Apr 15, 2012

राजा भैया का वर्क एक्सपीरिएंस

राजा भैया उर्फ़ रघुराज प्रताप सिंह,

उम्र में आप से दुगुने बड़े होने के कारण आशीर्वाद दे रहे हैं । वैसे हमारे आशीर्वाद के बिना भी आप खुश ही हैं । जब मायावती ने आपको जेल में डाला था तो आपके बारे में कई समाचार पढ़ने में आते थे कि आपने एक शेर भी पाल रखा है और जिस को भी मृत्यु दंड देना होता है तो उसे शेर के पिंजरे में डाल देते हैं । शेर ही शेरों को पाल सकता है । हम तो एक बार चिड़ियाघर में गए थे । जैसे ही शेर के पिंजरे के पास गए तो पता नहीं वह क्यों दहाड़ा ? हम तो उसकी दहाड़ सुन कर ही बेहोश हो गए । अब जब भी कभी जाते है तो चिडियाँ ही देख कर आ जाते हैं ।

बी.एड. में हमें पढ़ाया जाता था कि जो बच्चा कक्षा में सबसे ज्यादा शरारत करता है उसे मोनीटर बना देना चाहिए । वह इस जिम्मेदारी के कारण शरारत करना भूल जाएगा । पता नहीं, मुलायम जी ने आपको इसीलिए तो जेल मंत्री नहीं बनाया ? वैसे राजा की विशेषता इसी से पता चलता है कि वह कैसे मंत्री चुनता है । अकबर पढ़ा लिखा नहीं था लेकिन उसने जो नवरत्न चुने वही उसकी बुद्धिमत्ता का सबसे बड़ा प्रमाण है । भले ही आप मुलायम जी की पार्टी में नहीं हैं लेकिन उन्होंने आपकी योग्यता को पहचान कर आपको पहले भी मंत्री बनाया था । योग्य व्यक्ति कहीं भी मिले उसकी योग्यता का लोकसेवा में उपयोग होना ही चाहिए । कवि ने भी कहा है-

उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पे होय ।
पर्यो अपावन ठौर में, कंचन तजे न कोय । ।


रूस में रक्षा मंत्री उसे ही बनाया जाता है जो बहुत अच्छा जनरल रहा हो । अब अपने यहाँ कृष्ण मेनन को रक्षा मंत्री बनाया जो एक राइफल भी नहीं उठा सकते थे । जगजीवन राम जी भी रक्षा मंत्री बने लेकिन उनकी फिजीक ऐसी थी कि किसी दुश्मन के पीछे भाग कर उसे पकड़ना उनके बस का नहीं था । जार्ज फर्नांडीज तो कुर्ता पायजामा पहन कर सियाचिन चले गए । यह तो लोगों ने उन्हें कपड़े दे दिए, नहीं तो ऐसा निमोनिया होता कि कई दिनों दुःख पाते ।

आपको जेल का अनुभव है इसलिए आपको जेल मंत्री बनाया । अब हमें विश्वास है कि देश की हालत चाहे कैसी भी रहे लेकिन जेलों की हालत ज़रूर सुधर जाएगी । देखिए, आपने आते ही ११ अप्रैल २०१२ को जेलों में कूलर लगवाने के आदेश दे दिए । सलमान खान भी जब जोधपुर की जेल में रहा तो उसने भी बाहर निकलते समय घोषणा की कि वह जेल में टायलेट बनवाने के लिए सहायता देगा । हमें विश्वास है कि आपको तो जेल में कोई असुविधा नहीं होने दी गई होगी । आपका रुतबा ही ऐसा है । हमारे दिमाग में आपकी छवि थी कि आप लंबी-लंबी मूँछों वाले कोई खूँख्वार व्यक्ति होंगे लेकिन अब मंत्री बनने के बाद आपका फोटो देखा तो मज़ा आ गया । आप तो बड़े स्मार्ट लगे । चाहें तो अब भी किसी अच्छे-खासे हीरो की छुट्टी कर दें ।

अब जेलों में न तो कैदियों को कोई कष्ट होगा और न ही उन्हें ऐसा-वैसा भोजन दिया जाएगा । आखिर उनके भी कोई अधिकार हैं । जब कसाब को जेल में बिरयानी खिलाई जा रही है तो ये तो बेचारे कोई देशद्रोही भी नहीं हैं । बस, थोड़े से साहसी हैं । साहसी होना कोई बुरी बात नहीं है । साहसी लोग ही किसी देश की सबसे बड़ी ताकत होते हैं । यदि दुनिया के बड़े-बड़े नेता जेलों में जाने का साहस नहीं दिखाते तो क्या इस दुनिया का इतना विकास होता ? साधारण लोग तो बस अपनी नौकरी करके घर आ जाते हैं और बीवी बच्चों में मगन हो जाते हैं । ऐसे साधारण लोगों के भरोसे किसी देश में कोई बदलाव नहीं आ सकता । सभी बड़े-बड़े नेता और समाज में परिवर्तन लाने वाले लोग कभी न कभी जेल अवश्य गए हुए हैं । हमारी बात छोड़ दीजिए हमें तो कोई पुलिस वाला मज़ाक में भी नमस्ते कर लेता है तो हमारी जान सूख जाती है । हमारे एक मित्र पुलिस में अधिकारी बन गए तो हमें उनसे भी डर लगने लगा । हमारे बेटे के लिए एक पुलिस अधिकारी की बेटी का रिश्ता आया तो हम उसे भी घबरा कर मना कर बैठे ।

अब जेलों में आपको कोई गोली, मतलब कि धोखा, नहीं दे सकेगा । आप सब जानते हैं कि कैदी कौन चीज, कहाँ छुपाते हैं ? जेल में कैसे मोबाइल, शराब, सिगरेट और स्मेक पहुँचते हैं । कैसे जेलों में जन्मदिन की पार्टी आयोजित की जाती है ? वे आपको स्टाफ का आदमी ही मानते होंगे । आदमी और किसी का लिहाज करे या न करे लेकिन स्टाफ वाले का ज़रूर ध्यान रखता है । ट्रक, बस वालों को देखिए, रास्ते में कोई भी बस या ट्रक खराब मिलता है तो वे उसकी खैर-खबर लेते हैं और सब तरह की मदद करते हैं ।

हो सकता है अब कोई पकड़ा भी जाएगा तो तत्काल पुलिस वाले को कहेगा- स्टाफ । और फिर सब ठीक हो जाएगा ।

हमने एक बार पोर्ट ब्लेयर में रहते हुए जेल का एक टेंडर पढ़ा था जिसमें कैदियों के लिए फल, सब्जी, मांस, मछली आदि की सप्लाई का ज़िक्र था । हमें लगा कि आदमी जेल में घर से भी बढ़िया खाना खाता है । और अब तो आप जैसे योग्य और संवेदनशील व्यक्ति आ गए हैं इस विभाग में तो और भी सुधार होगा मगर अब हममें ही जेल जाने योग्य साहसिक कर्म करने की हिम्मत नहीं रही । अब तो इस देह रूपी जेल से आत्मा रूपी कैदी की रिहाई का समय आ रहा है ।

हाँ, यदि किरण बेदी की तरह जेल में कोई कविसम्मेलन करवाने का इरादा हो तो हमें ज़रूर याद कीजिएगा ।

१४-४-२०१२
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

1 comment:

  1. जोशी सर,
    कुछ ब्लोग्स ऐसे हैं जिन्हें पढ़ पाना ब्लोगिंग का हासिल माना जा सकता है| दिल से कहता हूँ, आपका ब्लॉग उनमें से एक है| पढकर खुद को अनुगृहीत समझता हूँ|

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