Jul 28, 2010
एंज्वाय कोकाकोला
तोताराम का आदर्श है वह मकड़ी जो 'द किंग एंड द स्पाइडर' में बीसियों बार गिरकर भी अंत में दीवार पर चढ़ ही जाती है । निर्माता 'हेराफेरी' के बाद ‘फिर हेराफेरी’ या 'हेराफेरी पार्ट टू’ बनाता है । सो भले ही थानेदार ने तोताराम की 'शुद्ध के लिए युद्ध एक्सप्रेस' पटरी से उतार दी हो मगर तोताराम की लगन खत्म नहीं हुई है । जैसे कुएँ में से ज्यादा पानी निकाल लेने पर पानी टूट (कम हो) जाता है पर कुछ देर बाद फिर संचरित हो जाता है उसी तरह उसके एक्टिविस्ट मन में फिर कोंपलें फूट आई हैं ।
आज सवेरे-सवेरे अखबार लाकर हमारे सामने पटक दिया, बोला- पढ़ । चोमू के कोकाकोला बनाने वाले प्लांट से निकली २०० मिलीलीटर की बोतल में पाउच निकला है । जब उपभोक्ता ने शिकायत की तो ज़वाब मिला- ऐसा तो होता ही रहता है । मतलब कि कंपनी की गुणवत्ता का स्तर अब भी कायम है । उपभोक्ता मंच ने फैसला दिया कि कंपनी मानसिक यातना के बदले २५ हज़ार रुपए जमा करवाए । जिसमें से उपभोक्ता को पाँच हजार रुपए मिलेंगे और बीस हज़ार 'मंच' उपभोक्ता कल्याण के लिए अपने पास रखेगा । मतलब कि यहाँ भी अस्सी प्रतिशत का कमीशन ।
हमने तोताराम को समझाया- देख, कोल्ड्रिंक और पाउच (जिस गुटके का है वह ) दोनों ही स्वास्थ्य के लिए समान रूप से फायदेमंद हैं । अच्छा है गुटके का पाउच मिला देने से कोल्ड्रिंक की गुणवत्ता और बढ़ जायेगी । और फिर उस कंपनी ने गुटके के उस पाउच का कुछ एक्स्ट्रा चार्ज भी तो नहीं किया । हो सकता है कि यह कंपनी की 'एक बोतल के साथ एक पाउच फ्री' की कोई स्कीम हो ।
एक वैद्य जी थे । वे खुद अपने यहाँ अच्छा च्यवनप्राश बनवाया करते थे । दमे के मरीजों को वे यही च्यवनप्राश खाने की सलाह दिया करते थे । हमारे एक मित्र को दमन की तकलीफ थी । वे वैद्यजी से च्यवनप्राश ले आए । जब डिब्बे का च्यवनप्राश खत्म होने को आया तो एक दिन उनकी चम्मच में च्यवनप्राश के साथ छिपकली का कंकाल भी चला आया । मित्र भयभीत । भागे-भागे वैद्य जी के पास गए । वैद्य जी ने कहा- शर्मा जी, आप शाकाहारी हैं और आपके च्यवनप्राश में छिपकली का कंकाल निकलना गलत है मगर आप बुरा न मानें तो बता दूँ कि दमे में छिपकली फायदा ही करती है ।
भारत के लोग विषपायी, भगवान नीलकंठ शिव के उपासक हैं । उनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत है । अमरीका-आस्ट्रेलिया में जो अनाज वहाँ के पशुओं के खाने के योग्य नहीं पाया जाता उसे वे सस्ते दामों में भारत को बेच देते हैं जिसे खाकर हम उभरती अर्थ व्यवस्था बन रहे हैं । योरप-अमरीका से आने वाले कबाड़ को तोड़कर हम अंतरिक्ष यान बना रहे हैं । बड़ा जीवट वाला देश है यह । तू बिलकुल चिंता मत कर । तोताराम कुछ तो हमारे भाषण से और कुछ अपनी संवेदना को न समझे जाने के कारण विचलित हो गया और फट पड़ा- सोच अगर अमरीका में ऐसा हुआ होता तो ? अरे, अब तक तो कंपनी पर अरबों का दावा ठोंक दिया गया होता ।
हमने कहा- अमरीका से भारत की तुलना मत कर । अमरीका वैकुंठ है और उसके निवासी देवतुल्य हैं । लेबनान में कुछ अमरीकी सैनिक मारे गए तो अमरीका ने अरबों डालर का दावा ठोंक दिया । भोपाल जैसी एक दुर्घटना में अमरीका में एक बार कोई तीन सौ लोग मारे गए तो फिर वहाँ ऐसे उद्योग लगाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया । अब वैसे उद्योग भारत जैसे देशों में लगाए जाते हैं । भोपाल में मारे गए लोगों को जितना मुआवजा दिया गया उतना तो हमारे यहाँ अवैध शराब पीकर मरने वालों को दे दिया जाता है । और अब तो कुछ अमरीकी कम्पनियाँ भारत में परमाणु रिएक्टर लगाने वाली हैं ! तो कंपनी वाले कह रहे हैं कि किसी दुर्घटना में भले ही कितने ही लोग मरो वे पाँच सौ करोड़ से ज्यादा का मुआवजा नही देंगे ।
अरे, मक्खी, मच्छर और चूहों के मरने पर कोई केस चलते हैं क्या ? अब मोइली जी कह रहे हैं कि केस बंद नहीं हुआ है जैसे कि अब ये परसों ही एंडरसन को यहाँ लाकर केस चलाएँगे और जेल भिजवा देंगे । जिस डर से श्यामला हिल्स, भोपाल के गेस्ट हाउस में ही एंडरसन की जेल, जमानत और विदाई करवा दी, क्या वह डर खत्म हो गया है । जब छब्बीस साल केस चलाकर आठ लोगों को केवल दो-दो साल की सजा सुना दी और वे भी अब जमानत पर रिहा हैं तो एंडरसन को सजा सुनाने में तो पाँच सौ साल लगेंगे । बोतल में गुटके को भूल और हाकिम की अदा का मज़ा ले ।
तोताराम उत्तेजित हो गया- मुझे तो लगता है कि इस देश को अमरीकी माल का बहिष्कार कर देना चाहिए ।
हमने कहा- तोताराम यह तेरे-मेरे क्या, न तो मनमोहन सिंह के बस का है और मोंटेक सिंह के बस का । तू तो बोतल में से पाउच निकालकर कोल्ड ड्रिंक पी ले ।
'जो चाहो हो जाए, एंज्वाय कोकाकोला' ।
१५-६-२०१०
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
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Jhootha Sach
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