Feb 16, 2011

टीम इण्डिया और हार-जीत


तोताराम चाय पीने में व्यस्त था और हम अपनी चिंता में । हमने पूछा- तोताराम, अब प्रवीण कुमार के हाथ की चोट कैसी है ?
तोताराम- पता नहीं । उसके स्थान पर श्री संत को ले लिया गया है ।

हम- पर क्या प्रवीण कुमार ठीक हो गया तो श्री संत को निकाल कर फिर प्रवीण कुमार को ले लिया जाएगा?

तोताराम- हो भी सकता है ।

हम- क्या वह श्री संत से बेहतर बॉलर है ?

तोताराम- यह चांस की बात है ।

हम- अब भज्जी की चोट कैसे है ? क्या वर्ल्ड कप तक ठीक हो जाएगा ? भज्जी के बिना तो कैसे चलेगा ?

तोताराम- यह तो होता ही रहता है । कोई न कोई तो खेलेगा ही ।

हम- पर अब टीम इण्डिया की क्या संभावना है ?

तोताराम- अपने वाले तो यही कह रहे हैं कि टीम इण्डिया जीतेगी ।

हम- ऐसा तो हमेशा ही कहते रहते हैं पर १९८३ के बाद जीती तो नहीं अपनी टीम । वैसे अबकी बार तो पूजा-पाठ किए हैं, ख्वाज़साहिब के यहाँ भी चादर चढ़ाई है । जीत जाएँ तो ठीक रहे । अगले वर्ल्ड कप तक तो क्या पता, सचिन सन्यास ले ले । धोनी तो कह रहा है कि सचिन को वर्ल्ड कप का उपहार देंगे । तेरा क्या ख्याल है ?

तोताराम- मेरा ख्याल क्या काम आएगा । काम तो खेल आएगा । अच्छा खेलेंगे, तो जीत जाएँगे । मैं कोई ज्योतिषी हूँ क्या जो बता सकूँ ?

हम- ज्योतिषी तो शरद पवार जी भी नहीं हैं फिर भी जब वे कृषि जिंसों के बारे में बोलते हैं तो महँगाई बढ़ जाती है तो कुछ तो उनके ज्ञान या जुबान में कमाल है ही । फिर भी तेरा मन क्या कहता है ?

तोताराम झल्ला कर कहने लगा- अब चाय भी पीने देगा या नहीं । हद हो गई यार, एक चाय में और कितना भाषण पिलाएगा ? पहले तो तू क्रिकेट वालों की बड़ी टाँग खिंचाई किया करता था । अब क्या हो गया ? बड़ी क्रिकेट की फ़िक्र लग रही है, क्या बात है ? क्या तूने क्रिकेट पर कोई सट्टा लगा रखा है ?

हमने कहा- नहीं ऐसी बात तो नहीं है ।

तोताराम- तो फिर इतना परेशान क्यों हो रहा है ?

हमने कहा- बात यह है तोताराम कि पिछले वर्ल्ड कप के समय हमने क्रिकेट पर कुछ दोहे लिखे थे और एक तेजी से बढ़ते अखबार ने उन्हें छापने और प्रति दोहा हमें बीस रुपए देने का आश्वासन भी दिया था । तीन दोहे छपे भी मगर जैसे ही टीम इण्डिया हारने लगी तो उसने हमारे दोहे छापना बंद कर दिया और साठ रुपए भी खा गए । अबकी बार उन्हीं दोहों को फिर एक अखबार में भेजा है । यदि टीम इण्डिया हारने लगी तो फिर दोहे छपना बंद ।

तोताराम बोला- लगता है, तेरे दोहों से ही पिछली बार टीम इण्डिया हार गई । यदि तू अपने दोहे वापिस ले ले और फिर कभी क्रिकेट के बारे में कुछ भी नहीं लिखे तो मैं तेरी आमदनी की भरपाई कर सकता हूँ । ले यह सौ का नोट और बंद कर अपने अपशकुनी दोहे ।

हमने कहा- तोताराम, क्रिकेटर विज्ञापन के लिए बिकाऊ हो सकते हैं, हमारी कलम नहीं ।

१३-२-२०११

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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