में तो कोई झगड़ा नहीं है. अमित शाह भी पूरे नौ दिन नहीं तो एक दिन तो दुर्गा का व्रत रखते ही होंगे. हम गुजरात में छह साल रहे हैं. आश्विन के नवरात्रों में पूरा गुजरात दुर्गामय हो जाता है. जहां तक मोदी जी की बात है तो वे साल में नौ-नौ दिन के दो नवरात्र रखते हैं. केवल एक बार फल और नीबू पानी पीकर व्रत रखते हैं. जब अमरीका गए थे तो ओबामा के साथ डिनर में केवल सादा पानी पिया था. फिर भी इनर्जी लेवल इतना हाई. भौचक्के रह गए ओबामा. भक्ति की शक्ति. 

बोला- इस कुट्टू के परांठे में भी मोरिंगा की तरह ज़बरदस्त एनर्जी है. 

हमने कहा- सुना नहीं, आज ही मोदीनगर में कुट्टू के आटे के व्यंजन खाने से ४० लोग बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो गए.

बोला- जब उत्तर प्रदेश में कोरोना के संक्रमण का रिकार्ड टूट रहा हो, ऐसे में ये लोग मरे नहीं, यह क्या कम है.  यही तो भक्ति की शक्ति है, व्रत-उपवास का प्रभाव है.  तीरथ सिंह जी ने सही फरमाया कि कोरोना मरकज में जाने से होता है, हरिद्वार में कुम्भ-स्नान से नहीं. 

हमने कहा- लेकिन कुट्टू का भक्ति से क्या संबंध ? 

बोला- व्रत के लिए इसीका विधान है. 

हमने कहा- यह व्रत-उपवास के विधान का नहीं बल्कि कुट्टू की कूढ़मगजी का मामला है. अरे, पहले जब आश्रमों में रहने वाले ऋषि-मुनियों को कुछ विशेष चिंतन-मनन करना होता था तो उसके लिए व्रत लेते थे, व्रत पूरा करने के लिए समय चाहिए सो उपवास कर लेते थे. यदि ज्यादा ही भूख लगती थी तो आसपास में उपलब्ध कोई फल या कंद मूल खा लेते थे.  आज तो कुट्टू का आटा ढूँढ़ने में ही सारा दिन निकल जाता है. फलों से महँगा. और पता नहीं कितने दिनों और महीनों का पुराना पड़ा हुआ होता होगा वह आटा. खाकर बीमार नहीं होंगे तो और क्या होगा. 

तोताराम ने पोते बंटी को आवाज़ दी- अरे, बंटी एक परांठा और ले आ. बड़े दादाजी को तो दुर्गा की शक्ति पर विश्वास नहीं है इसलिए डर रहे हैं. 

हम तय नहीं कर पाए कि खाकर मरना बेहतर है या डर-डर कर मरना. 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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