बायो फ्यूअल डे की बोधकथा उर्फ़ गकार की गड़बड़
१० अगस्त को वर्ल्ड फ्यूअल डे पर मोदी जी के भाषण के कारण आज तक हमारा मूड उखड़ा हुआ है |हमारे मन की बात कौन सुनने वाला है ? ले-दे के एक तोताराम है |आते ही उसे पकड़ लिया, कहा- तोताराम, मोदी जी के पास विकास और कांग्रेस-मुक्त- भारत जैसे दो बड़े काम हैं |उन्हें उन्हीं में मन लगाना चाहिए |गाँव की चौपाल में गप्पें लगाने की बात और है |बड़ी जगहों पर हर बात में विज्ञान की टाँग तोड़ने वाला शौक छोड़ देना चाहिए |अब गंदे नाले से सीधे पाइप लगाकर चाय वाले द्वारा चाय बनाने की कथा सुनाने की क्या ज़रूरत थी ? लोग मजाक बनाते हैं |केजरीवाल ने तो ट्वीट किया है- 'इसीलिए कहा है कि देश का प्रधान मंत्री पढ़ा-लिखा होना चाहिए' | मोदी जी तो स्टेटमेंट दे देते हैं और हमें बिना बात शर्मसार होना पड़ता है |
बोला- इतनी भी क्या जल्दी है ? हो लेना शर्मसार भी |शर्मसार होने के मौके तो रोज आते हैं |ऐसे ही शर्मसार होने लगे तो और काम कैसे करेंगे ? नीतीश जी को मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय स्थल की घटना पर शर्मसार होने में तीन महीने लगे कि नहीं ? और इस शर्मिंदगी का परिणाम कब आएगा, पता नहीं ? मोब लिंचिंग पर मोदी जी अभी तक शर्मसार नहीं हुए हैं |तुझे ही इतनी क्या जल्दी पड़ी है ?
हमने कहा- तोताराम, अपने देश की बात और है |वह तो गणेश जी की प्लास्टिक सर्जरी, महाभारत में टी.वी. और इंटरनेट सब कुछ सुन और मान भी लेगा लेकिन यह केवल भारत की ही बात नहीं है |आजकल तो हर बात उसी समय सारी दुनिया में फ़ैल जाती है |और फिर ट्वीट केवल मोदी जी ही थोड़े करते हैं |दूसरे भी तो ट्विटर पर हैं, वे भी ऐसी बातों को ले उड़ते हैं |
बोला- तू केजरीवाल की बातों में मत आ |उसकी डिग्री में आई आई टी है और बीटेक है |साइंस कहाँ लगा हुआ है ? जब कि मोदी जी की डिग्री में तो 'पोलिटिकल साइंस' लगा हुआ |उससे तो अधिक ही साइंस जानते हैं | और फिर मोदी जी भारतीय संस्कृति और वांग्मय के जानकर हैं इसलिए प्रतीकों और मिथकों में बात करते हैं जिन्हें ज्ञान और विज्ञान दोनों का विद्वान ही समझ सकता है |वे बोधकथाओं में बात करते हैं | बोध कथाएँ शब्दार्थों पर नहीं, संकेतों पर चलती हैं | दुनिया का समस्त विज्ञान पहले कथाओं और कल्पनाओं में ही तो आता है |इसलिए मोदी जी की बोध कथाओं में छुपे विज्ञान को पहचान |वे संश्लिष्ट विज्ञान को बोधकथाओं में सरल बनाकर बता रहे थे | कुछ लोग 'गकार' के कारण कन्फ्यूज हो जाते हैं तो इसमें मोदी जी क्या करें ?|
हमने पूछा- यह गकार क्या है ?
बोला- अकार, आकार, इकार की तरह 'ग' से शुरू होने वाले शब्द गकार कहलाते हैं |जैसे गंगा, गाय, गीता, गोबर, गणेश, गैस, गर्व, गौरव आदि |ये सब निर्गुण-निराकार की तरह अव्याख्येय हैं | गंगा पवित्र है लेकिन कभी स्वच्छ नहीं हो सकती | गाय की सेवा से स्वर्ग मिलता है लेकिन कोई गौ रक्षक या गौशाला का अध्यक्ष गाय नहीं रखता | बकरी और गधा सड़क पर धक्के खाते नहीं मिलेंगे लेकिन गाय की दुर्गति है |ऐसे ही जब दिमाग में गौरव या गर्व की वृद्धि हो जाती है तो वह बाहर से तो दिखाई नहीं देती लेकिन उसके कारण आदमी किसी को भी देशद्रोही समझने लगता है, जब तक किसी की पिटाई न कर दे तब तक शांति नहीं मिलती |ऐसे ही जब ज्ञान की गैस दिमाग में भर जाती है तो आदमी सर्वज्ञ हो जाता है |बात, बिना बात दूसरों को भाषण पिलाने का मन करता है |
इसलिए अच्छा हो कि हम 'गकार' पीड़ितों को गंभीरता से न लें |यदि समझ सकें तो उनकी बोधकथाओं के निहितार्थ को समझें | नहीं तो,मुफ्त के मनोरंजन में क्या बुराई है ?
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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