Sep 12, 2018

समझाइश का समय उर्फ़ दुर्जन हिताय



समझाइश का समय उर्फ़ दुर्जन हिताय 


बरसात जाते ही दीपावली पर नकली मावे और मिठाई के साथ डिब्बे तौलने वाली बेईमानी की चर्चा होने लग जाती है लेकिन होता वैसे ही रहता है जैसे होता आया है | नकली और फफूँद लगे मावे की मिठाइयाँ डिब्बे के साथ तौली जाती हैं |कुछ फ़ूड निरीक्षक भी जन-कल्याण को ध्यान में रखते हुए एक दो कमजोर से केस बनाते हैं जिनमें से आगे चलकर अधिकांश छूट जाते हैं |पिछली दीपावली को भी ऐसा ही हुआ |

अब कोई दो महीने पहले राजस्थान सरकार ने पिछले साल के मिलावट के कोई एक सौ मामले जन-हित के नाम पर वापिस ले लिए |अब इसमें क्या जन-हित था यह तो सरकार ही बता सकती है | सरकार बताए या नहीं यह उसकी मर्ज़ी |हम तो उसे बोलने के लिए बाध्य कर नहीं सकते है |वह जब चाहे अन्तःपुर में शयन करने लग जाए और जब मन हो, गौरव-यात्रा पर निकल पड़े |

हम भी रोज सुबह यात्रा पर निकलते हैं- अपनी कुतिया को घुमाने और दूध लाने |इसका जन-कल्याण और किसी गौरव-यात्रा से कोई संबध नहीं है |हाँ, इस बहाने हम अपने परिवेश से ज़रूर परिचित होते चलते हैं | हमें पता है कहाँ हमें स्कूल के बच्चे ढोने वाली मारुति वैन मिलेगी और कहाँ दूध वाला कीचड़ उछालता हमारे बगल से अपनी बुलेट निकालेगा और किस घर की छत पर से कौन बिजली के खम्भे से रात को डाली कटिया उतार रहा होगा |

आज तोताराम भी हमारे साथ था | जिस मकान की छत पर से हम रोज जिस सज्जन को  खम्भे पर से कटिया उतारते देखते थे आज वह नहीं दिखा और कटिया बदस्तूर लगी हुई थी |हमने तोताराम से कहा- बन्धु, कहो तो इस मकान वाले को जगाकर यह कटिया उतार लेने को कह दें |बिना बात कोई विजिलेंस वाला आ जाएगा तो चक्कर पड़ जाएगा |

तोताराम ने कहा- आजकल हर आदमी योजनाबद्ध तरीके से चलता है |'सबका साथ :सबका विकास' का ज़माना है |तुझे फ़िक्र करने क्या ज़रूरत है ?

तभी रोज कटिया उतारने वाले सज्जन खुद ही प्रकट हो गए, बोले- मास्टर जी, जै सियाराम |सुबह-सुबह इस आध्यात्मिक संबोधन के बाद तो बिजली विभाग वाला भी ठंडा हो जाए |जैसे 'भारत माता की जय' बोलने वाली की देश भक्ति में कोई संशय नहीं रह जाता |

हमने पूछा- आज कटिया नहीं उतार रहे ?

बोला- अब दो साल तक इस झंझट से मुक्ति |आपने अखबार नहीं पढ़ा ? विद् युत  वितरण निगम वालों ने घोषणा की है-  यह वर्ष चुनावी-वर्ष है इसलिए खम्भे पर कटिया डालने वालों पर केस नहीं बनाया जाएगा |यदि कोई पकड़ा जाएगा तो उसे समझाया जाएगा | अगले साल लोकसभा का चुनाव आ जाएगा | बाद की बाद में देखेंगे |

तोताराम बोला- लेकिन तुम्हें तो सारे दिन घर पर रहना पड़ेगा |पता नहीं कब बिजली वाले आ जाएँ |

उसने अपने घर के दरवाजे की तरफ इशारा किया, बोला- इसीलिए तो यह बोर्ड लगा दिया है |बोर्ड पर लिखा था- 'समझाइश के लिए बिजली विभाग वाले शाम को मिलें यदि मकान मालिक उस समय पिए हुए न हो तो' |

हमने फिर प्रश्न किया- यदि किसी दिन तुम पिए हुए नहीं मिले और बिजली विभाग वाले समझाइश के लिए आ गए तो क्या करोगे ?

बोला- पहले तो ऐसा होगा नहीं और यदि ऐसा हो भी गया तो समझ जाना और न समझना तो मेरे ऊपर निर्भर है | 




 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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