Sep 6, 2018

राम बनाम अटल



 राम बनाम अटल 


हमने कहा- तोताराम, तुम्हारी पार्टी भी बड़ी अजीब है |राम के नाम पर २ से ८५, १२०,१८२ होते हुए २८२ हो गए | राम मंदिर के नाम पर खुद सिंहासन पर काबिज़ हो गए | राम अयोध्या के बाहर पता नहीं, कहाँ तम्बू लगाकर इंतज़ार कर रहे हैं | राम को ले-देकर राजधानी दिल्ली में १९३२ में लीला करने के लिए एक मैदान मिला था |उस मैदान में भी जब-तब लोग कभी किसी विदेशी मेहमान का अभिनन्दन करने के लिए, तो कभी कोई आन्दोलन-धरना देने के लिए तो कभी शपथ-ग्रहण के लिए अखाड़ा जमाए रहते हैं |किसी तरह दस दिन मिलते हैं साल में लीला करने के लिए |अब उस पर भी अटल जी को काबिज़ करने का विचार चल रहा है |और बहाना बना लिया है नार्थ दिल्ली म्युनिसिपल कोरपोरेशन की सिफारिश का |कल को कोई पंचायत ताजमहल का नाम तेरे नाम पर 'तोतामहल' करने की सिफारिश कर देगी तो क्या ताजहमल का नाम 'तोतामहल' कर देंगे ? 

बोला- आदरणीय, शांत हों | आजकल हमारी पार्टी की सरकार है इसलिए खुशामदी लोग कोई कृपा प्राप्त करने के लिए ऐसे नाटक करते रहते हैं |वैसे हमारी सरकार जन भावनाओं का बहुत ख़याल रखती है |कोई भी काम ऐसा नहीं करती जिससे लोगों को कष्ट हो हुए हैं |हर काम जनता से पूछ-पूछकर करते हैं चाहे नोटबंदी हो या जी.एस.टी. |अब लोग अटल जी के नाम पर पता नहीं क्या-क्या करना चाहते हैं |वैसे आज हमारी पार्टी भी राम की दया से इतने पॉवर में है कि चाहे तो हिमालय को गुजरात में ले जाकर रख दे |लेकिन हमारी पार्टी विकास के लिए प्रतिबद्ध पार्टी है |उसे ऐसे फालतू के कामों में कोई रुचि नहीं है |तभी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी ने कह दिया है कि ऐसा कोई इरादा नहीं है | 

हमने कहा- अटल जी को साध्वी उमा भारती ने विष्णु घोषित किया हुआ है | राम-कृष्ण विष्णु के अवतार हैं न कि विष्णु राम-कृष्ण के |इसलिए विष्णु सभी अवतारों से बड़े हैं | यदि अटल जी को रामलीला में उलझा दिया तो यह एक प्रकार से उनकी पदावनति होगी |और कोई भी अटल-भक्त ऐसा नहीं चाहेगा |

बोला- तुम्हारा कहना बिलकुल ठीक है |जैसे राम के बहुत से शाखामृगों ने मिलकर दो दिन में ही धनुषकोटि से लंका तक पुल बना दिया था वैसे ही अटल जी के विश्व में फैले करोड़ों भक्त चाहें तो एक रामलीला मैदान क्या, अयोध्या नगरी, एक नया देश और महाद्वीप बना दें |

हमने कहा- वैसे भी उनका विष्णु बने रहना ही ठीक है |राम बनने में हजार झंझट हैं |राज मिलने वाला था तो वनवास हो गया |वनवास से आए तो सीता को वनवास हो गया |और रावण का हाल यह है कि किसी तरह इस साल मारो और अगले साल फिर जिंदा होकर ठहाके लगाने लग जाता है |राम की ज़िन्दगी तो दुखों में ही गुजारी- 
बहुत कठिन है धरम राम का 
बन-बन पड़े भटकना भगतो |

विष्णु ही ठीक हैं |अपना शांति से क्षीर सागर में शयन और पैर दबाने को लक्ष्मी जी | जब मन किया हाथ नीचे लटकाया और खीर उपलब्ध |दिल्ली में किसे फुर्सत है ?आज जो लोग टसुए बहा रहे हमें उन सब का पता है कि पिछले दस सालों में वे कितनी बार  अटल जी को देखने गए ?  और छत्तीसगढ़ में देखा नहीं, कैसे अटल जी की श्रद्धांजलि सभा में भाजपा के दो मंत्री  अजय चंद्राकर और ब्रज मोहन अग्रवाल बेशर्मी से दाँत फाड़ रहे थे |दुःख तो दूर, सामान्य शिष्टाचार तक का ख़याल नहीं |

वैसे तुम्हें पता होना चाहिए कि अटल जी के नाम में 'अटल' के साथ 'बिहारी' भी लगा हुआ है |जिसका अर्थ है- जो अटल अर्थात स्थिर रहते हुए भी सर्वत्र बिहार अर्थात विचरण करता हो |इसलिए अच्छा होगा कि उन्हें रामलीला मैदान से बाँध कर न रखें | ज्यादा ही प्रेम है तो बना दें कहीं अटल जी नाम से कोई 'अटल-विहार' नामक शहर और बसा दें वहाँ गरीबों को |  

वैसे सरकार द्वारा कनाट प्लेस का नाम 'राजीव चौक' करने के बावजूद अब भी लोग उसे 'कनाट प्लेस' ही कहते हैं ऐसे ही 'अटल लीला मैदान' का हाल होगा |  









 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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