Feb 10, 2010

टक्कर

माननीय पोप बेनेडिक्ट सोलहवें जी,
नमस्ते । हमें लगता है कि योरप में नामों की बड़ी कमी है इसीलिए लुई दसियों, जार्ज दसियों और आप बेनेडिक्ट सोलहवें और आगे भी न जाने कितने होंगे । पोप जोन पॉल द्वितीय ही हुए । हमें यह सब कुछ समझ में नहीं आया । समझ तो दुनिया में बहुत कुछ नहीं आया । पर किस-किस के लिए परेशान हों । फिर भी मानव स्वभाव है कुछ न कुछ सोचता तो है ही । काम की बात नहीं तो फालतू की बातें सोचेगा । खैर, नए वर्ष की बधाई ।

हम तो आप पर एक महिला के कूद पड़ने की बात से परेशान थे । पता नहीं उसे क्या सूझी । अरे, कूदना ही था तो ऊँची कूद कूदती, लम्बी कूद कूदती, पोलवाल्ट कूदती । अच्छा कूदती तो इनाम मिलता, स्वास्थ्य अच्छा रहता । यदि आत्महत्या ही करनी थी तो कुएँ में कूदती । यदि भारत में बोरवेल में कूदती तो इससे ज्यादा प्रसिद्धि मिलती । यदि कोई बात ही मनवानी थी तो किसी पानी की टंकी पर चढ़ कर कूदने की धमकी देती तो भी कुछ न कुछ हासिल होता । बीरू ने तो टंकी पर चढ़ कर कूदने की धमकी देकर बसंती को हासिल कर लिया ।

पता नहीं ऐसी ऊटपटांग महिला वेटिकन में कैसे पहुँच गई । लगता है आपके यहाँ सुरक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है । आपकी व्यवस्था को क्या दोष दें, हमारे यहाँ खुद व्यवस्था ठीक नहीं है । दूसरों को उपदेश देना सरल है-
पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
जे आचरहिं ते नर न घनेरे ॥

इसलिए आपको उपदेश दे रहे हैं । आपके यहाँ पता नहीं, हमारे यहाँ तो मंदिरों पर अधिक हमले हो रहे हैं । क्या अक्षर धाम, क्या बनारस का संकटमोचन, क्या अयोध्या का राम मंदिर । पहले भी हमारे यहाँ मंदिरों पर हमले होते रहे हैं- सोमनाथ, मथुरा आदि तो इतिहास में दर्ज़ हैं और टूटी हुई मूर्तियाँ तो लाखों की संख्या में ही इस देश में आज भी जहाँ-तहाँ म्यूजियमों में पड़ी धर्मान्धता की कहानी कह रही हैं । इसलिए अपने वेटिकन की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाइए । दुष्टों और मूर्खों का कोई ठिकाना नहीं । कब, कहाँ, क्या कर गुजरें । आज एक महिला कूदी है कल को कोई और भारी व्यक्ति कूद पड़े ।

जब कोई सूचना देकर कूदे तो आदमी सावधान भी हो जाये पर जब आदमी अपने हिसाब से आराम से जा रहा हो और ऊपर से कोई पचास-साठ किलो की चीज़ गिर पड़े तो बहुत मुश्किल हो जाती है । पर साहब आपकी ताकत की दाद देनी पड़ेगी कि एक पचास-साठ किलो की महिला के ऊपर कूद पड़ने के बावजूद आप तत्काल उठ गए और शांत भाव से अपने नियत स्थान पर गए और भाषण दिया, और तो और उसकी चर्चा भी नहीं की । हमारे यहाँ तो उसी दिन एक महामहिम पर तीन-तीन महिलाएँ कूद पडीं तो इतना झटका लगा कि बेचारे दो हज़ार किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में जा पड़े । पर ताकत में तो वे भी कम नहीं थे । बाल भी बाँका नहीं हुआ । मुस्कराते रहे । वैसे साधारण जीवन में तो आदमी पर एक महिला ही कूद पड़े तो ज़िंदगी भर के लिए चाल टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है, गृहस्थी का बोझा उठाते-उठाते ।

स्त्री-पुरुष ही क्या, इस ज़माने में और भी तरह-तरह की टक्करें होती ही रहती हैं । बसों, रेल गाड़ियों की टक्करें तो आम बात है । कभी सामने से तो कभी पीछे से । एक बार तो हरियाणा में दो हवाई जहाजों की आमने-सामने टक्कर हो गई । इसी साल की बात है कि अंतरिक्ष में रूस और अमरीका के यानों की टक्कर हो गई मतलब कि शीत युद्ध वाली आदत अब भी कायम है । कुछ लोग नशे में ज़बरदस्ती टक्कर लेते फिरते हैं फिर यह नशा चाहे धन का हो या पद का हो या दादागीरी का हो या जवानी का हो । पर एक बात गौर करने की है कि चाहे जानवरों की कितनी ही भीड़ हो पर उनमें इस तरह की टक्करें नहीं होतीं ,क्योंकि उन्होंने सह अस्तित्व को जीवन में उतार रखा है । जब आदमी मिल कर नहीं चलता है तो टक्कर होना भी स्वाभाविक है ।

तो साहब, भगवान की मर्जी । जो होना था सो हुआ । यह तो खैर वह जानबूझकर कूदी थी सो उसे दोष दिया जा सकता है पर मान लो अगर आकाश से बिजली गिर पड़े, ऊपर से कोई हवाई जहाज ही गिर पड़े, जिस मकान में रह रहे हैं उसी की छत गिर पड़े तो क्या कर लेंगे । आशा है आपको कोई चोट नहीं आई होगी । ज़ल्दी में पता नहीं लगता, पर बाद में चोट कराँसती है । चोट पर घी-हल्दी बहुत फायदा करती है । अकरकरा घोल कर पीना भी ठीक रहता है । आप तो खैर, झेल गए पर बेचारे फ्रांसीसी कार्डिनल रोजर एचिगेरे की तो कूल्हे की हड्डी ही टूट गई । आशा है कि प्लास्टर लगवा दिया होगा । हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे भी ज़ल्दी ही ठीक हो जाएँ ।

यह महिला पिछले साल भी उछल-कूद मचा चुकी है यहीं वेटिकन में । उसे अस्पताल में भरती करा दिया गया है । ठीक है, पर हमें लगता है कि उसकी समस्या कोई सांसारिक नहीं है वरना तो वह भी खुद अस्पताल जा सकती थी । हमें लगता है कि उसकी समस्या कोई आध्यात्मिक है, तभी न आपके पास आई थी । कम से कम एक बार पूछ तो लीजिये कि समस्या क्या है । वह तो हो सकता है कि गलती कर गई, पर आप तो ईश्वर-पुत्र ईसा मसीह के प्रतिनिधि हैं जिन्होंने उन्हें फाँसी देने वालों के लिए भी भगवान से क्षमा की प्रार्थना की थी ।

वैसे महिलाओं के बारे में सही बात कहते हुए भी महिलावादियों से डर लगता है कि पता नहीं, महिला-स्वतंत्रता की आड़ में किस की टाँग खींचने लग जाएँ ।

महिलाओं के बारे में लगभग सभी देशों और धर्मों में कोई बहुत अच्छी बातें नहीं कही गईं हैं । हो सकता है कि इसमें पुरुषों की अपनी कुंठा काम कर रही हो । पता नहीं गलती किसकी थी, पर विश्वामित्र जैसे ऋषियों तक को चक्कर में डाल दिया महिलाओं ने । हमारे यहाँ तो जिसकी भी तपस्या भंग करवानी होती है तो इंद्र इन्हीं को भेजता है । आजकल मीडिया वालों ने इस प्रकार की गतिविधियों का नाम 'स्टिंग आपरेशन' रख दिया है । बेचारे आदम को भी तो स्वर्ग के बगीचे से इसी जीव ने नीचे धरती पर ला पटका । पर सारा दोष इसी जीव को देना भी तो ठीक नहीं क्योंकी 'मेरी' भी तो महिला ही थी । यदि यह जीव नहीं होता तो आप-हम सब इस दुनिया में आते ही कैसे ।

हमारा तो कहना है कि उस महिला का हालचाल भी पूछें और यदि संभव हो तो उसकी मदद भी करें । क्या पता, उसकी भी कोई हड्डी टूट गई हो ।

२७-१२-२००९

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
Jhootha Sach

3 comments:

  1. क्या कुदवाया है श्रीमान ...वाह ....बाकी हल्दी पीकर शैक करने से दर्द जरूर कम हो हो ही जाता है....राय सही दी आपने...

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  2. हां-हा-हा, बढ़िया, उस महिला को तो ओलंपिक पदक दिया जाना चाहिए था !

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