Sep 1, 2018

सूचना की जन्नत का वर्जित फल



 सूचना की जन्नत का वर्जित फल 

वैज्ञानिक कहते हैं- हमें जितनी सूचनाएँँ दी जाती हैं या जितनी सूचनाएँ हम प्राप्त करते हैं उनमें से ९९% से भी अधिक न तो हमारे काम की होती है और न ही हम उनका कोई उपयोग करते हैं |फिर भी लोग हैं कि सूचनाएँ हमारे दिलो-दिमाग में उँडेलते रहते हैं |कान और दिमाग नहीं हुए, कूड़ादान हो गए |अब आप इस सूचना का क्या करें कि अमुक अभिनेत्री आजकल अमुक अभिनेता के साथ अमुक स्थान पर, ऐसे छट्टियाँ मना रही है |अमुक नेता अमुक के साथ चाय पी रहा है या अमुक के साथ झूला झूल रहा है | हमें तो अपनी ही निबेड़ने से फुर्सत नहीं तो किसी और का क्या हिसाब रखें ?

जब हमने तोताराम से पूछा-तोताराम, जब माँगे और बिना माँगे, चाहे बिना चाहे सूचनाएँ सुनामी की तरह डरा रही हैं तो फिर इस सूचना के अधिकार की क्या ज़रूरत है ?

बोला- मास्टर, सूचना कभी निरपेक्ष नहीं होती |उसके पीछे लेने और देने वाले का कोई न कोई विशेष मंतव्य छुपा होता है |जब तुम किसी के महँगे सूट की बात करोगे तो वह तुम्हें अपना फटा निक्कर और मैली बनियान देखने के लिए बाध्य करेगा |जब तुम किसी के शयनकक्ष में जाना चाहोगे तो वह तुम्हें अपने पूजाघर में धकेलेगा |तुम किसी के प्रेम पत्र पढ़ना चाहोगे तो वह तुम्हें ब्रह्मचर्य का महत्त्व समझाएगा |जो सूचना वह देना चाहता है उसमें तुम्हारी रुचि नहीं है और जो सूचना तुम लेना चाहते हो वह उसे  छुपाना या तोड़ना-मरोड़ना चाहता है |

हमने कहा- इससे यह तो सिद्ध होता ही है कि सही सूचना में बड़ा बल होता है |तभी तो नेता एक दूसरे के भेद सहेजकर रखते हैं और मौका आने पर संबंधित व्यक्ति को ब्लेक मेल करते हैं |इसीलिए कुछ सूचनाओं को छुपाया जाता है तो कुछ को जोर शोर से प्रचारित किया जाता है |भामाशाह योजना का प्रचार तो किया जाता है लेकिन उसमें किस तरह अस्पताल और रोगी में बिना इलाज के ही ८०% और  २०%  का कागजी बँटवारा हो जाता है, इसे कोई उजागर नहीं होने देना चाहता |अब जब निजी कंपनियों द्वारा जाँच शुरू हो गई तो निजी अस्पताल बिफरे पड़े हैं |वैसे सूचनाएँ तो गूगल पर भी बहुत-सी होती हैं |

बोला- तू समझता है कि गूगल पर सभी सूचनाएँ हैं |जो चाहे ले ले और उनका उपयोग कर ले |तुझे पता होना चाहिए कि उस पर भी सरकारें नियंत्रण चाहती हैं |चीन ने गूगल से कहा है कि तुम्हें चीन में तभी धंधा करने दिया जाएगा जब तुम कुछ वर्जित और जनविरोधी सूचनाओं से हमारी जनता को बचाओगे |

हमने पूछा- ऐसी कौन सी सूचनाएँ हो सकती हैं ?

बोला- जैसे मानवाधिकार, शांतिपूर्ण प्रदर्शन, लोकतंत्र, धर्म आदि |

हमने कहा- तब तो हमारे यहाँ भी सूचना की जन्नत के कुछ फल वर्जित घोषित कर दिए जाने चाहियें जैसे पुराण-कथाओं में विज्ञान पर शंका, गाँधी-नेहरू का देश के लिए  योगदान , हिन्दुओं के अतिरिक्त किसी अन्य धर्म वाले की उदारता,सज्जनता और देशभक्ति के उदाहरण आदि | यदि नेहरू-गाँधी के बारे में कुछ जानना ही है तो राजीव दीक्षित के कैसेट सुनो |वही श्रवणीय है, वही उनके बारे में आधिकारिक सूचना मानी जाए, शेष सब कांग्रेस का दुष्प्रचार है |

बोला- फिर भी यदि तुझे औचाट है तो कर चर्चा, लड़ अंधविश्वास और झूठे प्रचार से लेकिन इतना याद रखना, ज्यादा उछलेगा तो अग्निवेश की तरह नागरिक अभिनन्दन हो जाएगा या कलबुर्गी और दाभोलकर की तरह कोई हादसा |

वह विज्ञापन नहीं सुना- मर्ज़ी है आपकी, सिर है आपका |वैसे ही 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है आपकी और ज़िन्दगी भी है आपकी' |



















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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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