Sep 24, 2018

जगद्गुरु की टांग उर्फ़ गौरव की ठसक



जगद्गुरु की टांग उर्फ़ गौरव की ठसक


भारत और इंग्लैण्ड की टेस्ट सीरीज का परिणाम आ गया है और उसकी हालत रुपए जैसी हो गई है |तीसरे टेस्ट में पारी और १५९ रनों से हारने के बाद कोहली ने कहा था- हम हार के लायक ही थे |

वैसे हम कोहली को बहुत गंभीरता से नहीं लेते हालाँकि कोहली और उसके प्रशंसकों  को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता |वे उसी तरह से आतंकवादियों जैसी दाढ़ी और मशरूम जैसी कटिंग में मस्त हैं |हालाँकि सभी दाढ़ीवाले आतंकवादी नहीं होते लेकिन जिस प्रकार आजकल हमने आदमी को पहचानने के जो मापदंड तय कर लिए हैं उस हिसाब से आतंकवादियों की शोभा भी अखबारों में छपने वाले उनके फोटो में ऐसी ही दिखाई देती है |इसी कारण अमरीका में ९/११ के बाद कई सरदारों पर मुसलमानों के भ्रम में हमले हुए |

लेकिन इंग्लैण्ड से बुरी तरह हारने के बाद उसने जो कहा उसके कारण हम उसके मुरीद हो गए |उसकी श्रेष्ठता की यही सबसे बड़ी पहचान है कि उसने बिना किसी लागलपेट के सच कहा |यही सच्ची खेल भावना (स्पोर्टस मैन स्पिरिट)  है |

आज जैसे ही हमने तोताराम से इस बात का ज़िक्र किया तो बोला- क्या ख़ाक खेल भावना है |खेल भावना से क्या होता है ? राष्ट्रीय गर्व और गौरव की तो ऐसी-तैसी कर दी ना ?

हमने कहा- बन्धु, बुज़ुर्ग हो, अध्यापक रहे हो |कम से कम अपनी भाषा पर तो थोड़ा ध्यान दो |

बोला- आजकल भाषा पर ध्यान देने की किसे फुर्सत है ? सब अधिक से अधिक फूहड़, बदतमीज़ होकर एक-दूसरे पर हावी होना चाहते हैं |ठेका लिए फिरते हैं शालीनता और संस्कृति का लेकिन दूसरी पार्टी की संभ्रांत महिलाओं तक के लिए अभद्र भाषा और गालियों का उपयोग करते हैं | 'ऐसी-तैसी' तो बहुत शालीन और तत्सम शब्द है |मैं तो कहता हूँ- हार जीत की कोई बात नहीं लेकिन राष्ट्र और राष्ट्रीय गौरव का ध्यान हर हाल में रखा जाना चाहिए |हमें अपनी श्रेष्ठता और महानता की भावना को हर हालत में बनाए रखना चाहिए |यदि ऐसे ही स्पोर्ट्स मैन स्पिरिट दिखाने लगे तो देश का मनोबल नहीं टूट जाएगा ?

हमने कहा- लेकिन हार तो हार है |इसे किसी भी तरह जीत में तो नहीं बदला जा सकता | 

बोला- क्यों, रवि शास्त्री ने कैसा सकारात्मक वक्तव्य दिया है ? पढ़ा नहीं ? उसने कहा- हम इंग्लैड के सम्मिलित प्रयास से नहीं हारे |हमें तो सैम कैरन के हरफनमौला खेल ने हरा दिया |

हमने कहा- लेकिन यह मान लेने में क्या बुराई है कि तुम्हारे पास कोई हरफनमौला कैरन नहीं था |

बोला- जब कैरन नहीं होगा तो हम फिर जीत जाएँगे |

हमने कहा- ठीक है, इंग्लैण्ड से जीतने के लिए देश कैरन के बीमार पड़ने या रिटायर होने का इंतज़ार कर लेगा लेकिन रुपए के गिरने के बारे में क्या सकारात्मक स्टेटमेंट है ?

बोला- इसमें हमारी अर्थव्यवस्था, मोदी जी और जेतली जी कोई कमी नहीं है |अपने राजस्थान के चिकित्सा मंत्री कालीचरण जी की रुपए के स्वास्थ्य के बारे में रिपोर्ट नहीं पढ़ी ? वे कहते हैं कि रुपए के स्वास्थ्य में कोई खराबी नहीं है |वह स्वस्थ है | रुपया घटा नहीं है |डालर बढ़ गया तो हम क्या कर सकते हैं ? यह डालर की गलती, बदमाशी है |उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था |

ऐसे ही तेल के बारे में रविशंकर प्रसाद को सुनिए- तेल की महँगाई में हमारा कोई हाथ नहीं है |

हमने कहा- लेकिन सरकार ईरान से सस्ता तेल लेने में क्यों संकोच कर रही है ?

बोला- हमारी एक अंतर्राष्ट्रीय छवि और दोस्ताने हैं |आखिर उनका भी तो ख्याल रखना पड़ता है |

हमने कहा- यह कहते क्यों शर्म आती है कि अमरीका की धमकी के आगे तुम्हारी फूँक खिसकती है |इसलिए ईरान से सस्ता तेल नहीं ले रहे |तुम्हारी तो चुहिया वाली स्थिति है |

एक चुहिया और चिड़िया की दोस्ती थी |चिड़िया कहीं दूर रहती थी |एक दिन चुहिया ने कहा कि मुझे अपना घर दिखाने ले चलो |चिड़िया तो नदी-नालों, झाड-झंखाड़ों के ऊपर से उड़ती जाती लेकिन चुहिया की आफत |चुहिया पानी में डूबने लगी |चिड़िया ने कहा- चुहिया तू डूब जाती तो ?चुहिया बोली- मैं ड़ूब नहीं रही थी, मैं तो स्नान कर रही थी |




पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment