Jun 17, 2022

अमिताभ बच्चन फाल्स बनाम रैदास का कठौता


अमिताभ बच्चन फाल्स  बनाम रैदास का कठौता 


आज तोताराम ने आते ही इंग्लिश झाड़ी जैसे कि भारत में 'जय श्रीराम' बोलने वाले विदेश में जाकर 'ओ माई गोड' की टांग तोड़ने लग जाते हैं. विदेश और वह भी गोरों वाला विदेश. नशा होना स्वाभाविक है. गोरे लोगों के तो दर्शन में ही कुछ ख़ास प्रभाव है. हरियाणवी भी 'यस, नो' करने लगता है. जैसे कि गुजरात में पहुंचते ही अच्छा भला बोरिस जॉनसन बोरिया बिस्तर लेकर जेसीबी पर चढ़ जाता है. 

बोला- मास्टर, डू यू नो अमिताभ बच्चन फाल्स ?

हमने कहा- राम-कृष्ण तो आज तक भी 'नायक' से आगे नहीं बढ़ पाए लेकिन ये !  भले ही अमित जी अपने मीडिया मनेजमेंट के बल पर अपने को 'सहस्राब्दि का महानायक' प्रचारित करवा लें लेकिन हैं तो मनुष्य ही. बुढ़ापे का असर तो शेर पर भी पड़ता है. मोदी जी हालांकि योग, प्राणायाम, संयमित आहार-विहार रखते हैं, ब्रह्मचारी भी हैं लेकिन उम्र का प्रभाव तो उन पर भी पड़ा कि नहीं ? दाढ़ी काली से सफ़ेद हुई या नहीं ? बाल पहले जितने घने कहाँ रहे ? सो 'अमिताभ बच्चन फाल्स' तो कोई आश्चर्य की बात नहीं.

एक बार एक मंच पर भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा उठते समय गिर पड़े थे. मोदी जी भी बनारस में सीढियां चढ़ते हुए गिरते-गिरते बचे थे. गड़करी जी भी एक बार मंच पर गिर पड़े थे. 

बोला- लेकिन....

हमने कहा- लेकिन-वेकिन कुछ नहीं. यह स्वाभाविक है. ठीक है अमिताभ अपने को बहुत मेंटेन करके रखते हैं. फिर भी कोई बच्चे थोड़े हैं. हमसे तीन महिने ही तो छोटे हैं. एक बार हम भी दीवार का सहारा लिए बिना पायजामा पहनने लगे तो गिर पड़े थे. उत्थान-पतन तो जीवन का नियम है. बड़े-बड़े संत महात्मा फाल्स. विश्वामित्र मेनका के चक्कर में फाल्स, इंद्रा अहल्या के चक्कर में फाल्स, सभी किसी न किसी चक्कर में फाल्स. कभी न कभी सब फाल्स. इट्स नेचुरल. सो अमिताभ बच्चन फाल्स तो कोई बात नहीं. कह देंगे, ध्यान रखा करें. भले ही बीकानेरी भुजिया खाते हैं, कोकाकोला पीते हैं और नवरत्न तेल लगाते हैं लेकिन उम्र का असर तो पड़ता ही है. 

तोताराम ने हमारे चरण पकड़ते हुए कहा- प्रभु, शांत. विराम दें अपनी वाणी की इस बुलेट ट्रेन को. बोलना होता है पर्यावरण पर और गाली देने लगता है नेहरू, इंदिरा और राजीव को. बात चल रही होती है यूक्रेन संकट की और बांचने लगता है भारत में शौचालय-क्रांति का इतिहास. मैं बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के बारे में उनके एक फैन द्वारा किये गए एक ट्वीट के बारे में बताना चाहता था जिसमें उस फैन ने बताया है कि सिक्किम में एक 'वाटर फाल्स' अमिताभ बच्चन के नाम से जाना जाता है. इस पर अमिताभ बच्चन ने प्रतिक्रिया देते हुए हैरानी जताई है. 

हमने कहा- तो इसमें क्या बड़ी बात है ? यदि तू सच्चा देशभक्त है और योगी जी की तुझ पर कृपा हो जाए तो सिक्किम का एक छोटा सा फाल्स ही क्या, 'नियाग्रा फाल्स' का नाम बदलवाकर तेरे नाम 'तोताराम' की तर्ज़ पर 'महर्षि शुकदेव प्रपात' रखवा दें. 

बोला- योगी जी तो मुस्लिम नामों को बदलने में रुचि रखते हैं जब कि अमिताभ तो बुद्ध का पर्यायवाची है. और फिर कहाँ योगी जी और कहाँ तोताराम ? ज्यादा उछलकूद करूंगा तो मेरा नाम 'तोता' से 'मच्छर' कर देंगे. 'मच्छर' को संस्कृत में 'मत्सर' कहते हैं. 'मत्सर' पञ्च विकारों में से एक विकार होता है. किसी 'विकार' पर बुलडोज़र चढ़वाना पुण्य और धर्म-रक्षा का काम होता है. सो चढ़वा देंगे बुलडोज़र तो....

वैसे सब काम के आदमी में ही प्रभु के दर्शन करते हैं जैसे एक बार उमा भारती को अटल, आडवानी और वेंकैया में ब्रह्मा,विष्णु और महेश दिखाई दिए थे फिर जैसे ही मोदी जी प्रधानमंत्री बने तो उमा जी को मोदी, अमित शाह और अरुण जेटली में ब्रह्मा, विष्णु, महेश दिखाई देने लगे.

हमने कहा- कोई बात नहीं अनुज, हम यहाँ से एक हजार करोड़ प्रकाश वर्ष दूर की एक आकाश गंगा के सबसे बड़े नक्षत्र का नाम तेरे नाम पर रख देते हैं.

बोला- ऐसे सम्मानों और नामों का कोई अर्थ नहीं होता. ये सब कर्म से कटे, हवा में लटके, कागज़ी लोगों के सम्मान और झूठ-मूठ में एक दूसरे को बधाई देने के चोचले होते हैं. रैदास ने कभी खुद के नाम से पहले 'संत-शिरोमणि' नहीं लिखा. ठाठ से खुद को चमार कहते थे क्योंकि उनके चंगे मन के कठौते में सचमुच की गंगा बहती थी. कभी गंगा ने रैदास को नहीं बुलाया. जब मन होता था तो खुद ही उनके कठौते में चली आती थी. 


 



 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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