प्रभु !
तुम सदैव मुस्कराते रहते हो |
ज्योतिषियों से तुम्हारा भविष्य सुनकर
जब राजा शुद्धोदन ने तुम्हें
घेर दिया था सुंदरियों से,
फैला दिया था चारों ओर भोग का दलदल,
बाँध दिया यशोधरा के बाहुपाश में,
जब रखा गया था तुम्हारे पुत्र का नाम राहुल अर्थात 'बंधन'
तब भी तुम मुस्करा रहे थे;
वृद्ध, बीमार और मृत व्यक्तियों को देखकर भी
खेलती रही थी तुम्हारे मुख पर यही मुस्कराहट |
जब तुम्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने या
अमरत्व प्रदान करने के लिए
उकेर दिया था पहाड़ों के वक्षस्थल पर
या अजंता की पहाड़ियों के सीने में से
काटकर जीवंत कर दिया था तुम्हें
नीम अँधेरे में अपनी आत्मा की आँखों से,
या हो रहा था तुम्हारा आयात-निर्यात
एशिया के विभिन्न देशों को
तब भी तुम इसी तरह से मुस्करा रहे होगे |
आज जब तुम्हारे
अंग-प्रत्यंग में डायनामाइट भर कर शीघ्रातिशीघ्र
फतवे की तारीख़ और पवित्र त्यौहार से पहले
तुम्हारी मूर्तियों को धराशायी करने का पवित्र कार्य
सारी दुनिया के विरोध के बावज़ूद चल रहा है
तब भी तुम मुस्करा रहे हो |
और तो और तुम तो
सारनाथ के संग्रहालय में, एकांत में भी
अनंतशायी मुद्रा में मुस्करा रहे हो |
मूर्तियों को तोड़ने के बाद
बनाया जाएगा उनका चूर्ण और
अंतिम उपाय के रूप में पिला दिया जाएगा
दैत्य-गुरु को शराब में घोल कर,
तब भी तुम मुस्करा रहे होगे |
दैत्य-गुरु से ज्यादा डरे हुए हैं उनके भक्त
क्योंकि उन्हें घूरती है हर घड़ी
तुम्हारी अक्षय, अनंत मुस्कराहट |
काश, तुम डरते, भयभीत होते, उनके सामने गिड़गिड़ाते
तो इतना नहीं डरते ये मूर्ति-भंजक |
तुम बहुत विचित्र हो प्रभु,
वास्तव में अज्ञेय,
किसी भी क्रोध से अधिक डराती है तुम्हारी मुस्कराहट
डरे हुए हैं दैत्य-गुरु भी
उस आगत उदर पीड़ा से
जिसके इलाज़ के लिए संजीवनी मन्त्र सिखाकर
तुम्हें फिर निकाला जाएगा उदर चीर कर |
तब भी तुम मुस्करा रहे होगे |
और अपनी संजीवनी विद्या से दैत्य-गुरु को
जीवित करते हुए भी तुम मुस्करा ही रहे होगे प्रभु !
क्या आप कुछ देर के लिए
मुस्कराना बंद नहीं कर सकते ?
आपकी मुस्कराहट से बड़ा डर लगता है, भगवन !
७-३-२००१ (11 साल पूर्व आज ही के दिन )
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteरंगों की बहार!
छींटे और बौछार!!
फुहार ही फुहार!!!
होली का नमस्कार!
रंगों के पर्व होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!
...तुम्हारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा,
ReplyDeleteक्योंकि तुम पत्थर के हो गए हो मूर्तियों की तरह !
तुम्हारी मुस्कान भी यंत्रवत रहेगी,
क्योंकि तुम मौसम से बेपरवाह हो !