Mar 1, 2016

झुमका खोने की स्वर्ण-जयंती

  झुमका खोने की स्वर्ण-जयंती 

आज तोताराम बहुत खुश था |आते ही बोला-पढ़ा मोदी जी का भाषण ?

हमने कहा- हाँ, पढ़ा |देखना-सुनना तो संभव नहीं क्योंकि अपने पास टी.वी.नहीं है और अब तो जेतली जी के नए बजट के बाद केबल टी.वी. और महँगा हो जाएगा तो लोग अखबार से ही काम चलाएँगे- सवा सौ रुपए महिने में सारे समाचार और दस रुपए महिने की रद्दी मुफ्त |

बोला- कुछ भी कह लेकिन बंदा जब भी कहीं जाता है तो पूरा होम वर्क करके जाता है |अब देखा, लोग ताली नहीं बजा रहे थे तो 'मेरा साया' के गाने का 'झुमका गिरा रे...' का ज़िक्र करके तालियाँ बजवा ही लीं |और तो और हमें भी यह मालूम नहीं था कि बरेली का सुरमा प्रसिद्ध है सो यह जानकारी भी मिल गई |

हमने कहा- वैसे गाना तो एक और भी है- कज़रा मोहब्बत वाला, अँखियों में ऐसा डाला ----|यदि गीतकार इसकी जगह 'सुरमा बरेली वाला' कर देता तो सारे देश को यह जानकारी पहले ही हो जाती और कविता के वज़न पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता |वैसे अब सुरमे का कोई ख़ास महत्त्व नहीं रहा |जहाँ तक दृष्टि-दोष की बात है तो कुछ सरकारी नेत्र शिविरों को छोड़, मोतियाबिंद का इलाज़ ठीक से हो ही जाता है |औरतें सुरमे की जगह पेन्सिल रखती हैं; जब-जहाँ चाहे नेत्र सज्जा कर लेती हैं |

बोला- लेकिन यह भी तो कहा कि पाँच साल में किसानों की आमदनी दो गुना हो जाएगी |

हमने कहा- लेकिन पाँच साल में चीजों के दाम अढाई गुना बढ़ जाएँगे तो क्रय शक्ति आज की बजाय २५ प्रतिशत कम रह जाएगी |चौबे जी दुबे जी बन जाएँगे |

कहने लगा- यह भी तो कहा है कि अम्बेडकर जयंती पर  ई-मार्केटिंग  शुरु हो जाएगी जिससे किसान जहाँ भी ज्यादा मूल्य मिलेगा अपनी फसल बेचकर अधिक लाभ कमा सकेगा |

हमने कहा- सभी व्यापारी मिले हुए हैं |जैसे ही फसल आएगी सारे देश में भाव गिर जाएँगे |छोटा किसान फसल रोक नहीं सकता |उससे खरीदने के बाद व्यापारी फिर भाव बढ़ा देंगे |

बोला-तुझे तो कुछ भी पोजीटिव दिखाई नहीं देता | अच्छा, तू बता, मोदी जी को वहाँ क्या कहना चाहिए था ?

हमने कहा- उन्हें कहना चाहिए था- यह वर्ष झुमका खोने का स्वर्ण जयंती वर्ष है |( 'मेरा साया' १९६६ में रिलीज़ हुई थी )आज तक एक अबला नारी गुहार लगाती रही- झुमका गिरा रे, बरेली के बज़ार में.... लेकिन सब वैसे ही मज़ा लेकर प्रश्न पूछते रहे- फिर क्या हुआ ? जैसे कि किसी बलात्कार-पीड़िता से वकील या पुलिस वाले प्रश्न पूछते हैं- फिर क्या हुआ ? किसी भी संगठन या सत्ताधारी पार्टी ने उसका झुमका ढूँढ़ने का कष्ट नहीं उठाया | आज तक भारत माता की वह बेचारी बेटी बिना झुमके के ही अस्सी बरस की मरणासन्न बुढ़िया हो गई है |यदि आप हमें अवसर देते हैं तो हम पाँच साल में उसका झुमका ढूँढ़ निकालेंगे |

बोला- तू कैसा कवि है ?यह झुमका किसी धातु का झुमका नहीं है |यह तो जनता की अस्मिता का प्रतीक है जिसे कोई भी शासक न  ढूँढ़ता और न ही मिलने पर लौटाता है |भाषणों और आश्वासनों के बल पर सभी इस 'झुमके' को हथियाना चाहते हैं |

हमें लगा- तोताराम बातें कैसी भी करे लेकिन समझता सब कुछ है |



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