खुशामदी उत्साह के अतिरेकी प्रदर्शन की प्रतियोगिता
आज तोताराम ने आते ही बड़ा अजीब प्रश्न किया- धींगामुश्ती वैद्यजी के क्या हालचाल हैं ?
हमने राज वैद्य, कविराज, भिषगाचार्य आदि शब्द तो सुने थे लेकिन यह 'धींगामुश्ती वैद्य जी' हमारे लिए नया शब्द था |अर्थ पूछा तो बोला- सुन-सुनाकर, बिना किसी उचित और पूर्ण ज्ञान के काम करने वाले आधे-अधूरे लोगों के लिए है यह शब्द |इसे उर्दू में नीमहकीम भी कहते हैं|नीम भी त्रिफला की तरह रोगनाशक होता है |पर इस नीम का उस नीम से कोई संबंध नहीं होता |
ऐसे ही किसी वैद्य ने त्रिफला के अनन्त गुणों का वर्णन सुनकर किसी गाँव में जाकर अपनी बैदगी जमा ली | सबको हर बीमारी में त्रिफला दे देता |एक दिन उसके पास एक आदमी आया |उसकी भैंस खो गई थी |वैसे तो वैद्य जी ने ऐसी कोई बीमारी का नाम सुना नहीं था लेकिन लालच के मारे ग्राहक को लौटाने का मन भी नहीं हुआ |सो उसे भी त्रिफला दे दी |और कुछ ज्यादा ही दे दी क्योंकि भैंस का मामला था |भैंस के मालिक को दस्त हो गए |
उन दिनों भारत अस्वच्छ नहीं था इसलिए 'स्वच्छ भारत' के तहत शौचालय वाली महामारी का फैशन भी नहीं चला था |इसलिए शुचिता के लिए घर से थोड़ा दूर जाना पड़ता था |संयोग ऐसा हुआ कि शाम को उसे गाँव के किसी खेड़े के पास खड़ी अपनी भैंस दिखाई दे गई |चमत्कारी इलाज | बैदगी जम गई |वैद्य जी पुज गए |
हमने पूछा- लेकिन इन नक्कालों को पहचानें कैसे ?
बोला- आजकल देश में 'त्रिफला वैद्यंग' ही तो चल रही है | सभी समस्याओं- अराजकता, बेकारी और गरीबी के तीनों दोषों का 'त्रिदोषनाशक' एक ही इलाज चला हुआ है | अखबार,रेडियो, टीवी सबमें इन्हीं 'त्रिफला-वैद्यों' के विज्ञापन आते रहते हैं | स्वच्छ भारत : स्वस्थ भारत' मतलब शौचालय और है क्या ?|सब कुछ कृष्णार्पणम की तरह सब कुछ शौचालयं | गाँधी जी के 'सत्याग्रह' जैसे महान शब्द को भी हथियाकर 'स्वच्छाग्रह' बना लिया |थोड़े दिनों में इसे 'शौचाग्रह' भी बनाया जा सकता है |
कोई यह भी नहीं कह सकता कि शौचालय बनाना अच्छी बात नहीं है | कोई यह प्रश्न भी नहीं कर सकता कि जब खाने को ही कुछ नहीं होगा तो शौचालय की ज़रूरत ही क्यों पड़ेगी | यह देश अब तक इन बंद और कमरेनुमा शौचालयों के बिना कैसे स्वस्थ और जीवित रह लिया ?|
कौन तर्क करे कि पहले मुर्गी थी या अंडा ? मनुष्य ने भोजन पहले किया या पहले शौच गया ?इसलिए बस एक ही काम चल पड़ा है- शौचालय |एक-एक दिन में लाखों शौचालय बन रहे हैं |ज़मीन पर या कागज पर, पता नहीं |
हमने कहा- बात तो सही है |आज कल जिसे देखो शौचालय में ही घुसा हुआ है |उत्तर प्रदेश के सीतापुर के जिला मजिस्ट्रेट ने आदेश दे दिया कि जब शौचालय के साथ फोटो भेजोगे तभी तनख्वाह मिलेगी |जैसे कि तनख्वाह काम करने की नहीं, शौच जाने की मिलती है |अपनी सक्रियता के लिए नाम कमा चुकी किरण बेदी ने पुदुचेरी की राज्यपाल की हैसियत से शौचालय न बनवाने वालों का सस्ता अनाज बंद करने का फरमान जारी कर दिया |बिहार में उत्साही पंचायत और नगरपालिका के अधिकारियों ने गांवों में खुले में शौच करने वालों के विरुद्ध 'लुंगी खोल' अभियान चलाया जा रहा है |कूड़ा फ़ैलाने वाले सफ़ेद झक्क कपड़े पहनकर झाड़ू लगाते हुए फोटो खिंचवाकर ऊपर भिजवा रहे हैं |'मन की बात' सुनने के प्रमाणस्वरूप फोटो छपवाकर ऊपर भिजवाए जा रहे हैं |आचरण का कोई हिसाब-किताब नहीं है |
अब तो अनुष्का शर्मा का किसी लग्ज़री कार से प्लास्टिक का एक टुकड़ा फेंकते हुए व्यक्ति को डाँटते हुए वीडियो आया है जो उसके पति विराट कोहली ने उसी समय बनाकर डाल दिया था |वे ठहरीं मोदी जी के स्वच्छता अभियान की ब्रांड अम्बेसडर की पत्नी |और फिर मुंबई जैसे साफ शहर में प्लास्टिक के एक टुकड़े को वे कैसे बर्दाश्त कर सकती हैं | प्लास्टिक के इस छोटे के अतिरिक्त तो पूरी मुम्बई बिलकुल साफ हो चुकी है |पता नहीं, इस देश के आसमान में उड़ती प्लास्टिक की थैलिया किस देश से आती हैं ?कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने अनुष्का का उत्साह बढाते हुए उसका पक्ष लिया है |
बोला- तो क्या हम वास्तव में इतने सफाई पसंद हो गए हैं ?क्या हम कूड़ा न फ़ैलाने और कूड़ा प्रबंधन में इतने विकसित और सक्षम हो गए हैं जो प्लास्टिक का एक टुकड़ा हमें चिढ़ा देता है ? फिर दिल्ली के गाजीपुर इलाके में कूड़े का एवरेस्ट कैसे और क्यों जमा हुआ है ? क्या वहाँ के इलाके के लोग इसे पसंद करते हैं या इसे उन्होंने जमा किया है ? यह सब लक्ज़री कार वाले इलाकों के घरों की सफाई करके फेंका हुआ कूड़ा है |
हमने कहा- ऊपर वालों की खुशामद के बतौर उत्साह का अतिरेक दिखाकर अपनी गोटी लाल करने का नाटक है यह सब | रास्ता तो कूड़ा सृजित न करने वाली जीवन शैली अपनाने से ही निकलेगा | अन्यथा सफाई के नाम पर बड़े लोगों का कूड़ा छोटे लोगों के इलाके में आता रहेगा |कुछ घर और इलाके नहीं, पूरी दुनिया साफ हो तो सफाई है |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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