Jul 23, 2018

तोताराम का गले मिलना



तोताराम का गले मिलना 



समझ में ही नहीं आता कि सरकार की प्राथमिकताएँ क्या है ? कभी किसी अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले का भुगतान महिनों तक रोक लिया जाता है | वह सप्लाई बंद कर देता है और उस स्थिति में ५० बच्चे दम घुटकर मर जाते हैं |कभी किसी नेता की रैलियों और उसकी छवि बनाने के लिए जनता की गाढ़ी कमाई के सैंकड़ों-हजारों करोड़ रुपए खर्च कर दिए जाते हैं |कभी किसी किसी योजना की छोटी-सी अप्रमाणित उपलब्धि को प्रामाणिक दिखाने के लिए लाखों लोगों को , कुछ दबाव और कुछ लालच के सहारे इकठ्ठा करने में करोड़ों रुपए फूँक दिए जाते हैं | 

किसी के मन की बात को करोड़ों रुपए खर्च करके, फिल्म की तरह पहले से डायलाग और एक्टिंग तय करके सहज संवाद के रूप में मजबूरन दिखाया जाता है |किसी विज्ञापन विशेष को रेडियो टीवी पर दिन में सौ बार दिखाया-सुनाया जाता है |और कभी किसी अत्यंत लोकतांत्रिक कार्यक्रम को पता नहीं किस विकास के नाम पर सिरे से गायब कर दिया जाता है |कल यही हुआ |हमारे पास टीवी नहीं है |रेडियो से काम चलाते हैं | विश्वास या अविश्वास प्रस्ताव,जैसा भी लोग अपनी-अपनी राजनीतिक आस्थाओं के अनुसार कहें, सुनना चाहते थे |लेकिन राष्ट्र के नाम सन्देश की तरह, नितिन गडकरी जी के विभाग का कार्यक्रम 'हैलो हाइवे' और बिग बी का देश भक्ति गीत 'दरवाजा बंद तो बीमारी बंद' हर क्रिकेट मैच के बीच सौ बार सुनवाने वाले रेडियो ने कल की सारे दिन चली कार्यवाही अविरल नहीं सुनवाई |क्यों ? 

आँखों देखे हाल में और अखबार में बड़ा फर्क है |अखबार के इंतज़ार में बरामदे में बैठे थे |जैसे ही हम दीर्घ शंका के लिए अन्दर गए कि अखबार वाला बरामदे में अखबार छोड़ गया | तभी बरसात को आना था | आए तो अखबार गीला |उठाएँ तो लुगदी बन जाए |उठाकर एक तरफ रख दिया और सूखने का इंतज़ार करने लगे |तभी तोताराम आगया |हम उठें, सँभलें तब तक तोताराम ने हमें बाँहों में भरा लिया |



हम हड़बड़ा गए, कहा- आज कौनसा धनुष तोड़ आया या संजीवनी बूटी ले आया | क्या तमाशा है ? ढंग से बैठकर बात कर |

बोला- आज जब दुनिया में हर क्षेत्र और विषय में कटुता का बोलबाला है, लोग हर बात में एक दूसरे की निंदा करने का ही अवसर ढूँढ़ रहे हैं तब मेरे जैसा कोई भला आदमी तेरे गले लग रहा है तो तुझे वह तमाशा लगता है |जब राहुल गाँधी मोदी के गले लग सकते हैं तो मैं तेरे गले क्यों नहीं लग सकता ?

हमने कहा- हमने तो सुना है मोदी जी इसे गले पड़ना कह रहे हैं |

बोला- बन्धु, अब यह तो कैसे पता चले कि कोई गले मिल रहा है या गले पड़ रहा है |मोदी जी भी तो चाहे जिस-तिस विदेशी नेता से गले मिलते ही हैं |उनसे भी गले मिलते हैं जिनके यहाँ गले मिलने की प्रथा ही नहीं है | कई बार तो फोटो से ऐसा लगता है जैसे सामने वाला परेशान तो है लेकिन किसी शिष्टाचार के तहत प्रकट नहीं कर रहा है |ट्रंप तो किसी से ढंग से हाथ तक  नहीं मिलाना चाहते लेकिन जब कोई उनसे आगे चलकर लिपट जाता है तो बेचारा क्या करे |झेल जाता है | देश के लिए अरबों डालर का सौदा जो पटाना होता है |

हमने कहा- किसे पता राहुल के मोदी जी से मिलने, मोदी जी के ट्रंप से मिलने और तेरे हमसे गले मिलने में कितनी असलियत है और कितना नाटक ?

बोला- जब बड़ों को नाटक करते पूरा टर्म समाप्त होने को आगया तो एक छोटे ने एक बार नाटक कर भी लिया तो इतना अचकचाने या घबराने की क्या ज़रूरत है ?

हमने कहा- बन्धु, ज़माना खराब है |क्या पता किसने बघनखा छुपा रखा हो |

बोला- तो मैं तुझसे बघनखा लेकर गले मिलूँगा |

हमने कहा- बात की बात थी वरना एक दूसरे का सच हम दोनों जानते हैं |





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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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