Aug 16, 2018

रुतबे का रायता



रुतबे का रायता 




हेमामालिनी बहुतों की प्रिय नायिका रही हैं |अब भी कुछ लोग बुलेट ट्रेन के स्थान पर 'बसंती के तांगे' में रामगढ़ जाना चाहते हैं |हेमा जी ने खुद ही बताया कि जब वे अटल जी से पहली बार मिलीं तो अटल जी कुछ शरमा रहे थे |अटल जी ने उन्हें बताया कि उन्होंने हेमा जी की फिल्म 'गीता और सीता' २५ बार देखी थी |जब आदमी कुँवारा हो उम्र मात्र ४८ साल हो, नौकरी ऐसी कि न जाओ तो भी तनख्वाह को कोई खतरा नहीं,  दूसरे कोई ख़ास काम न हों तो फिल्म न देखेगा तो करेगा क्या ? हमारे तो उस समय तीन बच्चे, एक बीवी और एक नौकरी थी |टी.वी. पर आने वाली फिल्म देखने का भी समय नहीं मिलता था |वैसे हमने भी हेमा जी पर कई कविताएँ लिखी हैं लेकिन कोई अनुचित फेवर लेने का कभी इरादा नहीं किया |मोदी जी ने तो हेमा जी की पुस्तक की भूमिका तक लिखी है |

 
हालाँकि हमारे सहित हेमा जी के और भी बहुत से फैन हैं लेकिन मोदी जी के बाद किसी और का उल्लेख करने का कोई औचित्य नहीं है |

अभी राजस्थान की यात्रा पर थीं | एक पत्रकार के प्रश्न के उत्तर में कहा- मुख्यमंत्री का क्या है ? एक मिनट में बन सकती हूँ |

आज जब हमने तोताराम से उनके स्टेटमेंट की चर्चा की तो बोला- एक सवेरे घर पर कॉफ़ी पी रहे नरसिंहराव जी को कॉफ़ी बीच में छोड़कर प्रधान मंत्री बनने के लिए दिल्ली जाना पड़ा | देवेगौड़ा जी ने भी कब सोचा था प्रधान मंत्री पद के बारे में ? एक सदस्यीय पार्टी वाले चन्द्रशेखर जी को भी मौका मिल गया |ऐसे में हेमा जी जो स्वप्न सुंदरी हैं, सांसद हैं, प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं, वसुंधरा जी की मित्र, मोदी जी और अटल जी द्वारा प्रशंसित हैं  तो उनके लिए मुख्य मंत्री बनना वास्तव में कोई बड़ी बात नहीं है |

हमने कहा- तो फिर बन क्यों नहीं जातीं ?

बोला- कलाकार एक स्वतंत्र जीव होता है |कला बंधन में नहीं जी सकती |पता नहीं कब, कहाँ कार्यक्रम देना पड़ जाए | पता नहीं कब किस फैन के ड्रीम में जाना पड़ जाए |वैसे भी मुख्य मंत्री का काम बड़ा खचड़ा काम है |  

देश में लोकतंत्र है |यहाँ एक चाय बेचने वाला भी प्रधान मंत्री बन सकता है बस,लगन ,ज़ज्बा और जीवट होना चाहिए | चाहूँ तो मैं भी प्रधान मंत्री बन सकता हूँ बशर्ते कि मोदी जी संविधान में संशोधन करके ७५ साल वालों के प्रधान मंत्री बनने पर प्रतिबन्ध न लगा दें |

हमने कहा- तोताराम, कुछ भी हो, तेरे सपनों की ऊँचाई की दाद देनी पड़ेगी |बन ही जा एक बार, भले ही अटल जी की पहली टर्म की तरह तेरह दिन के लिए ही सही |

बोला- तो क्या मेरी आज़ादी हेमा जी से कम है ?  इस सड़ी गरमी में रोज नए-नए कुरते और जैकेट में मेरी तो हालत ख़राब हो जाएगी |फिर इस तरह लुंगी बनियान में बरामदे में चाय पीने का मज़ा कहाँ मिलेगा ?

और फिर ज़माना ख़राब है, पता नहीं कब, कौन आकर गले पड़ जाए और सारे रुतबे का रायता फैला दे |



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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