Feb 27, 2011

तोताराम और २० करोड़ का शराब का विज्ञापन


(सन्दर्भ : सचिन ने बीस करोड़ का शराब का विज्ञापन छोड़ा । बीस करोड़ का कोकाकोला का विज्ञापन पकड़ा- २७-२-२०११)

हम चबूतरे पर बैठे थे कि तोताराम जल्दी-जल्दी आगे से गुजरने लगा । हमने आवाज़ लगाई- क्या घर भूल गया जो भागा जा रहा है ? कहने लगा- अभी ज़रा जल्दी में हूँ । चाय आते समय पिऊँगा । हाँ, एक बात का ध्यान रखना । कोई शराब के विज्ञापन का प्रस्ताव लेकर आए, तो मना कर देना । भले ही वह बीस करोड़ क्या, दो सौ करोड़ का ऑफर दे । कह देना तोताराम शराब के विज्ञापन नहीं करता ।

हमें आश्चर्य हुआ, बीस करोड़ का विज्ञापन और वह भी तोताराम को ? कब से करने लगा यह साइड बिजनेस ? कभी चर्चा भी नहीं की ।

हमने उसे पकड़ कर रोक लिया, कहा- पहले सारी बात बता । तब जाने देंगे ।

बोला- आज कल शराब बनाने वाले विज्ञापन के लिए सेलेब्रिटीज को ढूँढ़ रहे हैं । सचिन ने तो मना कर दिया है सो अब बचा और कौन ? अब वे मुझे ढूँढते हुए फिर रहे होंगे और तू जानता है कि मैं शराब के पक्ष में नहीं हूँ सो चाहे कितने भी रुपए दें मगर मैं शराब का विज्ञापन नहीं करने वाला । हाँ, कोई कोकाकोला वाला या पेप्सी वाला आए तो कह देना कि मैं अभी आधे घंटे में आ रहा हूँ ।

हमने हँसी आगई, कहा- क्यों भाई, और कोई महत्त्वपूर्ण व्यक्ति नहीं बचा क्या, तेरे अलावा विज्ञापन करने के लिए । बड़े-बड़े बादशाहों और महानायकों को देख ले । कह रहे हैं पैसे के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं । किसी की शादी, जन्म दिन कुछ भी हो बुला लो, पैसे दो और करवालो नाच-गाना, कमर मटकवाना, जो चाहो । अब तू ही एक बचा है शालीनता और सिद्धांतों का पालन करने वाला ? और सचिन की जहाँ तक बात है तो उसने शराब नहीं तो कोकोकोला वाला विज्ञापन पकड़ लिया । दोनों में कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं है । शराब पीकर भी आदमी को लगता है कि वह कुछ भी कर सकता है जैसे कि चूहा शराब पीकर बिल्ली से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है । कोकाकोला का विज्ञापन भी ऐसे ही दिखाया जाता है कि उसे पीते ही जो चाहो सो हो जाएगा । वैसे दोनों ही कोई जीवन रक्षक वस्तुएँ नहीं हैं ।

तोताराम कहने लगा- यदि शराब कोई बुरी चीज होती तो क्या सरकार उसे बंद नहीं कर देती ? और तुझे पता नहीं, शराब से जो टेक्स मिलता है उससे कई कल्याणकारी कार्यक्रम चलाती है सरकार । और फिर सचिन ने कहा है कि कोकाकोला वाले विकास के कार्य भी तो करते हैं ।

हमने कहा- किसी गाँव के सारे जलस्रोतों का शोषण करके कोई एक गड्ढा खुदवा देते हैं और प्रचारित कर देते हैं कि इसमें वाटर हार्वेस्टिंग करेंगे । और हो गया विकास । अरे, यहाँ का पानी, यहाँ के पीने वाले और एक रुपए का माल और वह भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक, पिलाकर बारह रुपए ले जाते हैं अपने देश । यह है विकास ? इतने रुपए में तो आदमी इससे ज्यादा दूध खरीद सकता है । और जहाँ तक रोजगार की बात है तो लाखों बोतल बनाएँगे और रोजगार मिलेगा पन्द्रह लोगों को । इससे ज्यादा रोजगार तो दस-बीस गाएँ पालने पर लोगों को मिल सकता है ।

सचिन के क्रिकेट और कोकाकोला से जो विकास हो रहा है उसी का परिणाम है कि टी.वी., मोबाइल और कम्प्यूटर सस्ते हो रहे हैं और खाने की चीजें महँगी । बिना पेट में रोटी गए यह सब ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है ।

तोताराम हँसते हुए कहने लगा- नाराज़ न हो बंधु, तुझे नहीं जँचता तो कोई बात नहीं । नहीं करेंगे विज्ञापन । लाखों करोड़ के घोटालों से, सत्तर लाख करोड़ स्विस बैंक में चले जाने से भी जिस देश का कुछ नहीं बिगड़ सकता तो उस देश के एक वरिष्ठ और विशिष्ट नागरिक तोताराम पर भी दस-बीस करोड़ का विज्ञापन छोड़ देने से कोई असर नहीं पड़ेगा ।

अच्छा, अब इस चाय को गरम करवा ले । ठंडी हो गई दीखे ।

हमने कहा- तोताराम, भले ही सचिन को २० करोड़ का शराब का विज्ञापन ठुकराने पर भारत रत्न नहीं मिला हो मगर तुझे अवश्य ही यह दो सौ करोड़ का शराब का विज्ञापन ठुकराने के कारण 'भारत-रत्न' मिलेगा ।

तोताराम ने हमें बड़ी अदा से सलाम ठोंका, और कहा- ज़र्रा नवाज़ी के लिए शुक्रिया ।

२८-२-२०११

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

4 comments:

  1. सचिन तो नोट किलो के भाव से तोलता होगा इसलिए बीस करोड़ छोड़ भी सकता है. सुना था की आज से दस साल पहले MRF ने पांच साल के लिए सचिन से सौ करोड़ का अनुबंध किया था. कहते भी है न की देने वाला जब भी देता है तो पूरा छप्पर फाड़ के देता है.

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  2. बहुत बढ़िया व्यंग्य.

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