Aug 14, 2018

गलत गुहार

  गलत गुहार 

गाँव भैरूँपुरा, जिला सीकर का समाचार, तारीख़ ३१ जुलाई २०१८ 'शेखावाटी परिशिष्ट' के पहले पेज पर फोटो सहित प्रमुखता से छपा |यदि यही सूचना विज्ञापन के रूप में छपती तो कम से कम १५ हजार रुपए लगते |संवाददाता ने यहाँ भी मोदी जी द्वारा प्रचलित समास शैली का प्रयोग करते हुए लिखा- पत्नी के लिए पी.एम. के नाम पाती |

हमें समाचार दिखाते हुए तोताराम ने कहा- इस समाचार का शीर्षक गलत हो गया |

हमने ध्यान से पढ़ते हुए कहा- इसमें गलत क्या है ? नाम, गाँव, समस्या और पाने वाले का पता सब ठीक तो है |

बोला- इसका शीर्षक गलत गुहार, गौरव गुहार, ग्रामीण गुहार जैसा कुछ होना चाहिए था |कारण- यह फरियाद गलत व्यक्ति से की गई है |वैसे ही जैसे आँख के इलाज के लिए हड्डियों के डाक्टर के पास जाना |मोदी जी इस समस्या के विशेषज्ञ नहीं है |यदि उनके वश का ही होता तो निभा नहीं लेते गाँधी जी की तरह पत्नी और देश सेवा दोनों को एक साथ |

भाई जान, बहुत मुश्किल है दोनों को निभाना |बौद्धिक करो या बच्चों को होम वर्क करवाओ |यह तो अच्छा हुआ जो बच्चे होने से पहले ही निकल लिए | नहीं तो पता नहीं, बच्चे कहीं स्किल डेवलपमेंट में धक्के खा रहे होते और खुद कहीं हरिजन बस्ती में होते |ऐसे ही बुद्ध बनने के लिए निकल जाने के बाद पता नहीं, कपिलवस्तु के युवराज राहुल का क्या हुआ ? इतिहास में तो कहीं नाम आता नहीं |सभी के बच्चे इतने काबिल थोड़े ही होते हैं कि दो साल में १८ हजार गुना धंधा बढ़ा लें |

पत्नी का पीहर जा बैठना पति के लिए अपमान की बात है इसलिए इसका शीर्षक 'गौरव-गुहार' भी हो सकता था |पीड़ित गाँव का रहने वाला है इसलिए इसे  'गाँव-गुहार' भी लिखा जा सकता था |

हमने कहा- शीर्षक तो जैसा भी है, है |अब यह बता कि मोदी जी इस पीड़ित की समस्या का क्या हल निकालेंगे ?

बोला- हल क्या निकालेंगे ? कह देंगे- अच्छा हुआ ? निकल पड़ो देश सेवा के लिए |अपना पता किसी को मत देना |यदि पत्नी ढूँढ़ भी ले तो कह देना- 'हम तो फ़क़ीर हैं |देश सेवा का व्रत ले लिया है' |देश सेवा करने वाले से कोई गुज़ारा भत्ता भी नहीं माँग सकता जैसे कि गौशाला चलाने वाले से कोई टेक्स नहीं माँग सकता, गौरक्षक पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सकता |अब बीवी जाने और उसका काम |बनाले कोई 'स्वयं सहायता समूह' या लग जाए 'परित्यक्ता-पेंशन' की लाइन में | 

हमने कहा- यह तो कोई हल नहीं हुआ |पीड़ित ने तो 'मन की बात' में उनके लोगों की फरियादें सुनने से प्रेरित होकर ही उन्हें पत्र लिखा है |

बोला- यहीं तो फरियादी गच्चा खा गया |मोदी जी किसी की बात सुनने के लिए यह कार्यक्रम थोड़े ही करते हैं |हर समय ज्ञान बाँटते रहने के बावजूद जब ज्ञान की मात्रा बहुत बढ़ जाती है, अजीर्ण हो जाता है तो ज्ञान-गैस-निष्कासन के लिए यह 'मन की बात' वाला पवनमुक्तासन बहुत आवश्यक हो जाता है |वे अपने को 'प्रधान सेवक' कहते हैं जबकि हमारे यहाँ  'सेवा'-'सुश्रूषा' दोनों शब्द साथ-साथ आते हैं |'सेवा' करो मतलब पीड़ित को सभी भौतिक सुविधाएँ उपलब्ध करवाओ और 'सुश्रूषा' मतलब जिसकी सेवा कर रहे हो उसकी बात भी सुनो | कहीं ऐसा तो नहीं कि जिसकी सेवा कर रहे हो उसे खुजली हो रही हों पीठ में और आप खुजाए जा रहे हैं उसका कान | उसे लगी हो भूख और आप उसे बैठा आए हों शौचालय में |

हमने कहा- लेकिन अभी मई २०१९ तक तो मोदी जी का सुनाने का ही कार्यक्रम चलेगा |यदि अगली बार अवसर मिला और संभव हुआ तो शायद सुनने के बारे में भी सोचें |

हाँ, यदि एक अदद बीवी का ही चक्कर है तो 'तू नहीं और सही वाले' किसी विशेषज्ञ शशि थरूर और सलमान रुश्दी जैसे से कोई नुस्खा पूछता | यदि कई बीवियाँ और प्रधान मंत्री पद दोनों की योजना है तो इमरान खान से बेहतर कौन हो सकता है | |

 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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