May 16, 2022

मोदी जी किस धातु के बने हैं ?


मोदी जी किस धातु के बने हैं ? 


आज तोताराम ने आते ही प्रश्न किया- मास्टर, मोदी जी किस धातु के बने हुए हैं ? 

हमने कहा- यह सच है कि मोदी जी असामान्य, असाधारण, अद्भुत और अलौकिक हैं. उमा भारती ने उन्हें  'विष्णु' कहा था,  २०१५ में वेंकैया जी ने उन्हें 'राष्ट्र के लिए ईश्वर का तोहफा' कहा था, तो सुषमा स्वराज ने उन्हें 'राष्ट्र की पूंजी' बताया था. २०२२ में मध्यप्रदेश के एक मंत्री कमल पटेल ने 'भगवान् का अवतार', मुख्यमंत्री शिवराज ने भगवान के अवतार में योगी जी का नाम भी जोड़ दिया था. लेकिन वे किस धातु के बने हुए हैं यह किसी भी भक्त, प्रशंसक या धातु शास्त्री ने नहीं बताया. वे हमारे प्रधान मंत्री हैं, ऐसे प्रधानमंत्री जैसे १९४७ से लेकर आज तक कोई हुआ ही नहीं, और न ही भविष्य में ऐसा प्रधानमंत्री होने की कोई संभावना दूर-दूर तक नज़र आ रही है. 

क्या धन्य होने के लिए इतना ही पर्याप्त नहीं है कि वे हैं और हमारे प्रधानमंत्री हैं. उनकी सलाह और मार्गदर्शन पर यह दुनिया चल रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अन्न संकट में उनके नेतृत्त्व में भारत दुनिया का पेट भरने में सक्षम है. जहां भारत में ८० करोड़ लोगों के लिए  'प्रधानमंत्री गरीब अन्नदान योजना' चला रहे हैं, वहाँ दुनिया के भूखे देशों के लिए भी 'अन्नदान' कर देंगे पहले पीड़ित विश्व को 'वेक्सीन-दान' भी तो किया था. 

ईश्वर भी जब अवतार लेता है तो भले ही वह मछली, कछुआ, सूअर आदि या फिर मनुष्य राम-कृष्ण के रूप में अवतार ले लेकिन होता वह कोई हाड़-मांस का जीव ही है. धातु से तो मशीनें, खिलौने, रोबोट आदि निर्जीव वस्तुएं बनती हैं. लेकिन तेरे दिमाग में मोदी जी के किसी धातु से बने होने का कुप्रश्न आया कहाँ से ?

बोला- मेरी इसमें कोई गलती नहीं है. मैंने तो हमारे यहाँ आने वाले और अपने को 'विश्वसनीय' बताने वाले अखबार में पढ़ा था कि मोदी जी ने भरूच, गुजरात के किसी 'उत्कर्ष समारोह' में लाभार्थियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग से संबोधित करते हुए कहा- उन्हें पता नहीं, मोदी किस धातु का बना हुआ है. मुझे पता नहीं था और मोदी जी ने भी नहीं बताया. चुनाव के लिए नामांकन भरते समय जन्म की तारीख़, शिक्षा, संपत्ति, शादी-विवाह आदि में बारे में तो जानकारी होती है लेकिन चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार किस धातु का बना हुआ है यह कहीं नहीं पूछा जाता है. इसलिए कोई कैसे जान सकता है ? यह तो जब मोदी जी खुद ही बताएँगे तभी पता चलेगा. तुझसे तो इसलिए पूछ लिया कि तू कई वर्षों तक गाँधी जी की जन्मभूमि पोरबंदर में रहा है, उस समय मोदी जी भी वहीं सौराष्ट्र में  नवनिर्माण आन्दोलन में सक्रिय थे, तो क्या पता, तुझे मालूम हो कि कौन गुजराती किस धातु का बना हुआ है ?  

हमने कहा- एक तो वैसे ही संसद से सड़क तक चुनाव जीतने के चक्कर में लफंगे कार्यकर्ताओं ने भाव, भाषा और संस्कारों का सत्यानाश कर दिया है. रही-सही कसर अखबारों के चमचा टाइप और भाषा की घटिया समझ रखने वाले पत्रकारों ने पूरी कर दी है. कोई होश नहीं, कुछ भी लिख मारते हैं. यह ठीक है कि मोदी जी महान हैं लेकिन हैं तो मनुष्य ही. और सभी मनुष्य 'मिट्टी' के बने होते हैं. हो सकता है पत्रकारों ने उनको विशिष्ट बताने के लिए ' किस मिट्टी का बना' की जगह 'किस धातु का बना' लिख दिया हो. हमने तो जहां पढ़ा वहाँ मोदी जी कह रहे थे- उन्हें पता नहीं, मोदी 'किस मिट्टी' से बना है.  भाषा की दृष्टि से यही सही है.

वैसे भी संत मनुष्य को 'मिट्टी का पुतला' ही तो मानते हैं. कोई 'अभिमानी' अपने को 'खुदा' समझ ले और अपने मानवीय सीमाओं से परे मान ले तो यह उसका अज्ञान की कहा जाएगा. 

बोला- तो फिर सरदार पटेल को 'लौह-पुरुष' क्यों कहते हैं. 

हमने कहा- वैसे तो मनुष्य के शरीर में भी लोहा, ताम्बा, जस्ता आदि धातुएं होती हैं लेकिन इतनी कम मात्रा में कि अगर उसके शरीर की सभी धातुओं को किसी प्रकार निकाला जा सके तो उसकी कीमत २०-२५ रूपए से अधिक नहीं होगी. 

हाँ, जहां तक किसी को लौह-पुरुष कहने की बात है तो इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि वह व्यक्ति ढुलमुल नहीं बल्कि दृढ़ विचारों वाला है.

बोला- अडवानी जी भी गुजरात के गांधीनगर से छह बार सांसद बने हैं तो उन्हें भी सरदार पटेल की तरह 'लौह पुरुष' कहा जाता है. इस हिसाब से मोदी जी भी अपनी दृढ़ता के कारण सरलता से 'लौह-पुरुष' माने जा सकते हैं. लेकिन जब तक मोदी जी खुद यह न कहें तब तक मैं ऐसा स्टेटमेंट देकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता क्योंकि आजकल किसी की भी भावना को ठेस लग सकती है और ऐसे स्थिति में किसी भी 'साले' को 'फ़ास्ट ट्रेक अदालत' लगाकर गोली मारी जा सकती है.

वैसे मास्टर ये 'लौह पुरुष'  गुजरात में ही क्यों पाए जाते हैं ? गाँधी जी जैसे संवेदनशील व्यक्ति को भी सीने में तीन तीन गोलियां उतारकर कुछ हद तक 'लौह पुरुष' बना ही दिया गया. 

हमने कहा- गुजरात और लौह पुरुष का एक कनेक्शन यह हो सकता है कि गुजरात में सोमनाथ पर मोहम्मद गज़नवी ने १७ बार हमला किया लेकिन वहाँ के वीरों ने सोने और रत्नों के बदले में उससे लोहा लेकर उसे भगा दिया.

लोहा लेने वाले ही तो 'लौह-पुरुष' होते हैं.  


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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