Aug 11, 2018

शिवाजी महाराज का कद

 शिवाजी महाराज का क़द  

आज तोताराम गुस्से में था | अपने किसी अहित को लेकर नहीं बल्कि शिवाजी महाराज के क़द को लेकर |

बोला- ये कैसे भक्त हैं ? जन हित के नाम पर खुद का विज्ञापन करने के लिए जनता की खून पसीने के हजारों करोड़ रुपए फूँक देंगे |और किसी बच्ची को बिस्किट का एक पैकेट देंगे या दो रुपए  की स्लेट देंगे तो हजारों की भीड़ इकट्ठी करेंगे और अखबार में फोटो छपवाएँगे |  अपनी कागजी उपलब्धियाँ जनता तक पहुँचाने के नाम पर देश भर के अखबारों में चार-चार पेज के विज्ञापन देंगे |और अब बचत के नाम पर शिवाजी महाराज का क़द साढ़े सात मीटर घटा दिया |

हमने कहा- शांत हो वीरवर | शिवाजी महाराज का अपना क़द है |वह भौतिक क़द नहीं, उनके सत्कर्मों का क़द है |वह जनता के दिलों में है |वह न इनके घटाने से घटेगा और न इनके बढ़ाने से बढ़ेगा | मूर्तियों और कम-ज्यादा कमाई के मंत्रालयों के आधार पर टुच्चे लोगों का क़द घटता-बढ़ता है |शिवाजी का क़द देखना है तो उनके मुसलमानों के साथ व्यवहार में देख |प्रजा-पालन में देख |शालीनता और सहृदयता में देख |अपने सैनिकों द्वारा अपहृत नवाब की पत्नी को माता का सम्मान देकर उसके पति के पास पहुँचाने की चारित्रिक ऊँचाई में देख |बात-बात में अपने से सहमत न होने वालों को पिटवाने, गालियाँ निकलवाने वालों के तमाशों से शिवाजी महाराज को नहीं समझा जा सकता |

यही तसल्ली की बात है कि मूर्ति बनवाने वालों ने कुल ऊँचाई में कोई कमी नहीं की | क़द की ऊँचाई घटा दी तो क्या, तलवार की लम्बाई उतनी ही बढ़ाकर टोटल बराबर कर दिया |

बोला- सेंडल और ऊँची टोपी से बढ़ाकर दिखाई गई ऊँचाई कितनी देर टिकेगी और ऐसी ऊँचाई किस काम आएगी सिवाय दर्शकों को धोखा देने के |यह भी समझ में नहीं आता कि यह दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति बनाने की कुंठा क्यों है ? लोगों के कल्याण कार्यों और सद्भाव को बढ़ाने की सोचो |लोगों को पीने का साफ़ पानी नहीं है और यहाँ मूर्तियों का दुग्धाभिषेक |यह कभी भी, किसी भी महापुरुष और भगवान ने नहीं चाहा होगा |यह सब स्वादू और मुफ्तखोरों का धंधा है |ऐसे लोग और कुछ नहीं तो विपक्षी को गालियाँ निकालने का वर्ल्ड रिकार्ड बनाकर ही खुद को गौरवान्वित अनुभव कर लेंगे |

हमने कहा- बन्धु, वैसे मूर्तियों का भी कुछ न कुछ महत्त्व तो होता ही है |और कुछ नहीं तो कम से कम एक मिनट के लिए ही सही देखने वाले को उस व्यक्ति के श्रेष्ठ कामों  का ध्यान आ जाएगा |

बोला- लेकिन यह कहाँ तक उचित है कि कबीर और आम्बेडकर की मूर्तियाँ बनवाओ और हरिजनों को मृत पशु न उठाने पर, घोड़ी पर बैठने पर और मूँछ रखने पर पीट दो |वेदों में समस्त विज्ञान होने का दावा करने वालों से कोई पूछे कि अपने पूजनीयों की मूर्ति बनाने जितनी काबिलियत भी ढूँढ़ निकालो वेदों में से |चीनी सामान के बहिष्कार का नाटक करने वाले यह मूर्ति चीन से बनवा रहे हैं |

हमने कहा- इन वाक् वीरों को छोड़ |यही बड़ी बात है कि अभी हमारे पास इस मूर्ति का राम सुतार जैसा शिल्पकार तो है | बस, तू तो यह ध्यान रख कि कहीं कोई तलवार की लम्बाई एक सौ मीटर और शिवाजी महाराज की ऊँचाई बीस मीटर करके, टोटल पूरा दिखाकर, हजार-दो हजार करोड़ लेकर विदेश न भाग जाए |

बोला- नीरव मोदी छह-छह नकली पासपोर्ट लेकर खुले आम घूम रहा है |जब इस पर देश के चौकीदार ही कंट्रोल नहीं कर सकते तो मैं निर्देशक मंडल में बैठा ७६ साल का रिटायर्ड मास्टर क्या कर लूँगा |मेरा तो खुद का क़द ही ज़मीन के समान्तर हुआ जा रहा है |


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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