Oct 14, 2025


2025-10-13   

जूते और कुत्ते न्मपत्री  

 

आज तोताराम ने आते ही कहा- मास्टर,कोई अच्छा ज्योतिषी ध्यान में हो तो बता ?   

हमने कहा- ये सब बकवास हैंदशरथ के कुलगुरु वशिष्ठ जी ने बहुत सोच समझकर मुहूर्त निकाला था लेकिन हुआ क्या ? शादी के बाद दशरथ की मृत्यु और राम को वनवास 

बोला- यह सब वशिष्ठ जी को मालूम थाउन्हें पता था कि रावण को वरदान मिला हुआ है कि वह किसी नर या वानर से नहीं मारा जाएगाइसीलिए विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया, वन में जाकर वानर-भालुओं की सेना बनाई और रावण का विनाश कियायह सब देवताओं की सेटिंग थी राक्षसों को उल्लू बनाने के लिए 

हमने कहा- राम मंदिर और सेंट्रल विष्ठा का मुहूर्त भी तो ज्योतिषियों ने निकाला था लेकिन दोनों टपकने लगे कि नहीं ? 

बोला- वह तो सीमेंट के थोड़ी रेत ज्यादा हो गई थी लेकिन नीले रँग की बाल्टी रखवा तो दी गई कि नहींवैसे जैसे सूट सिलने से पहले अच्छे दर्जी एक बार उसे कच्चा करके पहनाकर टेस्ट करते हैंसो यह भी टेस्ट थाअच्छा है टेस्ट हो गया अब अगली हजार बरसातों तक नहीं टपकेगा 

हमने कहा- और अगर ज्योतिष से ही पता चलता है तो पुलवामा और पहलगांव का भविष्य भी दिखला लेते और कर लेते सुरक्षा इंतजामक्यों मरवाया लोगों को 

बोला- अगर ज्योतिष में कुछ विज्ञान नहीं होता तो ज्योतिषी कैसे बताया देते कि कब कौनसा ग्रहण होगा, कहाँ कहाँ दिखाई देगा और कब शुद्ध होगा 

 

 

हमने कहा- यह ज्योतिष नहीं यह सूर्य, पृथ्वी, चंद्रमा आदि की गति का शुद्ध गणित है जो सभी देशों के वैज्ञानिक बता देते हैं और उस विद्या को ज्योतिष नहीं, खगोल विज्ञान कहते हैंजिसमें भारत मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक चंद्रशेखर को नोबल पुरस्कार मिला था 

बोला- तू भले ही मान या नहीं लेकिन मुरली मनोहर जोशी फिजिक्स कर प्रोफेसर थे और उन्होंने अपने शिक्षा मंत्री के कार्यकाल में कुछ सोचकर ही तो विश्वविद्यालयों में ज्योतिष की पढ़ाई शुरु कारवाई होगी नाऔर संघ और भाजपा ने बहुत अच्छी तरह से ज्योतिष गणना करके ही तो मोदी जी प्रधान मंत्री बनाया कि यह बंदा विष्णु का अवतार है और कभी चुनाव नहीं हारेगा और जब तक भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं बन जाएगा, विश्व गुरु नहीं बन जाएगा, अर्थव्यवस्था 500 ट्रिलियन की नहीं हो जाएगी तब तक दिन में 22-22- घंटे सेवा करता रहेगा । लेकिन काम पूरा करके ही छोड़ेगा 

हमने कहा- लेकिन अमर तो कोई नहीं हैकभी भी ब्रह्मा, विष्णु और महेश किसी को अमर होने का वरदान नहीं देतेजन्म के साथ सबके मरण का दिन भी लिख ही दिया जाता हैराम-कृष्ण अवतार थे, जन्म लिया तो मरना ही पड़ा, दुनिया से जाना पड़ा, माया समेटनी ही पड़ी कि नहीं ?   

बोला- हो सकता है मोदी जी विष्णु के अवतार नहीं बल्कि साक्षात विष्णु ही होंतभी आडवाणी जी, मुरलीमनोहर जोशी कुछ नहीं कर रहे बल्कि चुपचाप बरामदे में बैठे कयामत का इंतजार कर रहे हैंअगर आडवाणी जी किसी अच्छे ज्योतिषी से कंसल्ट कर लेते तो 2014 में कभी इन्हें प्रधानमंत्री का उम्मीदवार नहीं बनाते 

लेकिन तू टाइम खोटी मत करतुझे किसी अच्छे ज्योतिषी का पता नहीं मालूम तो वैसे कह देमैं किसी और से पूछ लूँगा 

हमने कहा- सभी ज्योतिषी अच्छे होते हैंसमान रूप से चतुर, चालाक और लालचीवे भारी दक्षिणा देने पर जैसा चाहे मुहूर्त निकाल देते हैंबिना तोड़-फोड़ किए  वस्तु दोष ठीक कर देते हैंतभी तो पंचकों में राम मंदिर का मुहूर्त निकाल दिया और लगी नहीं कि राम लला की छत टपकने 

बोला- तेरी सब बात ठीक लेकिन एक बात बतातेरा यह जर्मन शेफर्ड कुत्ता बीज बोने के बाद तेरी क्यारियों को खोद खोद कर खराब कर देेता ि हीं ?  

हमने कहा- हाँ, लेकिन यह तो कुत्तों का सामान्य स्वभाव होता है 

बोला- नहींसब कुत्ते ऐसा नहीं करते ।  अगर तू इसकी जन्मपत्री दिखवा लेता तो तुझे पता चल जाता कि यह पिछले जन्म में स्वयंसेवक था और स्वयंसेवक को सेवा करने की ऐसी बीमारी होती है कि जब वह एक बार सेवा कर्म में दीक्षित हो जाता है तो फिर सेवा किए बगैर नहीं मानताभले ही जिसकी सेवा की जा रही हो वह सेवा से पीड़ित होकर मर ही क्योंजाएपुजारी खुद तो ठंड से बचने के लिए कई कपड़े पहने रहता है लेकिन क्या वह कभी सोचता है कि भयंकर सर्दी में शिव लिंग पर ठंडा पानी डालने से शिव जी को कैसा लगता होगा 

हमने कहा- यह बात तो सच हैयह बार बार क्यारियाँ खोद देता हैयहाँ तक कि जिसमें पौधे उगे रहते हैं उसे भी खोद देता हैअब क्या करेंकोई उपाय ?  

बोला- सबका उपाय है लेकिन स्वयंसेवक का नहींअब भुगत ज्योतिष पर विश्वासकरने का परिणाममैं तो चला किसी अच्छे ज्योतिषी से कंसल्ट करने के लिए 

और तोताराम बिना चाय पिए ही चला गया ।   

हमें लगा कि जानवरों ही नहीं बल्कि जूते चप्पलों की भी जन्म पत्री बनवा-दिखला लेना चाहिएइसमें भी कुछकुछ दैवीय जैसा कुछ अवश्य होता है वरना एक जूता मंदिर में चोरी हो जाता है, एक जूता अच्छा-भला होने पर भी पहनने की बजाय किसी पर फेंक दिया जाता है और कोई जूता बार बार रिपेयर हो होकर ज़िंदगी भर किसी के पैरों में घिसटता रहता है तो एक जूता किसी सिंहासन पर विराजमान होकर सरकार चलाता है 

हमने इस बहस-मुबाहसे और चिंता-चिंतन में ध्यान ही नहीं दियाजब उठाकर अंद जाने लगे तो देखा हमारी चप्पलें ही गायब हैं ।   

 

-रमेश जोशी    

 

 


पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment