Sep 19, 2018

गाँधी के कोई और कार्यक्रम भी तो होंगे




 गाँधी के कोई और कार्यक्रम भी तो होंगे  



आज तोताराम सुबह की बजाय शाम को आया |कारण पूछा तो बोला- तुझे तो देश-दुनिया की फ़िक्र है नहीं |आज सुबह से मोदी जी, अमिताभ बच्चन, रतन टाटा और गुरु बासुदेव जग्गी 'स्वच्छता ही सेवा' में लगे हुए थे |एक तू है जो घर में घुसा बैठा है |मैं तो सुबह 'स्वच्छता से सेवा' महाअभियान में शामिल होने के लिए गया था |

हमने पूछा- इतनी देर में मुम्बई,दिल्ली, पटना आदि कहाँ-कहाँ हो आया ?

बोला- टेक्नोलोजी का ज़माना है | आज टेक्नोलोजी के बल पर मोदी जी कण-कण में व्याप्त हो गए हैं उसी तरह मैंने भी 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान से जुड़ने के लिए  वीडियो कांफ्रेंस देखी और फिर सफाई के लिए निकल पड़ा |मोदी जी की तरह अपने यहाँ के सेवकों ने भी जगह-जगह सफाई करते हुए फोटो खिंचवाए |

हमने कहा- हमने भी नेट पर मोदी जी का स्टेटमेंट पढ़ा है | उनके अनुसार पिछले ६०-७० साल में जितनी सफाई नहीं हुई उतनी पिछले चार साल में हो गई |

हम तोताराम से बातें करते हुए 'चार साल में ७० साल जितनी'  सफाई का जायजा लेने के लिए जयपुर रोड़ की तरफ, जिसे हमारे यहाँ का 'गौरव पथ कहा जा सकता है', निकल पड़े |

तोताराम बोला-  ७० नहीं तो ६५ साल जितनी तो हो ही गई होगी |पिछले चार साल से सारा तंत्र सब काम छोड़कर देश को स्वच्छ बनाने में ही तो लगा हुआ है |

हमने कहा- कांग्रेस ने पिछले १३० सालों से देश में बड़ी गन्दगी फैला रखी थी | २०२२ तक उस कूड़े की पूरी सफाई हो जाएगी और देश कांग्रेस-मुक्त भी हो जाएगा |

बोला- स्पीड को देखते हुए तो २०२० तक ही काम हो जाएगा |  

अब तक चलते-चलते हम दोनों मंडी के कोल्ड स्टोरेज के पास वाले प्लाट तक पहुँच गए |हमने देखा, वहाँ पंद्रह साल पहले जो कूड़ा, जिस शान और गर्व से पड़ा रहता था उसमें कोई परिवर्तन नहीं आया बल्कि कई गुना बढ़ गया है  |तभी दो युवक एक हाथ में बोतल थामे अपने स्मार्ट फोन में व्यस्त सामने से आगए |यदि हमने ध्यान नहीं दिया होता तो टकरा भी सकते थे | उनमें से एक ने उद्घोष किया-  गुरुजी, राम-राम |

अब इसके बाद किसी की क्या हिम्मत जो खुले में शौच करने जाने पर प्रश्न कर सके  |

हमने तोताराम से कहा- लगता है, अभी तक अभियान दल विशिष्ट स्थानों पर विशिष्ट लोगों का वीडियो बनवाने में व्यस्त है ? इस इलाके का नंबर शायद बाद में आए |

बोला- यदि दिल्ली के गाजीपुर की तरह सीकर शहर का कूड़ा यहाँ इकठ्ठा हो गया तो क्या शेष सफाई को नहीं देखेगा ? यदि  ७५% लक्ष्य प्राप्त हो जाता है तो उसे १००% मान लिया जाता है | और फिर लक्ष्य की महानता और बन्दे का समर्पण तो देख; सबको झाड़ू के आगे कर दिया |

हमने पूछा- तोताराम, देश की सफाई करने के बाद यह तूफ़ान कहाँ थमेगा ?

बोला- हो सकता है उसके बाद देश को अपनी नाक पोंछना सिखाने के अभियान में जुट जाएँगे | लेकिन यह बता, तुझे इस अच्छे कार्यक्रम से परेशानी क्या है ?

हमने कहा- स्वच्छता तो ठीक है, लेकिन कामों में संगति और अनुपात भी तो कोई चीज होती है कि नहीं ? 'साहब, बीवी और गुलाम' की बूढ़ी बहुओं की तरह दिन में सौ बार हाथ धोना सफाई नहीं, कोई मानसिक बीमारी है | जिस गाँधी के नाम पर यह सब किया जा रहा है उसके शराबबंदी, सादगी, संयम, सत्य-अहिंसा, स्वावलंबन और सर्व समन्वय जैसे कार्यक्रमों का नंबर कब आएगा ?  गाँधी को इस तरह सिर्फ सफाई अभियान तक सीमित कर शौचालय में बंद कर देना; कैसी गाँधी भक्ति है ? 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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