May 7, 2022

बल, नो बल और नोबल


बल, नो बल और नोबल 


जैसे ही तोताराम आया हमने कहा- देखा तोताराम, इसे कहते हैं कानून और व्यवस्था के प्रति संवेदनशील शासन. भले ही हमारे गौरवपूर्ण इतिहास में शकुनी और कंस नाम के मामाओं ने बहुत ही क्रूर, कुटिल और घरफोडू भूमिका निभाई हो लेकिन अपने मध्यप्रदेश वाले 'मामाजी' और उनकी सजग और कानून प्रिय जनता इस समय बहुत ही सकारात्मक भूमिका निभा रही है.और पुलिस भी बहुत तत्पर नज़र आ रही है.

बोला- चलो तुझे कुछ तो अच्छा नज़र आया. लेकिन हुआ क्या यह तो बता ?

हमने कहा- भोपाल निवासी किसी राकेश पांडे नामक व्यक्ति ने दिग्विजय सिंह उर्फ़ दिग्गी राजा का का एक ट्वीट पढ़ा और उसके साथ लगी फोटो देखी, उसकी पड़ताल की और तत्काल थाने पहुँच गए कि यह फोटो मध्यप्रदेश के खरगौन का नहीं है. इस फोटो को देखकर मध्यप्रदेश में किसी भी क्षण गृहयुद्ध छिड़ सकता है. पुलिस ने जो प्रायः  प्राथमिकी लिखने तक में आनाकानी करती है, सक्रियता दिखाई और तत्काल  कार्यवाही शुरू कर दी. 

इसके तत्काल बाद मामाजी ने ट्वीट पर कहा कि दिग्विजय सिंह ने गलत जानकारी दी है। फोटो मध्य प्रदेश का नहीं है।यह धार्मिक उन्माद फैलाने का षड‌्यंत्र है.

तोताराम ने कहा-  सही बात है, परम देशभक्त राकेश पांडे, पुलिस और मामाजी सब सही हैं. समाज और राष्ट्र के सच्चे शुभचिंतक हर समय ट्वीट करते हैं, ट्वीट पढ़ते और ट्वीट का संज्ञान लेकर राष्ट्रहित के कामों में सक्रिय हो जाते हैं. आजकल राष्ट्रभक्त युवा भी इतने लाउड स्पीकर, तलवार, तमंचे, गंडासे, भाले आदि लेकर जोश और जल्दी में रहते हैं कि यदि थोड़ा सा विलंब हो जाए तो पता नहीं कब, कहाँ, किसके घर और सिर का भंजन कर बैठें. ट्विटर वालों के पास सोचने-समझने का समय कहाँ होता है ? उन्हें तो शाम तक हिन्दू राष्ट्र बना-बनू कर काम निबटाना है.  

राम काज कीन्हे बिना इनहिं कहाँ बिस्राम. 

हमने कहा- तोताराम, इस बारे में तो राष्ट्र और धर्म के भक्तों की सक्रियता के शिकार हम भी होते-होते बचे थे और एक बार चक्कर में भी आ गए थे.

तोताराम को उत्सुकता हुई, बोला- क्या हुआ था ? 

हमने कहा- एक बार हमारे पास किसी मुस्लिम राष्ट्र में बनने वाले हिन्दू मंदिर का फोटो आया कि मंदिर का निर्माण और उदघाटन हो चुका है और मुस्लिम भक्तगण केले के पत्तों पर प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं. जबकि प्रसाद का फोटो किसी होटल का था और मंदिर अभी बना नहीं था. हमने अपनी धर्मप्रियता के कारण इस सूचना का उपयोग कर लिया लेकिन ये दोनों अर्द्धसत्य थे लेकिन शुक्र है  घातक नहीं थे.

दूसरी घटना- एक फोटो आया,केप्शन था हैदराबाद में किसी मुस्लिम लड़के से विवाह न करने पर मुसलमान एक मारवाड़ी हिन्दू लड़की को परेशान कर रहे हैं. साथ में सलाह भी थी कि इस वीडियो को इतना वाइरल किया जाए कि सरकार कार्यवाही करने के लिए बाध्य हो जाए. जांच से पता चला कि फोटो पनामा नहर के पास कोलंबिया नामक एक छोटे से देश का है जहां ड्रग्स माफिया सक्रिय हैं और उनके गैंगवार चलते रहते हैं.  

बोला- अच्छा हुआ जो तूने इसे नहीं छापा ?

हमने कहा- वैसे छाप देते तो भी इसमें राष्ट्रप्रेमियों का तो कोई अपराध सिद्ध होता नहीं, निशाने पर भी आते तो वे ही जो अपनी वेशभूषा से पहचान लिए जाते हैं. 

बोला- कुछ भी हो मास्टर, मुझे इस मामले में सेवकों की एक ईमानदारी भी नज़र आई.

हमने कहा- सेवक और ईमानदारी ? बात हजम तो नहीं हुई फिर भी ...

बोला- मामाजी चाहते तो दिग्गी राजा द्वारा खरगौन के नाम से ट्वीट की गई फोटो की रामभक्ति का श्रेय ले सकते थे लेकिन नहीं, साफ़ कह दिया यह पुण्य कार्य किसी और भक्त का है. कोई वरदान दिया जाए तो उसे ही दिया जाए. हाँ, बुलडोज़र की बहादुरी वाली बात होती तो बात और थी. जो किया उसका श्रेय लेने में कैसा संकोच.  इसी तरह किसी ने मस्जिद पर भगवा झंडा लगाने की फोटो को राजस्थान की करौली का बताया लेकिन उन्होंने भी मौका होते हुए भी इसका श्रेय झटकने का प्रयास नहीं किया. अब पता चला है कि साम्प्रदायिक सद्भाव फ़ैलाने वाला यह काम उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में किया गया था. राम-कृष्ण और शिव के परमधामों की भूमि के अतिरिक्त ऐसा साहस और कहाँ के लोग जुटा सकते हैं ? 

हमने कहा- लेकिन विवेक अग्निहोत्री ने तो किसी मुस्लिम आतंकवादी संगठन के नाम से कश्मीर में गड़बड़ करने की सूचना देने वाला एक नकली पत्र ही जारी कर दिया. जबकि उसमें न तो 'लोगो' सही था, न संगठन का नाम सही और अंत में किसी के हस्ताक्षर भी नहीं थे. उस पर तो कोई कार्यवाही या ऍफ़ आई आर दर्ज नहीं हुई. कोई पाण्डेय और कोई 'मामा' सक्रिय नहीं हुआ. 

मज़े की बात तो यह कि यह पत्र डाक से आया और पत्र प्राप्त कर्त्ता को यह भी पता नहीं कि कौन लाया था. ऐसे तो हम भी कह सकते हैं कि कोई हमारे दरवाजे के नीचे से कोई एक पत्र खिसका गया, जिसके नीचे किसी के हस्ताक्षर नहीं थे लेकिन उसमें लिखा हुआ था कि रमेश जोशी को २०२२ का  शांति का नोबेल दिया जाएगा. . 

बोला- देख मास्टर, यदि तू नोबल की बात करे तो मानने से पहले बहुत सोचना पड़ेगा क्योंकि यह कोई 'फिलिप कोटलर' जैसा पुराना और प्रतिष्ठित अवार्ड तो है नहीं. लेकिन विवेक अग्निहोत्री वाले पत्र पर शंका नहीं की जा सकती क्योंकि भारत में कोई भी गलत काम मुसलमानों के अलावा और कर ही कौन सकता है ? 

इट इज ऐज़ क्लीयर ऐज़ डे लाइट. 

जिसको भी गोली लगती है वह आतंकवादी ही होता है या हो जाता है. जिस पर भी जीप अपने आप चढ़ जाती है वह किसान नहीं अपराधी ही होता है, जिसके घर की तरफ बुलडोज़र चल पड़ता है समझ लो वह अपराधी ही है. अदालत और कानून का कोई चक्कर ही नहीं. हमारे यहाँ तो मशीनें भी ऑटोमेटिक न्याय करने वाली होने लगी हैं.  

हमने कहा- एक निशानेबाज़ एक गाँव में गया. वहाँ उसने देखा कि हर तीर शूटिंग बोर्ड के ठीक बीच में लगा हुआ है. उसे बहुत आश्चर्य हुआ. उसने किसी से पूछा- तुम्हारे गाँव में तो सभी बड़े तीरंदाज हैं. हर तीर हंड्रेड परसेंट सही. ऐसा कैसे होता है ?

उस व्यक्ति ने कहा- इसमें क्या बड़ी बात है. हम पहले तीर चलाते हैं और वह  तीर जहां भी लगता है उसी के चारों तरफ शूटिंग बोर्ड बना देते हैं. 





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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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