Jul 30, 2018

आँख मारना और दिल का साइज़



आँख मारना और दिल का साइज़    


आज तोताराम आया तो हमने कहा- तोताराम, कल तूने राहुल के मोदी के गले लगने की बात तो बता दी लेकिन यह नहीं बताया कि राहुल ने आँख भी मारी थी |

बोला- तो क्या यह गौरक्षकों की भीड़ द्वारा किसी मुसलमान को मार देने या अंधविश्वासों की आलोचना करने पर स्वामी अग्निवेश की ठुकाई कर देने जैसा जघन्य काम हैं ? 

हमने कहा- इसमें क्या है ? यह तो एक आस्थावान और गौभक्त देश में कोई बड़ी बात नहीं है |यह तो खैर मना कि कलबुर्गी, दाभोलकर और गौरी लंकेश की तरह किसी भाई से टपकवा नहीं दिया |गौरव और जोश के अतिरेक में कुछ भी संभव है |लेकिन आँख मारने जैसा अश्लील काम और वह भी संसद में |बेचारी सुमित्रा महाजन का तो बैठे रहना भी मुश्किल हो रहा था |

बोला- आँख मारने का काम क्या अश्लील संकेत ही हो सकता है ? और कुछ नहीं ? जैसे कहा गया है- ब्यूटी लाइज इन द आईज ऑफ़ द बिहोल्डर वैसे ही अश्लीलता लाईज इन द आईज ऑफ़ द देखने वाला |

किसी भी महिला को डोकरी और युवती को छोकरी, किसी को पप्पू, नामदार आदि कहना क्या किसी आँख मारने से कम है ? राजनीति में सबसे अधिक शाब्दिक गिरावट शालीनता की ठेकेदार पार्टी में ही नज़र आ रही है |कोई भी ऐरा-गैरा छुटभैय्या किसी भी परिवार, व्यक्ति, धर्म और जाति के लिए कुछ भी कह देता है |क्या कोई मखौल उड़ाने की प्रतियोगिता हो रही है देश में ? |इस प्रकार की बातों से हम बच्चों को कौनसे संस्कार दे रहे हैं ? जीवन के लिए कोई पद, पैसा या नौकरी ही नहीं, सकारात्मक वैचारिकता और अनुशासित मानसिकता भी चाहिए |

हमने कहा- तोताराम, पार्टी पोलिटिक्स से परे हमें भी वह ज़माना याद है जब नेहरू जी ने भारत यात्रा पर आए ब्रिटेन के प्रधान मंत्री से अटल जी को  मिलवाते समय कहा था- इनसे मिलिए |ये हैं हमारे उभरते हुए सांसद  | मैं इनमें बहुत संभावनाएँ देखता हूँ |एक और विदेशी राजनयिक से कहा था- मैं इनमें भारत का संभावित प्रधान मंत्री देखता हूँ |कितना बड़ा दिल !

बोला- जो व्यक्ति या पार्टी व्यंग्य और हास्य बर्दाश्त नहीं कर सकते,  किसी का उत्साह नहीं बढ़ा सकते,  किसी के लिए शुभकामना नहीं कर सकते वे कुछ भी गर्हित कर्म कर सकते हैं |समस्त विरोधों के बावजूद शत्रुता,नीचता और कमीनापन न करना ही लोकतंत्र की खूबसूरती है |

छोटे लोगों से बड़े काम नहीं हो सकते |चूहे के चमड़े से नगाड़ा नहीं बनता |बड़े देश को सँभालना, चलाना है तो दिल बड़ा कीजिए |

और दिल का साइज़ है कि सिकुड़ता ही जा रहा है |

हमने कहा- अगर किसी दिन ट्रंप भारत के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए आँख मार दें तो ? तो शायद वह उनकी जिंदादिली करार दी जाए |ऐसे में यदि एक युवक ने गले लगने या आँख मारने जैसी बालसुलभ और सरल शरारत कर दी तो भी क्या उसे नेहरू जी की तरह उसे स्नेह और आशीर्वाद नहीं दिया जा सकता ? इसे 'गले पड़ना' कहना छोटे दिल की बात है |आदमी पद से नहीं, बड़े दिल से बड़ा बनता है |

अटल जी का आज भी देश की राजनीति में में एक ऊँचा क़द है जो मात्र प्रधान मंत्री बन जाने से नहीं बल्कि एक बढ़िया इंसान होने के कारण है |

बोला- मुझे तो आजकल दुनिया में हर आदमी किसी न किसी के गले पड़ता ही नज़र आ रहा है |








 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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