लाभान्वित, लाभार्थी और सकाम कर्म
एक ज़माना था जब हम अखबारों, रेडियो और पत्र-पत्रिकाओं से मानक भाषा सीखते थे और अब आलम यह है कि बच्चों से कहना पड़ता है कि अखबारों की वर्तनी पर विश्वास मत करो |हो सके तो सच जानने के लिए शब्दकोश देखो |
हम अक्सर कोई गलती नज़र आने पर एक विश्वसनीय अखबार के संपादक को फोन कर दिया करते थे |पहले तो एक-दो बार उन्होंने हमें इस बात के लिए धन्यवाद दिया |अब चिढ़ जाते हैं और हमारा नंबर देखकर फोन काट देते हैं |ठीक भी है, जब गलत वर्तनी और गलत शब्द प्रयोग के बावजूद अखबार की बिक्री बढ़ रही है तो बिना बात का 'हिंदी की हिंदी' का टेंशन क्यों लिया जाए |
आज जब अखबार में जयपुर में मोदी जी द्वारा सरकारी योजना का लाभ प्राप्त करने वाले दो-अढाई लाख लोगों से संवाद करने का समाचार पढ़ा तो माथा ठनका |
और कोई तो हमारी सुनता नहीं तो जैसे ही तोताराम आया, हमने उसीको पकड़ लिया और पूछा- बता, मोदी जी कल जयपुर में 'लाभार्थियों' से मिले या 'लाभान्वितों' से ?
बोला- लाभार्थी का अर्थ होता है - वह जिसे अभी लाभ मिला नहीं |वह लाभ के लिए प्रयत्नशील है |उसकी कामना कर रहा है, कोशिश में लगा है | जैसे अध्यापक पद का अभ्यर्थी |मतलब कि अभी उसने प्रार्थना-पत्र दिया है |अभी टेस्ट, साक्षात्कार आदि की प्रक्रिया चलेगी उसके बाद चयन होगा, नियुक्ति-पत्र मिलेगा , कार्यभार सँभालेगा तब अध्यापक बनेगा |तब उसे किसी अध्यापक भर्ती-योजना का 'लाभान्वित' कहा जाएगा |एम.ए. की परीक्षा देने वाला परीक्षार्थी होता है |जब पास हो जाएगा तब एम.ए. कहा जाएगा |यदि किसी ने किसी योजना के तहत आवेदन दिया तो वह उस योजना का लाभार्थी है |जब उसे लाभ मिल जाएगा तो वह लाभान्वित हो जाएगा |कायदे से तो यह 'लाभान्वितों' से संवाद का कार्यक्रम था न कि 'लाभार्थियों' का |लेकिन इससे फर्क क्या पड़ता है ?
हमने कहा- मानो तो फर्क तो हर बात से पड़ता है |यह बात और है कि इस देश को किसी बात से फर्क नहीं पड़ता |कोई दो हजार करोड़ लेकर भाग जाए या किसी लड़की से सरे आम बलात्कार हो जाए या भीड़ किसी को किसी भी बहाने से मार डाले तो भी |
बोला- ये जयपुर ले जाए गए लोग लाचार थे |लाभ-हानि से इनका कोई संबंध नहीं था |जिसे गैस कनेक्शन मिला उसे कहा- चल, नहीं तो तेरा कनेक्शन ख़त्म |जिसने अर्जी दे रखी थी उससे कहा- चल, नहीं तो कनेक्शन नहीं मिलेगा |
यह असल में चुनाव में पार्टी के टिकट और पद तथा प्रमोशन के लाभार्थी नेताओं और अधिकारियों का कार्यक्रम था | भाव को समझो, भंगिमा को पहचानो |जैसे सभी नदियाँ समुद्र में जाती हैं वैसे ही सब कुछ चुनाव-चक्र है |जब भेड़िया तिलक लगाने लगे तो समझो चुनाव नजदीक है |
हमने कहा- किसी गरीब को जनता के पैसे से एक गैस कनेक्शन दे दिया तो उसके गले में पट्टा डालकर राजधानी में घुमाएँगे, फोटो उतारेंगे |
कहते हैं नेकी कर दरिया में डाल, निष्काम कर्म करो, विनम्र भाव से सेवा करो और यहाँ जनता के करोड़ों रूपए खर्च करके अपने छोटे से काम का ढिंढोरा पीटो |यह सकाम कर्म का निकृष्ट नमूना है |
बोला- याद रख, अब हर बुजुर्ग के माथे लिखवाया जाएगा- मोदी जी की कृपा से रेल में २५% छूट लेने वाला |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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