Aug 30, 2018

कहा था न शंका मत कर



कहा था न शंका मत कर


आज तोताराम ने आते ही कहा- देख, चाहे कोई आदमी समाचार लेकर आए या तेरे मोबाइल पर मेसेज आए; बिना कुछ बोले, चुपचाप माफ़ी माँग लेना |

हमने कहा- हमने क्या गलती, अपराध, जुर्म या पाप किया है जो माफ़ी माँग लें ?

बोला- गौरव और अस्मिता वाले जिस तरह जोश में भरे हुए होते हैं उसे समझ पाना या उसे झेल पाना किसी के बस का नहीं होता |यदि माफ़ी माँगने पर भी वे छोड़ देते हैं तो गनीमत समझना |हमारे शास्त्रों में ऐसे ही दिनों की कल्पना करके कह गया है-
छमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात |मतलब छोटो का काम उत्पात मचाना है और बड़ों का काम क्षमा माँगना है |

हमने कहा- लेकिन हमें तो इसका अर्थ पढाया गया था कि यदि छोटे उत्पात करें तो भी बड़ों को चाहिए कि वे छोटों को क्षमा कर दें |

बोला-  क्षमा तो कोई माँगेगा तब करेगा ना |वे किसी से भी क्षमा नहीं माँगते क्योंकि गर्व और अस्मिता वाले गलती कर ही नहीं सकते तो क्षमा का प्रश्न ही कहाँ से उठेगा ?यदि वे किसी को क्षमा कर दें तो सौभाग्य समझना |

हमने कहा- लेकिन तुझे किसी 'अस्मिता-आक्रमण' या 'मोब लिंचिंग' की शंका क्यों हो रही है ?

बोला- मुझे अपनी शंका की फ़िक्र नहीं है | मुझे तो उस शंका को लेकर फ़िक्र हो रही है जो तूने मोदी जी द्वारा नाले की गैस से चाय बनाने पर की थी | किसी श्याम राव शिर्के ने स्टेटमेंट दिया है कि उसने इस प्रकार नाले की गैस से चाय बनाई थी |उसके पेटेंट के लिए आवेदन भी किया था लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक ज़वाब नहीं आया है |श्यामराव शिर्के राहुल गाँधी द्वारा मोदी जी की 'गैस-गाथा' का मजाक उड़ाने से नाराज़ और दुखी है |किसे पता, तेरे शंका करने से भी कोई न कोई नाराज़ हो जाए |और तेरा नागरिक अभिनन्दन कर जाए |इसलिए कोई भी कहे तो तत्काल क्षमा माँग लेना और भविष्य में भारतीय विज्ञान के विरोध में कुछ न बोलने की कसम भी ले ले |

हमने कहा- ठीक है बन्धु, अब तो हम भी अपने एक इन्नोवेशन का रजिस्ट्रेशन करवाने वाले हैं कि जब हमारे यहाँ गैस ख़त्म हो जाती है तो हम अपनी गाय मुँह में रेगुलेटर फिट कर लेते हैं और समस्या हल हो जाती है |गाय की जुगाली से भी तो मीथेन गैस बनती है |यदि कोई आदमी गेस्टिक का मरीज हो तो वह भी अपने मुँह में रेगुलेटर फिट करे इस गैस का ईंधन के रूप में उपयोग कर सकता है |इस प्रकार गैस से होने वाले कष्ट से भी छुटकारा मिलेगा और बचत तो होगी ही |पूरे देश का हिसाब लगाएँ तो हिसाब हजारों करोड़ पर जाकर बैठेगा | 
इससे एक साथ ही भारतीय विज्ञान में हमारी आस्था, गौभक्ति दोनों प्रमाणित हो जाते हैं |

बोला- अक्ल की तो तुझ में भी कमी नहीं है |हो सके तो ऐसे ही आविष्कारों पर एक किताब तैयार कर ले | क्या पता इंजीनियरिंग कालेज के पाठ्यक्रम में ही लग जाए | बुढ़ापे में दो पैसे की कमाई हो जाएगी और इज्ज़त मिलेगी सो अलग |

 





 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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