Feb 24, 2011

दोस्ती और उम्र


पवार साहब,
नमस्ते । आजकल तो आप वर्ल्ड कप के चक्कर में व्यस्त होंगे और अब लोग हैं कि उलटी-सीधी बातों से आपको परेशान किए हुए हैं- कभी दालें, कभी अनाज, कभी महँगाई और कुछ नहीं तो मिले तो प्याज को लेकर चिक-चिक । अब क्रिकेट सँभालें कि ये परचून । अब लोगों ने आपकी और शहीद उस्मान बलवा की दोस्ती को ही मुद्दा बना लिया । कल ११-२-२०११ को आपने ठीक ही कहा कि आप ७० के हैं और बलवा ३२ का । उम्र के इतने अंतर में दोस्ती कैसे हो सकती है ? यदि कोई बूढ़ा चाहे तो भी जवान लोग उस से दोस्ती नहीं करना चाहते । जवान एक सौ से ऊपर की स्पीड से मोटर साइकल या कार चलाते हैं और इस उम्र में अपना यह हाल है कि गर्दन गुगली की तरह हिलने लग रही है । पर लोग हैं कि कुछ न कुछ कहते ही रहते हैं । शास्त्रों में कहा गया है कि - 'लायक ही सों कीजिए ब्याह, बैर और प्रीत' ।
आप शास्त्र के ज्ञाता है फिर हम तो यह नहीं मानते कि आप ऐसा बेमेल जोड़ मिलाएँगे ।

वैसे पशु, लम्पट, स्वार्थी लोग उम्र, योग्यता, विचार कुछ नहीं देखते । बहुत से खल-कामी अपने से आधी क्या चौथाई उम्र की लड़की फँसाने में भी शर्म नहीं करते । इटली के प्रधान मंत्री के किस्से तो आपने पढ़े ही होंगे । सत्रह साल की लड़की के साथ उनके चर्चे चल रहे हैं । कुख्यात उपन्यास 'लोलिता' में तो एक बूढ़े सज्जन एक किशोरी को फँसा कर भागे-भागे फिरते हैं । पशु को तो इतना भी भान नहीं रहता कि अमुक मादा उसकी खुद की ही बेटी है । स्वार्थ आदमी को अंधा कर देता है । अपने देश के ही एक नेता ने आपातकाल में अपने से अढ़ाई गुना कम उम्र के संजय गाँधी की चप्पल उठा कर उन्हें पहनाई थी । अभी माया बहन की सेंडिलें साफ करते हुए एक पुलिस अधिकारी का फोटो छपा ही है ।

हमारे एक बुजुर्ग मित्र हैं । कविता करते हैं । कवि सम्मेलनों में जाते हैं । अब उम्र के कारण लोग उन्हें कम बुलाने लगें हैं मगर ये अपने बेटे से भी कम उम्र के संयोजक/कवियों के घुटने छूकर कहते हैं- आदरणीय, ध्यान रखिएगा । वास्तव में रंडी, अभिनेता, मंचीय कवि और नेता कभी रिटायर नहीं होते । ये फ्री में भी सेवा करने के लिए तैयार रहते हैं । सेवा की लत जो लगी हुई होती है । सेवा से बड़ी खुजली और कोई नहीं होती । लम्पटता, रिश्वतखोरी और खुशामद कभी उम्र का बंधन नहीं मानती । अस्सी नब्बे का नेता भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहता है । सलमान रश्दी अब भी लड़कियाँ पटाने में लगे हैं । नारायण दत्त जी पता नहीं पितृत्त्व परीक्षण से डरकर या किसी पद की आस में भाजपा से नजदीकी बढ़ा रहे हैं । चौरासी साल की उम्र में हैदराबाद में राजभवन को ऐसा आबाद किया कि बर्बाद होकर देहरादून जाना पड़ा । करुणानिधि अगला चुनाव लड़ने के मूड में नज़र आ रहे हैं । फिल्म वाले सारे बाल उड़ जाने पर भी विग लगाकर जमें हुए हैं परदे पर ।

वैसे उम्र कम होने से कोई फर्क नहीं पड़ता । राम को कम उम्र और नाज़ुक देखकर जब जनक जी की पत्नी शंका करती हैं कि यह सुकुमार किशोर धनुष कैसे तोड़ सकेगा तो उनकी सहेली कहती कि देवी, तेजवंत को कभी छोटा मत समझो । मन्त्र, अंकुश छोटे होते हैं मगर बड़े-बड़ों को वश में कर लेते हैं । व्यक्ति तेजवंत मतलब कि काम का होना चाहिए । बलवा भले ही कम उम्र का है मगर है तो कोई ऊँची चीज ही वरना २जी स्पेक्ट्रम वाली टीम में कैसे शामिल होता ? राजा कौन से बुजुर्ग हैं ? व्यक्ति कर्मों से बड़ा होता है । कुछ लोग मरने को आ जाते हैं मगर बचपना नहीं छूटता ।

आप तो खैर उम्रदराज़ हैं, जिम्मेदार व्यक्ति हैं और फिर क्रिकेट जैसे राष्ट्रहित और लोक-कल्याणकारी कर्म से जुड़े हैं ।
आपको कहाँ फुर्सत ? और फिर क्रिकेट में क्या नहीं है ? जैसे क्रिकेटर हजारों लोगों के हल्ले की परवाह नहीं करते हुए खेलता रहता है उसी प्रकार आप तो लगे रहिए, मुन्ना भाई की तरह ।

१२-२-२०११
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

2 comments:

  1. शरद पंवार और नारायण दत्त तिवारी को बहुत अच्छा लपेटा आपने. अफ़सोस इन चिकने घडो पर और इनकी हरकतों पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है.

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